चन्दन का पेड़ कैसा होता है , उसके क्या फायदे होते हैं | chandan ka ped

चंदन की तस्करी पर बनी फिल्मे आपने जरूर देखी होंगी, चंदन का पेड़ (Sandalwood Tree) एक अनमोल प्राकृतिक उपहार है जो अपने अद्वितीय खुशबू और औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है।

भारत में इसे प्राचीन काल से ही धार्मिक, औषधीय और सांस्कृतिक महत्व के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है। chandan ka ped

Sandalwood Tree का वैज्ञानिक नाम Santalum album है और यह ज्यादातर दक्षिण भारत के जंगलों में पाया जाता है। इस पेड़ की लकड़ी और तेल दोनों ही अत्यधिक मूल्यवान होते हैं, जो इसे एक आर्थिक रूप से फायदेमंद फसल बनाता है।

Table of Contents

चंदन का इतिहास

चंदन के पेड़ का इतिहास हजारों साल पुराना है। प्राचीन भारत में, इसे विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व दिया गया। यह वेदों और पुराणों में भी वर्णित है, जहां इसे पवित्र और शुद्ध माना गया है।

Sandalwood का उपयोग प्राचीन काल से ही विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों, मंदिरों में मूर्तियों की पूजा, और पवित्र धूप के रूप में होता आ रहा है। इसके साथ ही, चंदन का तेल भी आयुर्वेदिक चिकित्सा में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो विभिन्न रोगों के उपचार में सहायक है।

चंदन के वृक्ष का वानस्पतिक नाम क्या है ?

चंदन के वृक्ष का वानस्पतिक नाम सेंटलम अल्यम ( Santalum album ) होता है। हिंदी भाषा में चंदन को सफेद चंदन, चंदन और श्वेत चंदन के नाम से जानते हैं।

इंगलिश मे इसे  Indian sandalwood कहते हैं , Sandal शब्द संस्कृत /हिन्दी के चन्दन शब्द से बना है ।

चंदन का उपयोग

चंदन के पेड़ के कई उपयोग हैं, जो इसे एक बहुउपयोगी फसल बनाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख उपयोग दिए जा रहे हैं:

धार्मिक और सांस्कृतिक उपयोग

चंदन का पेस्ट (Sandal Paste) धार्मिक अनुष्ठानों में, पूजा-पाठ और भगवान की मूर्तियों पर लगाने के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी खुशबू वातावरण को पवित्र और शुद्ध बनाती है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा

चंदन के तेल का उपयोग आयुर्वेद में त्वचा रोगों, जलन, खरोंच, और अन्य शारीरिक समस्याओं के इलाज में किया जाता है। यह त्वचा को ठंडक पहुंचाने और उसे स्वस्थ रखने में मदद करता है।

इत्र और सौंदर्य प्रसाधन

Sandalwood Oil का उपयोग इत्र, साबुन, और विभिन्न सौंदर्य प्रसाधनों में किया जाता है। इसकी खुशबू लंबे समय तक टिकती है और मानसिक शांति प्रदान करती है।

हस्तशिल्प

चंदन की लकड़ी का उपयोग उच्च गुणवत्ता वाले हस्तशिल्प, मूर्तियों, और सजावटी वस्तुओं के निर्माण में किया जाता है। यह लकड़ी अपनी सौंदर्य और स्थायित्व के कारण बेहद महंगी होती है।

 

chandan ka ped
चंदन का फूल

चंदन के लाभ

चंदन के पेड़ के अनेक लाभ हैं:

आर्थिक लाभ

चंदन के पेड़ से प्राप्त होने वाली लकड़ी और तेल अत्यधिक महंगे होते हैं। इससे किसानों और व्यापारियों को अच्छा मुनाफा मिलता है।

स्वास्थ्य लाभ

Sandalwood Oil त्वचा को साफ और मुलायम बनाता है, साथ ही इसमें एंटीसेप्टिक गुण भी होते हैं, जो त्वचा को संक्रमण से बचाते हैं।

मानसिक लाभ

चंदन की खुशबू मानसिक शांति प्रदान करती है और तनाव कम करने में सहायक होती है। इसका उपयोग ध्यान और योग में भी किया जाता है।

पर्यावरणीय लाभ

चंदन के पेड़ का वृक्षारोपण पर्यावरण को भी लाभ पहुंचाता है। यह वृक्षारोपण कार्यक्रमों में शामिल किया जाता है, जिससे भूमि की उर्वरता बढ़ती है और पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलती है।

chandan ka ped
chandan ka ped

चंदन के प्रकार

भारत में मुख्य रूप से दो प्रकार के चंदन के पेड़ पाए जाते हैं:

