10 रोचक बातें जो शमी के पेड़ के बारे मे आपको जानना चाहिए | Shami ka ped

राजस्थान का राजकीय पेड़ शमी भारतीय घरों मे पॉज़िटिव इनर्जी के लिए लगाया जाता है । राजस्थान मे इसे खेजरी के नाम से भी जाना जाता है । शमी के पेड़ के बहुत तरह के फायदे हैं जिनमे धार्मिक और औषधीय फायदे जुड़े हुये हैं ।

वानस्पतिक नाम Prosopis cineraria
अन्य नाम Ghaf,Shami, Khejari
फैंमिली पी फैमिली – Fabaceae
मूल स्थान पश्चिमी एशिया , भारतीय उपमहाद्वीप
प्रयोग धार्मिक , चिकित्सा

शमी का परिचय

मूल रूप से यह पश्चिमी एशिया व भारतीय उपमहादीप के सूखे और निर्जन इलाके का पेड़ है जिनमे प्रमुख क्षेत्र भारत , पाकिस्तान , अफगानिस्तान , बहरीन , ईरान , ओमान , सऊदी अरब , संयुक्त अरब अमीरात और यमन के इलाके शामिल हैं ।

इस पेड़ का वानस्पतिक नाम Prosopis cineraria है , यह मटर के ही परिवार Fabaceae का एक flowering tree है ।

यह संयुक्त अरब अमीरात का राष्ट्रीय पेड़ है , इसे अरब देशों मे Ghaf के नाम से पुकारा जाता है । अरब देशों के निर्जन इलाकों मे यह एक वरदान की तरह है तथा बड़े पैमाने पर वहाँ नागरिकों को शमी का पेड़ लगाने के लिए अभियान चलाया जाता है ।

It is a historic and cultural symbol of stability and peace in the UAE’s desert environment.

बहरीन के माउंट ऑफ स्मोक पर लगभग 400 साल पुराना एक शमी का पेड़ आज भी लगा हुआ है जिसे ‘Tree of Life’ के नाम से जाना जाता है । यह आसपास किसी ज्ञात पानी के स्रोत के बिना ही सैकड़ों साल से हरभरा है इसीलिए इसकी विशेष महत्ता है ।

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रेगिस्तान मे उगा शमी या खेजड़ी का पेड़। फोटो साभार : विकिपीडिया

खेजरली गाँव की कहानी

वर्ष 1730 की बात है जोधपुर के पास Khejarli गाँव मे एक अजीब पर्यावरण हिंसक विरोध देखा गया जब इस गाँव की एक महिला अमृता देवी ने अपनी 3 छोटी बेटियों के साथ अपने प्राण त्याग दिये थे ।

प्राण त्यागने का कारण यह था कि वे गाँव के कुछ पेड़ों को काटने से बचना चाहते थे जिन्हें वहाँ के महाराजा अभय सिंह अपने नए महल के स्थान के लिए कटवाना चाहते थे।

इस घटना का काफी विरोध हुआ और जिसमे 363 लोगों की शमी के पेड़ों को बचाने मे जान गई ।आज़ाद भारत मे 1970 के दशक मे शुरू हुआ चिपको आंदोलन इसी घटना से प्रेरित माना जाता है ।

शमी पेड़ का संक्षिप्त विवरण

वैसे तो मैदानी इलाकों मे आजकल लोग इसे गमले मे लगाते हैं जहां इसकी लंबाई ज्यादा नहीं बढ़ पाती है , वैसे अपने मूल स्थान यानि रेगिस्तान मे यह 3 से 5 मीटर (10-18 फुट) तक ऊंचा हो जाता है ।

पत्तियाँ bipinnate होती हैं यानि पत्तियों का समूह मिलकर एक पूरी पत्ती का निर्माण करती है और जिनमे एक पत्ती समूह के अंदर एक समूह और होता है। शमी के पेड़ मे 7-14 leaflets होते हैं एक पत्ती मे ।

इसके फूल बहुत छोटे हैं और क्रीमी –पीले होते हैं और फूल सूखने के बाद seedpod मे बीज बनते हैं जो उड़कर या पशु-पक्षियों द्वारा दूर तक पहुँच जाते हैं ।

यह पेड़ बेहद निर्जन arid इलाकों मे पाया जाता है, जहां अमूमन वार्षिक 15 सेमी से भी कम बारिश होती है , लेकिन यह पेड़ यह भी दर्शाते हैं जमीन के काफी नीचे पानी गहराई मे मौजूद है ।

