कोकोपीट क्या है और Cocopeat पौधों के लिए क्यों जरूरी है | cocopeat kya hota hai

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क्या आप जानते हैं कि पिछले कुछ सालों से Cocopeat का उपयोग क्यों इतना बढ़ गया है , ‘कोकोपीट के फायदे और उपयोग ‘ क्या है और Cocopeat पौधों के लिए क्यों जरूरी है ।

आइये इसी के विषय में आज जानकारी लेते हैं। cocopeat kya hota hai

कोकोपीट के फायदे और उपयोग

नारियल के रेशों से सैकड़ों सालों से रस्सी , चटाई , ब्रुश और मछ्ली पकड़ने का जाल इत्यादि बनाया जा रहा है ,इसके अलावा Mattress और फर्नीचर में गद्दे भी बनाए जाते हैं।

इसी नारियल Industry का एक Byproduct है कोकोपीट (Cocopeat) जिसे नारियल के खोल पर चढ़े रेशे से बनाया जाता है ।

Cocopeat पौधों के लिए आवश्यक Moisture , Drainage और Aeration का अद्भुत और बेजोड़ Combination देता है जो इसकी लोकप्रियता का प्रमुख कारण है ।

कोकोपीट परिचय और इतिहास

कोको पीट के बारे में जानने के पहले थोड़ा हमें Peat या Peat Moss के बारे में जानना होगा क्योंकि Cocopeat ने Peat Moss को ही Replace करके दुनिया में अपनी जगह बनाई थी ।

Peat Moss यूरोप और अमेरिका महाद्वीप के कुछ खास इलाकों में हजारों साल से वनस्पतियों के सड़ने गलने या कहे Decomposition से भूमि पर बनी एक चादर सी है , जो भूमि की ऊपरी परत पर ही पायी जाती है और इसे खोद (Mining) कर निकाला जाता रहा है ।

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खुदाई से निकाला गया पीट मोस

पूरे विश्व में अलग अलग क्षेत्रों में कुल लगभग 37 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में Peat Moss की चादर फैली हुई है , हजारों लाखों सालों से इसे ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है , तथा पश्चिम के देशों में इसे Horticulture में भी व्यापक रूप से प्रयोग में लाया गया है । cocopeat kya hota hai

श्रीलंका में नारियल रेशों पर प्रयोग  

आपको ये बताते चले कि Horticulture में मिट्टी के स्थान पर Peat Moss का प्रयोग या अन्य तरह के Innovation पश्चिमी देशों में ही प्रारम्भ हुये और वहाँ से ही अब हम उन उपायों को अपना रहे हैं ।

पश्चिमी देशों में Peat Moss के दोहन और अधिकाधिक प्रयोग का पर्यावरणविदों द्वारा विरोध के बीच ही श्रीलंका में साल 1983 में नारियल के रेशे से Peat Moss के Alternative के रूप में प्रयोग हेतु Study शुरू कि गई जोकि सफल रही और कुछ सालों में ही Cocopeat ने पूरी तरह से Peat Moss का स्थान ले लिया ।

वैसे आज भी पीट मोस का प्रयोग बागवानी में होता है लेकिन पहले से बहुत कम जोकि पर्यावरण के लिए अच्छा है ।

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कोकोपीट उद्योग

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वर्तमान में श्रीलंका विश्व में Cocopeat का सबसे बड़ा Exporter है , उसके बाद भारत का स्थान है । भारत में केरल के साथ-साथ सभी नारियल उत्पादक राज्य भारत सरकार के अंतर्गत Coir Board के संरक्षण में कार्य कर रहे हैं । Coir Board India से चलाई जा रही योजनाओ के बारे में आप जानकारी ले सकते हैं ।

वर्ष 2016 में भारत में ही India International Coir Fair का आयोजन किया गया । नारियल Industry के waste से करोड़ों रुपये के Industry बनने तथा हजारों गरीबों की आमदनी बनने का जरिया बनने के लिए हम श्रीलंका को धन्यवाद दे सकते हैं ।     

कोकोपीट के फायदे

नमी बना के रखता है –

कोकोपीट में पानी रोक कर रकने की क्षमता काफी अधिक होती है , कुछ विशेषज्ञ इसे इस मामले में पीट से भी अच्छा मानते हैं ।

पानी की अतिरिक्त मात्रा को पौधे में रोके बिना आवश्यक नमीं को अपने में बना के रख लेता है जिससे एक दो दिन पानी न मिलने की स्थिति में भी पौधे को कोई परेशानी नहीं होती ।