  1. श्वेत चंदन (Santalum album)

    • प्रचलित नाम: सफेद चंदन, Indian Sandalwood
    • विवरण: यह सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण चंदन का प्रकार है, जिसे मुख्य रूप से दक्षिण भारत में उगाया जाता है। इसका तेल और लकड़ी दोनों ही अत्यधिक मूल्यवान होते हैं। सफेद चंदन अपनी मीठी और स्थायी खुशबू के लिए जाना जाता है, जो इसे इत्र और औषधीय उत्पादों के लिए लोकप्रिय बनाता है।
    • उपयोग: श्वेत चंदन का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों, आयुर्वेदिक चिकित्सा, इत्र, और सौंदर्य प्रसाधनों में होता है। इसका तेल त्वचा की देखभाल और मानसिक शांति के लिए भी जाना जाता है।
  2. रक्त चंदन (Pterocarpus santalinus)

    • प्रचलित नाम: लाल चंदन, Red Sandalwood
    • विवरण: यह चंदन का प्रकार मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश के जंगलों में पाया जाता है। लाल चंदन अपनी गहरी लाल लकड़ी के लिए जाना जाता है, जो हस्तशिल्प, फर्नीचर, और सजावटी वस्त्रों के निर्माण में उपयोग की जाती है। यह श्वेत चंदन की तरह सुगंधित नहीं होता, लेकिन इसकी लकड़ी बेहद मूल्यवान होती है।
    • उपयोग: रक्त चंदन का उपयोग ज्यादातर लकड़ी के सामान, मूर्तियों, और हस्तशिल्प में किया जाता है। इसके अलावा, इसका उपयोग पारंपरिक चिकित्सा और कास्मेटिक्स में भी होता है।

इन दोनों प्रकार के चंदन पेड़ों का भारत में धार्मिक, सांस्कृतिक, और व्यवसायिक महत्व है। जहां श्वेत चंदन अपनी सुगंध और औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है, वहीं रक्त चंदन अपनी लकड़ी के गुणों के कारण महत्वपूर्ण है।

 

चंदन का वृक्ष कहां पाया जाता है ?

भारत में चंदन के पेड़ मुख्य रूप से दक्षिण भारत मे पाए जाते हैं ; केरल, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, दक्षिण आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु में  बड़े बहु भाग मे इसे उगाया जाता है।

इसके अलावा उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में भी चंदन का वृक्ष पाया जाता है।

Chandan ka Ped kaisa hota hai

चंदन का पेड़ हरा रंग का होता है तथा इसकी ऊंचाई 6 से 9 मीटर के आस पास होता है। चंदन के वृक्ष की छाल का रंग भूरे, लाल या फिर काले-भूरे होता है। चंदन के वृक्ष की पत्तियां गोल आकार के साथ ही साथ काफी सॉफ्ट होते हैं।

चंदन के वृक्ष की फूल का रंग जामुनी या फिर भूरे-बैंगनी होते हैं। चंदन का वृक्ष तैयार होने में कम से कम 20 साल का वक्त लेता है। इसके वृक्ष के अंदर का भाग हल्का पीला कलर का होता है जिसकी खुशबू काफी अच्छी होती है।

चंदन का पेड़ लगभग 40 से 60 साल की उम्र के पश्चात बहुत अधिक सुगंधित वाला वृक्ष तैयार हो जाता है।

Lal Chandan ka Ped

Lal Chandan ka Ped साउथ की मूवी पुष्पा के बाद भारत का लाल चंदन काफी फेमस हो गया है ,वैसे इसका महत्व हजारों साल से भारत मे है ।

यह भारत के केवल दक्षिणी भागों के पूर्वी घाट में पाया जाता है ,यह chandan ki lakdi बहुत ही कीमती लकड़ी है और इसकी गुणवत्ता बहुत ही ज्यादा है जिसके कारण इसकी बड़े मात्रा पर तस्करी की जाती है ।

यह एक छोटा पेड़ है जो 5-8 मीटर ऊंचाई तक बढ़ता है और इसमें गहरे भूरे रंग की छाल होती है। लाल चंदन की लकड़ी का उपयोग नक्काशी, फर्नीचर, डंडे और घर के खंभों बनाने के लिए किया जाता है।

Chandan ki Lakdi Price

indiamart पर अलग अलग चंदन की लकड़ी की कीमत इस प्रकार दी गई है –

चंदन की लकड़ी की कीमत –  रु 15000 से 25000 /किग्रा

chandan ka ped
चन्दन लकड़ी से बनी माला

कृषि और संवर्धन (Cultivation)

