क्या चायपत्ती का गार्डेन में प्रयोग किया जा सकता है | Chai patti in Hindi

Chai patti in Hindi

भारत में चाय सिर्फ दिन की शुरुआत का एक कप नहीं है, बल्कि यह जीवन की लय का एक अभिन्न हिस्सा है। पड़ोस की गपशप से लेकर गहन राजनीतिक चर्चाओं तक, सब कुछ एक कप चाय पर ही होता है।

इतिहास के सबसे पुराने पेय में से एक, चाय आज भी भारत का सबसे लोकप्रिय पेय है – देश हर साल लगभग 8,37,000 टन चाय की खपत करता है:

If you are cold, tea will warm you;
if you are too heated, it will cool you;
If you are depressed, it will cheer you;
If you are excited, it will calm you.

William Ewart Gladstone

ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री की इन lines को आप अपने से relate कर पा रहे होंगे क्यूंकी यह आपका भी कहीं न कहीं सुख-दुख का साथी होगा ।                                             

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चाय के ये केतली बचपन से हम देख रहे हैं

 

चायपत्ती का परिचय और इतिहास

चाय का इतिहास इतिहास लगभग 5000 वर्ष पुराना है लगभग उतना ही जितना कि महाभारत काल । कहते हैं लगभग 2732 ईस्वी पूर्व में चीन के Emperor Shen Nung ने चाय की खोज की जब उनके उबलते पानी में चाय की पत्तियाँ जा गिरी ।

जब यह पानी उनके सामने लाया गया तो उस पानी की महक उनको भा गई और उस पानी को उन्होने पिया । इस पेय को पीने के बाद Emperor का पूरा शरीर एक अलग सी ताजगी से भर गया ।

Emperor ने अपने अनुभव को बताया कि उनको ऐसा लगा जैसे ये पेय उनके पूरे शरीर को Investigate कर रहा है और इसी कारण उन्होने इस पेय का नाम “ ch’a” रखा जो एक चाइनिज भाषा character है जिसका अर्थ check या investigate करना होता है ।

वैसे कुछ लोग भारत मे चाय की उत्पत्ति मानते हैं फिलहाल भारत मे अभी सबसे ज्यादा चाय उगाई जाती है जिसका श्रेय ब्रिटिश East India Company को दिया जा सकता है ।

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चाय के दिलकश बागान

भारत मे चाय की शुरुआत

ऐसा माना जाता हैकि सन् 1815 में कुछ अंग्रेज़ यात्रियों का ध्यान असम में उगने वाली चाय की झाड़ियों पर गया जिससे स्थानीय क़बाइली लोग एक पेय बनाकर पीते थे।

भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड बैंटिक ने 1834 में चाय की परंपरा भारत में शुरू करने और उसका उत्पादन करने की संभावना तलाश करने के लिए एक समिति का गठन किया। इसके बाद 1835 में असम में चाय के बाग़ लगाए गए।

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एक और कथा के अनुसार छठवीं शताब्दी में चीन के हुनान प्रांत में भारतीय बौद्ध भिक्षु बोधिधर्म बिना सोए ध्यान साधना करते थे। वे जागे रहने के लिए एक ख़ास पौधे की पत्तियां चबाते थे और बाद में यही पौधा चाय के पौधे के रूप में पहचाना गया।

आज भारत दुनिया में चाय का सबसे बड़ा उत्पादक देश है जिसका लगभग 70% भारत खुद ही consume कर लेता है ।

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चाय की सुखी पत्ती

चाय का गार्डेनिंग में प्रयोग

शायद गार्डेनिंग से जुड़ी पहली जानकारी मिली होगी वह यही रही होगी कि चाय छनने के बाद बची हुई चायपत्ती को गुलाब के पौधे में डाल देना चाहिए , सही कहा न ।

काफी हद तक ये जानकारी सही भी है फिर भी क्या हमने कभी ये ध्यान दिया कि इस चायपत्ती में दूध और चीनी भी रहता है । और उसका पौधों पर फाइदा होता है या नुकसान ?