हल्का वज़न

वजन में कम होना कोकोपीत के Popular होने का प्रमुख कारण है । कम वजन होने से इसका Transportation आसान है चाहे आप नर्सरी से इसे खरीद रहे हो या फिर Online मंगा रहे हों ।

छत या बालकनी पर रखे गमलों में कोकोपीट use करने से उसका वजन कम रहता है जिससे छत पर बोझ नहीं पड़ता है ।

हल्के गमलों को इधर उधर खिसकाना भी आसान रहता है , बच्चे व महिलाएं भी आसानी से गमलों को जरूरत के अनुसार इधर उधर कर सकते हैं ।

पौधों की Growth में सहायक

रेशे जैसी संरचना के कारण पोशाक तत्वों को रोककर रखता है । सिर्फ मिट्टी का प्रयोग करने पर आसानी से पोशाक तत्व Hole से निकल जाने की संभावना रहती है ।

अच्छी Drainage और Aeration के कारण पौधों की जड़ों को फैलने मे सहायता करता है जिससे पौधा मजबूत बनता है।

इसमें Bacteria और Fungus से निपटने का प्रकृतिक गुण रहता है इसके साथ ही पूर्णतया Organic है तथा पर्यावरण में Balance बनाने के लिए भी सर्वोत्तम है ।

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बीज उगाने मे प्रयोग

Horticulture में प्रयोग

Potting Mix के रूप में पूर्णतया या फिर मिट्टी , बालू के साथ मिलाकर Terrace गार्डेनिंग , Container गार्डेनिंग में प्रयोग ।

बीज से Seedlings तैयार करने में प्रयोग ।

Hydroponics यानि बिना मिट्टी सिर्फ पानी से की जाने वाली गार्डेनिंग में प्रयोग ।

Coco Peat कैसे बनता है

यह समुद्री इलाकों में जहां नारियल उगाया जाता है वहीं पर औद्योगिक स्तर पर बनाया जाता है , हरे नारियल से Cocopeat बनने में कई साल तक लग जाते हैं ।

सूखे हुये नारियल को कुछ सालों तक बड़े बड़े फार्मों पर पानी में छोड़ दिया जाता है यह समुद्री पानी भी हो सकता है या फिर ताज़ा मीठा पानी भी ।

जब समुद्री पानी में नारियल को भिगो कर रखा जाता है तो बनने की बाद की प्रक्रिया में इसे ताज़े पानी से Process किया जाता है ताकि समुद्रीय पानी का नमक इसमें से निकल जाए ।  

इसीलिए जब हम घर पर इसे Use करते हैं तो इसे पानी में अच्छी तरीके से भिगो कर व निचोड़ कर ही प्रयोग में लाया जाना चाहिए ।

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कोकोपीट blocks बनाने की मशीन, फोटो साभार : https://www.indiamart.com

इसके बाद नारियल को बाहर निकाल कर उसके रेशे को अलग कर लिया जाता है फिर इसको सूखने के लिए महीनों तक छोड़ दिया जाता है ।

सूखने के बाद इन्हें मुखतया तीन रूप में तैयार कर लिया जाता है (i)बुरादे के रूप में , (ii)रेशों के रूप में और (iii)चिप्स के रूप में  ।

बुरादे या चुरे के रूप में तैयार किए गए Coco Coir को पानी निचोड़ कर Compress करके Cubes, Bricks आदि shape में तैयार करके पाक करके बाज़ार में भेज दिया जाता है ।

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कोकोपीट का उपयोग कैसे किया जाता है

बाज़ार में यह 1 Kg , 2 Kg और 5 Kg वजन में मिलता है जिसकी कीमत औसतन 50 रुपये प्रति Kg के आसपास रहती है । पानी में भिगोने पर यह अपने आयतन का लगभग 5-6 गुना हो जाता है ।

घर पर लाने के बाद इसके जरूरत के हिसाब से या फिर आप चाहे तो पूरा ही पानी में भिगो सकते हैं । कुछ घंटे भीगा रहने के बाद इसे आप दोनों हाथ से निचोड़कर या किसी कपड़े से छानकर अलग निकाल लें , बचे पानी को फेंक दें ।

क्या घर पर कोकोपीट बनाया जा सकता है | कोकोपीट घर पर कैसे बनाएँ

क्या घर पर कोकोपीट बनाया जा सकता है ? इस सवाल का जवाब हाँ और न दोनों में है । हाँ इसलिए क्यूंकी नारियल के रेशे से बुरादा बनाया जा सकता है , और न इसलिए क्यूंकी ये बुरादा पौधों में Direct use करना सही नहीं है ।