इसी की तरह दिखने वाले अन्य पेड़-पौधे भी हैं जिनसे लोग कनफ्यूज़ हो जाते हैं उनमे से एक है Chinese lantern tree, दोनों की पत्तियाँ तो एक जैसी दिखती हैं पर इसे आप इसकी फूलों से अंतर कर सकते हैं ।

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शमी का पीले रंग का फूल

शमी के फूल पीले रंग के होते हैं जबकि Chinese lantern tree के फूल दोहरे रंग गुलाबी-पीले होते हैं । आप इसे टच मे नॉट या छुई मुई (mimosa pudica) से भी कनफ्यूज़ मत होइएगा जोकि एक weed होता है ।

शमी का धार्मिक महत्व

अन्य पेड़ों के साथ हिन्दुओ मे शमी के पेड़ का भी काफी महत्व है , और कुछ खास प्रदेशों मे ज्यादा ही है जैसे राजस्थान , इसका मुख्य कारण यह है कि यह राजस्थान के सामाजिक और आर्थिक दोनों रूप मे साथी रहा है इसीलिए इसे राजस्थान का राजकीय पेड़ घोषित किया गया है ।

दशहरे के दसवें दिन इसकी पूजा भारत के कई राज्यों मे की जाती है। शमी का अलग अलग राज्यों मे नाम अलग अलग है जैसे यूपी और महाराष्ट्र मे इसे शमी , तेलंगाना मे जम्मी , गुजरात मे खिजरो, राजस्थान मे खेजरी , जांटी हरियाणा मे और पंजाब मे जंद के नाम से जाना जाता है ।

महाभारत मे पांडवों को अपने अज्ञातवास का 13वां वर्ष भेष बदल कर यवातीत करना था , पांडवों मे अपना भेष बदला और विराट देश पहुँचने से पहले अपने दिव्य अस्त्रों को शमी के पेड़ पर एक वर्ष के लिए छिपाया था ।

जब वे एक वर्ष के बाद वहाँ पहुंचे तो अपने अस्त्रों को बिलकुल सही सलामत पाया , अपने अस्त्रों वापस लेने के पूर्व उन्होने शमी के पेड़ की विधिवत पूजा की और उनके दिव्यस्त्रों को सुरक्षित रखने के लिए धन्यवाद प्रकट किया।

खेजरी का खानपान मे प्रयोग

रेगिस्तानी इलाकों मे शमी या खेजरी का उपयोग खानपान मे बहुत किया जाता है , बाकी इलाकों मे बहुत कम प्रयोग मिलता है ।फूल खिलने के बाद जो pod बनता है उससे बहुत ही स्वादिष्ट सब्जी बनाई जाती है ।

शमी का चिकित्सा मे उपयोग

हवन के द्रव्यों में शमी की लकड़ी का भी प्रयोग किया जाता है। अधिकांश लोगों को केवल इतना ही पता है। आपको पता नहीं होगा कि शमी एक औषधि भी है, जिसका इस्तेमाल बीमारियों की रोकथाम के लिए किया जाता है।

शमी के पेड़ से उसकी छाल , पत्ती और फली का उपयोग चिकित्सा मे किया जाता है ।

आप कफ-पित्त विकार, खांसी, बवासीर, दस्त आदि में शमी के फायदे ले सकते हैं। इसके साथ-साथ रक्तपित्त, पेट की गड़बड़ी, सांसों की बीमारियों में भी शमी से लाभ मिलता है। आइए शमी के सभी औषधीय गुणों के बारे में जानते हैं।

  • आंखों के रोग में शमी से लाभ
  • दस्त में शमी के सेवन से फायदा
  • पेचिश में शमी के सेवन से लाभ
  • बवासीर में शमी के प्रयोग से लाभ
  • एनीमिया रोग में शमी का उपयोग
  • मूत्र (पेशाब) रोग में शमी के प्रयोग से फायदा
  • डायबिटीज में शमी का उपयोग फायदेमंद
  • गर्भस्राव में शमी का प्रयोग
  • गले के रोग में शमी का इस्तेमाल
  • रोम विकार में शमी का उपयोग
  • विसर्प रोग में शमी का इस्तेमाल
  • बच्चों को रोगों से बचाने के लिए शमी का इस्तेमाल
  • बिच्छू के डंक मारने पर करें शमी का उपयोग
  • सांप के काटने पर शमी का प्रयोग