क्या चायपत्ती पौधों के लिए अच्छी खाद है

सूखी चायपत्ती मे क्या-क्या होता है –

सूखी चायपत्ती में 4.4 % नाइट्रोजन , .25 % पोटेशियम , 0.24 % फास्फोरस , 0.6 % कैल्शियम और 0.5% मैग्निशियम पाया जाता है । जैसा कि आपको पता ही होगा यह सभी तत्व पौधों कि अच्छी growth के लिए आवश्यक हैं । ज्यादा जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

यहाँ सूखी चायपत्ती से मतलब बागान से हरी पत्ती तोड़ने के बाद फैक्टरी से निकलने वाले चायपत्ती से है ।

चायपत्ती के फायदे

किसी अन्य ओरगनिक खाद कि तरह इसके भी फायदे ही फायदे हैं । इससे पत्तियाँ ज्यादा चमकदार दिखने लगती हैं । फूल और फल भी अच्छे मिलते हैं ।

मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ्ने लगती है और उसमें मौजूद microbes की संख्या बढ्ने लगती है।

चायपत्ती का pH वैल्यू

चाय के किस्म के आधार पर चायपत्ती की ph वैल्यू निर्भर करती है –

काली चायपत्ती   5 – 5.5

हरी चायपत्ती     7 – 10

कभी कभी कुछ मात्रा में चाय पत्ती डालने से pH वैल्यू में कुछ खास फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन अगर आप रोज़ किसी एक ही गमले में लगातार चाय पत्ती मिलते रहते हैं तो उसका pH में अंतर आ सकता है ।

हमारे घरों मे ज़्यादातर काली पत्ती वाली चाय ही use होती बहुत कम लोग ग्रीन टी पीते हैं अभी । काली चाय एसिडिक प्रकृति की होती है और फूलों वाले पौधों के लिए एसिडिक soil अच्छी लगती है जैसे गुलाब । इसीलिए हमारे घरों मे used चायपत्ती को ग्रहणियाँ गुलाब मे ऐसे ही फेंक देती हैं ।

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गुलाब के लिए सही मिट्टी का चुनाव

क्या चायपत्ती डाइरैक्ट मिट्टी में डाल सकते हैं

अगर हाँ या न में पूछा जाय तो इसका जवाब ‘न‘ होगा क्यूंकी यह decompose नहीं होती है और साथ ही इसमें दूध और चीनी मिली होने के कारण यह संभावना बनी रहती है कि मिट्टी पर डालने के बाद इसमे फंगस लग जाए ।

आपने कभी कभी देखा भी होगा कि फेकी गई चायपत्ती में सफ़ेद रेशे जैसे या रुई जैसे दिखने लगते हैं, ये फंगस है और ये आपको फाइदा के स्थान पर नुकसान पहुंचा सकता है । इस तरह ही फेकना है तो फिर इसे कम्पोस्ट बिन में डाल दीजिये ।

चायपत्ती use करने का सही तरीका

चाय पत्ती को गार्डेन में कई तरीके से use किया जा सकता है । उसका कम्पोस्ट बनाकर , चायपत्ती को खुद ही process कर के मिट्टी में मिलाकर या फिर उसका Liquid form में इस्तेमाल करके ।

  • कम्पोस्ट बनाकर

चाय बनने के बाद छानकर अलग किए गए पत्ती को आप अपने कम्पोस्ट बिन में डाल सकते हैं जिस तरह आप अन्य किचन वेस्ट को कम्पोस्ट बिन में डालते हैं । अगर आपने अभी तक किचन वेस्ट से कम्पोस्ट बनाना नहीं शुरू किया है तो अब शुरू कर सकते हैं जो आपके सेहत , जेब और पर्यावरण सबके लिए जरूरी है ।

घर पर ही कम्पोस्ट बनाने की जानकारी के लिए यहाँ पर क्लिक करें ।

  • चायपत्ती को सुखाकर

चाय पीने के बाद चायपत्ती एक किसी ट्रे में रखते जाए जो थोड़ी धूप वाली जगह में हो । इस तरह एक सप्ताह तक रखने के बाद इस चायपत्ती को process किया जा सकता है छुट्टी वाले दिन । डाइरैक्ट मिट्टी में न डाले इस चायपत्ती को ।