चलिये देखते हैं कि घर पर कोकोपीट कैसे बनाया जाता है , आप अक्सर पूजा के लिए या फिर खाने पीने के लिए नारियल खरीद कर लाते होंगे । अगली बार जब आप नारियल खरीदे तो उसको छिलवाए नहीं दुकान पर , यदि छिलवा लेते हैं तो उसको दुकानदार से मांग लें ।

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नारियल के रेशे छील कर खुद से बनाए कोकोपीट

नारियल से निकले छिलके को आप छोटे छोटे एक दो इंच के टुकड़ों में काटकर लीजिये तथा और कुछ को रेशों के रूप में रख लीजिये ।

अब बात करते हैं कि घर पर बनाए गए कोकोपीट से क्या नुकसान हो सकता है –

असल में कोकोपीट नारियल रेशों के Decompose होने के बाद बनता है जिसमें कई महीने लगते हैं , इसलिए घर पर नारियल रेशों को निकाल कर सीधे गमले में डालना सही नहीं है ।

ऐसा करने से पहले वह अपने को Decompose करेगा जिसमें उसे नाइट्रोजन की आवश्यकता होगी और यह नाइट्रोजन वह कहीं और से नही बल्कि गमले की मिट्टी से ही लेगा ।

जो गमले की मिट्टी पौधे के पोषण के लिए जरूरी है उसे नारियल के रेशे अपने decompose होने में use करेंगे तो जाहिर सी बात है पौधे को आवश्यक नाइट्रोजन नही मिलेगा और उसका ग्रोथ बाधित होगा ।

इसलिए अच्छा होगा कि नारियल के रेशों या बुरादे को आप अपने कम्पोस्ट बिन में डाल दिया करें इससे आपको अच्छी क्वालिटी का कम्पोस्ट मिल जाएगा

नारियल का अंदर वाला खोल जो बहुत Hard होता है, उसे भी आप रख सकते हैं , उसे छोटे छोटे टुकड़े में करके रख लीजिये और जब भी नया गमला तैयार करें तो गमले में नीचे Hole को कवर करने में इसका उपयोग कर सकते हैं ।

कोकोपीट के नुकसान   

पीट मोस मैदानी भागों में पाया जाता है इसलिए उसमें नमक नहीं होता है जबकि नारियल समुद्री पानी के आसपास उगता है तथा उसको महीनों तक समुद्री पानी में भिगो कर रखा जाता है इसलिए कोकोपीट में नमक की मात्रा काफी होता है ।

वैसे पानी में भिगोने के बाद उसे process किया जाता है और उसका नमक निकालने का प्रयास भी किया जाता है फिर भी उसमें कुछ मात्रा मे नमक रह जाने की संभावना बनी रहती है , जोकि पौधों के लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकता है ।

नमक से पौधों को बचाने के लिए कोकोपीट को 2-3 बार पानी से भिगोना और छानना चाहिए , और छने हुये पानी को फेंक देना चाहिए , गलती से उसे अपने गार्डेन में न फेंके ।

क्वालिटी जरूर देखें

हमारे देश में जो भी चीज की मांग बढ्ने लगती है उसका डुप्लीकेट या कहें कि खराब क्वालिटी का समान बाज़ार में आ जाता है इसलिए आप यह निश्चित करें कि अच्छी क्वालिटी का कोकोपीट लें भले ही थोड़ा महंगा मिले ।

कोकोपीट समय बीतने के साथ खराब होता जाता है इसलिए कई विशेषज्ञ इसका सीमित उपयोग की सलाह देते हैं जैसे बीज से पौध तैयार करने (seedlings), हैंगिंग प्लांट्स के लिए , सीजनल प्लांट्स के लिए ।

Succulents और Cactus आदि में इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए या फिर सीमित प्रयोग करना चाहिए ।

कोकोपीट को बेस्ट मानने की सोच फैलती जा रही है जोकि सही नहीं है , इसके भी फायदे और नुकसान हैं और इस्तेमाल करने का तरीका है , आँख मूंदकर प्रयोग करने का चलन सही नहीं है ।

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बचे हुये नारियल के खोल से प्लांटर भी बना सकते हैं

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके जरूर बताएं ,  ऐसे ही पेड़-पौधों और गार्डेन से जुड़ी रोचक और उपयोगी जानकारी के लिए hindigarden.com से जुड़े रहें , धन्यवाद ।

Happy Gardening..

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