शमी के चिकित्सीय उपयोग कैसे करें इसके लिए यहाँ क्लिक करें ।

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शमी की पत्तियाँ

घर मे कैसे लगाएँ

तुलसी की ही तरह शमी का पौधा भी भारतीय घरों मे अत्यधिक लगाया जाता है , किन्तु तुलसी आसानी से मिल जाता है क्यूंकि यह बीज से आसानी से फैलकर नया पौधा बना लेता है इसलिए तुलसी ज्यादा लोगों के घरों मे आपको दिखता होगा जबकि शमी का पौधा आसानी से मिल पाता ।

शमी का पौधा आप किसी नर्सरी से ला सकते हैं , या यदि आपको जानकारी है तो आप इसकी अच्छी कटिंग से नया पौधा भी तैयार कर सकते हैं ।

किस दिन लगाएँ

वैसे तो आप कभी भी लगा सकते हैं पर ऐसा कहा जाता है कि इसे शनिवार के दिन लगाना चाहिए । आप चाहे तो किसी भी दिन खरीद कर पौधा ले आए और शनिवार के दिन नहा धो कर इसे नए साफ गमले या जमीन मे लगा सकते हैं ।

इसे आप मुख्य द्वार के पास लगा सकते हैं , इसको घर के अंदर नहीं लगाना चाहिए ।

शमी का पेड़ किस दिशा मे लगाएँ

शमी का पेड़ या पौधा अगर आप घर के मुख्य द्वार पर लगाएँ तो सबसे अच्छा रहेगा । इसको घर के मुख्य द्वार पर ऐसे लगाए कि जब आप द्वार से निकले तो शमी का पेड़ आपके दाहिने तरफ पड़े ।

अगर आपका घर छोटा है और मुख्य द्वार पर आप शमी का पेड़ नही लगा सकते तो घर की छत पर दक्षिण दिशा मे रखें ।

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शमी की फलियाँ

शमी के पेड़ की पुजा कैसे करें

शमी की रोजाना नियमित पूजा करने और जल,पुष्प चढ़ाने से कभी भी धन की कमी नही होती है ।ऐसा माना जाता है कि शाम को नियमित रूप से शमी के पौधे के नीचे दिया जलाना शुभ होता है घर मे पैसों की बचत होती है और बैंक बैलेंस बढ़ता है ।

शमी को जहां रखे वहाँ साफ सफाई का ध्यान रखें ठीक वैसे ही जैसे आप मंदिर और तुलसी के पौधे की करते हैं । कभी भी नाली के आसपास , कूड़ा आदि के पास न रखें ।

भगवान शिव को शमी का पेड़ बहुत प्रिय होता है , यदि आपको शमी के फूल आसानी से उपलब्ध हैं तो आप शिव पूजा मे शमी के पुष्प चढ़ा सकते हैं ; यदि आपका शमी छोटा है और फूल नही है तो पत्तियाँ भी चढ़ा सकते हैं ।

शमी के पौधे की देखभाल

शमी के पौधे की पूजा के साथ-साथ उसकी देखभाल करना भी बहुत जरूरी है । इनमे प्रमुख रूप से मिट्टी का प्रकार , पानी , धूप आदि का कैसे ध्यान रखना है ।

मिट्टी साफ सुथरी प्रयोग करना चाहिए , जिसमे आप किसी खेत या गार्डेन की मिट्टी के साथ गोबर की सड़ी हुई खाद , बालू और चाहे तो कोकोपीट का उपयोग कर सकते हैं ।

खाद की मात्र 30-40% रखें बाकी को मिलकर 60-70% मिश्रण तैयार कर लें ।

  • गार्डेन मिट्टी     30%
  • कोकोपीट       20%
  • नदी की रेत     20%
  • गोबर की खाद   30%

शमी का पेड़ सूखने न पाएँ इसके लिए हल्की नमी हर समय मौजूद रहना चाहिए , लेकिन यह भी ध्यान रखना है कि मिट्टी गीली न हो जाए । अगर आपने अच्छा potting mix बनाया होगा तो पानी उसमे रुकेगा नही और मिट्टी soggy नहीं होगा और जड़ के सड़ने का खतरा कम रहेगा ।

शमी को अच्छी धूप की जरूरत होती है , 3-4 घंटे की धूप जरूर मिलनी चाहिए इस बात का ध्यान रखना है ।

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके जरूर बताएं , ऐसे ही पेड़-पौधों और गार्डेन से जुड़ी रोचक और उपयोगी जानकारी के लिए hindigarden.com से जुड़े रहें , धन्यवाद ।

Happy Gardening..

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