इस चायपत्ती को पानी से भरी बाल्टी मे डालकर धुले , इस दौरान अदरक के pieces निकाल दें । इस तरह चायपत्ती को 2-3 बार धुलें और अच्छे से निचोड़ (squeeze) लें और ट्रे में रखकर धूप में अच्छे से सूखा लें ।

अच्छी तरह से सूख जाने के बाद इसको आप use में ला सकते हैं ।

पौधों में किस मात्रा में डालें

एक बड़े गमले में 3-4 चम्मच चायपत्ती डाल सकते हैं । मिट्टी के ऊपर भी बिछा सकते हैं पर अगर आप थोड़ी मिट्टी हटाकर इसे डाल दें और मिट्टी से ढक दें तो ज्यादा अच्छा रहेगा ।

इसे आप गुलाब , गुड़हल ,मोगरा, गुलदाउदी, कमेलिया,  टमाटर बैंगन आदि में डाल सकते हैं । पर यह ध्यान रखें कि ओवर यूज़ नहीं करना है ।

ताज़ा पत्ती का प्रयोग

बहुत से लोगों को यह confusion बना रहता है कि क्या ताज़ा चायपत्ती का भी प्रयोग गार्डेनिंग में किया जा सकता है । जी हाँ ताज़ी चायपत्ती का भी उतना ही फायदा मिलेगा जितना यूज्ड चायपत्ती से मिलता है ।

ताज़ी चायपत्ती इसलिए recommend नहीं किया जाता क्यूंकी हो सकता है यह आपको महंगा लगे जबकि यूज्ड चायपत्ती को इस्तेमाल करने से आप डबल प्रॉफ़िट का मज़ा ले लेते हैं ।

फिर भी यदि कभी आपकी चयपट्टी जमीन पर गिर जाए और आप use न करने कि सोच रहे तो उसे आप गार्डेन में use कर सकते हैं । इसके अलावा आप सस्ती और लोकल ब्रांड कि चाय ला सकते है गार्डेन के लिए ।

इसको आप डाइरैक्ट मिट्टी में दबा सकते हैं या फिर 1 चम्मच चाय को 2 लीटर पनि में एक दिन भिगोकर अगले दिन चायपत्ती समेत गमले हर में 200 Ml डाल सकते हैं ।

मेरी चाय की रेसिपी

गार्डेनिंग के अलावा चलिये मैं अपनी चाय कि रेसिपी भी आपको बताता चालू ताकि गार्डेन में काम करने के बाद आप ऐसी बिना दूध वाली चाय का मज़ा ले सके , शायद आपको पसंद आए , कमेन्ट करके जरूर बताइएगा ।

इस चाय कि सामग्री इस प्रकार है – 1 कप पानी , 4 चुटकी चयपट्टी , आधा चम्मच चीनी , ¼ हाजमोला का टैबलेट , 1 नींबू ।

चलिये शुरू करते हैं – 1 कप पानी को हल्की आंच पर उबाल लीजिये अब इसमें 4 चुटकी चायपत्ती डाल दीजिये ।

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लेमन टी

चायपत्ती कम या ज्यादा होने से ही टेस्ट का फर्क आता है इसलिए चम्मच का प्रयोग न करें , बल्कि अंगूठे और इंडेक्स फिंगर कि टिप से 4 चुटकी निकाल कर डालें ।

इसके बाद 1 चम्मच चीनी डाल दें और हल्की आंच पर 3-4 मिनट पकने के बाद कप में छान लें । कप में पहले से ही ¼ हाजमोला का टैबलेट crush करके डाल दें । इसके बाद 4-5 बूंद (या स्वाद के अनुसार) नींबू के डाल दें । अब चाय के मज़े लीजिये और गार्डेनिंग करते रहिए ।

Happy Gardening

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