चंदन का पेड़ उष्णकटिबंधीय जलवायु में अच्छी तरह से बढ़ता है। इसे रेत और बलुई मिट्टी में लगाया जा सकता है, लेकिन यह पानी की अधिक मात्रा में संवेदनशील होता है, इसलिए इसे जलभराव वाले क्षेत्रों से बचाना चाहिए।

Sandalwood Tree की खेती में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसे सही साथी पौधों के साथ उगाना चाहिए, क्योंकि यह एक अर्ध-पारजीवी (semi-parasitic) पौधा है और इसे अपने पोषक तत्वों के लिए अन्य पौधों की जड़ों की आवश्यकता होती है।

इसके संवर्धन के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए:

बीज चयन

चंदन के बीजों का चयन सावधानीपूर्वक करना चाहिए। स्वस्थ और उर्वर बीज ही अच्छे पौधे उत्पन्न कर सकते हैं।

सिंचाई

इसे नियमित रूप से पानी देना चाहिए, लेकिन जलभराव से बचाना चाहिए। सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन (Drip Irrigation) पद्धति का उपयोग सबसे बेहतर माना जाता है।

खाद और उर्वरक

चंदन के पौधों के लिए जैविक खाद और नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का उपयोग करना चाहिए, जिससे पौधों की वृद्धि में मदद मिलती है।

रोग और कीट नियंत्रण

चंदन के पेड़ पर विभिन्न प्रकार के कीट और रोग आ सकते हैं, इसलिए इनके नियंत्रण के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए।

चंदन के व्यवसायिक संभावनाएँ

चंदन का पेड़ न केवल एक धार्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक है, बल्कि यह एक आर्थिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक मूल्यवान है। इसके विभिन्न उपयोग और उच्च मांग इसे एक लाभदायक फसल बनाते हैं। आइए इसके व्यवसायिक संभावनाओं पर एक नजर डालते हैं:

1. चंदन का तेल (Sandalwood Oil) का व्यापार

  • उच्च मांग: चंदन का तेल अत्यधिक महंगा और उच्च मांग वाला उत्पाद है। इसका उपयोग इत्र, सौंदर्य प्रसाधन, और आयुर्वेदिक चिकित्सा में होता है।
  • निर्यात अवसर: Sandalwood Oil का निर्यात बड़े पैमाने पर किया जाता है, विशेषकर मध्य-पूर्व, यूरोप, और अमेरिका में, जहाँ इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।

2. चंदन की लकड़ी (Sandalwood Wood) का व्यवसाय

  • अंतरराष्ट्रीय मांग: चंदन की लकड़ी, विशेषकर श्वेत चंदन, अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहद लोकप्रिय है। इसका उपयोग उच्च गुणवत्ता वाले हस्तशिल्प, फर्नीचर, और सजावटी वस्तुओं के निर्माण में होता है।
  • लंबी अवधि का निवेश: चंदन के पेड़ की लकड़ी का मूल्य समय के साथ बढ़ता है, जिससे यह एक दीर्घकालिक और लाभकारी निवेश बनता है।

3. कृषि और वृक्षारोपण (Sandalwood Plantation)

  • सरकारी प्रोत्साहन: भारत सरकार द्वारा चंदन की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाएँ और सब्सिडी प्रदान की जाती हैं। इससे किसानों को आर्थिक लाभ मिलता है और वे इस फसल को उगाने के लिए प्रेरित होते हैं।
  • पर्यावरणीय लाभ: चंदन के वृक्षारोपण से न केवल आर्थिक लाभ होता है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक है। इसके वृक्षारोपण से भूमि की उर्वरता बढ़ती है और पर्यावरण संतुलन बना रहता है।

4. सौंदर्य और प्रसाधन उद्योग (Cosmetic and Beauty Industry)

  • विविध उत्पादों में उपयोग: चंदन का तेल और पाउडर कई प्रकार के सौंदर्य प्रसाधनों में उपयोग होता है, जैसे फेस क्रीम, साबुन, और इत्र। इसकी सुगंध और त्वचा को लाभ पहुंचाने वाले गुण इसे इस उद्योग में महत्वपूर्ण बनाते हैं।
  • बाजार की वृद्धि: प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उत्पादों की बढ़ती मांग के कारण चंदन आधारित सौंदर्य प्रसाधनों का बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है।

5. आयुर्वेदिक और चिकित्सा उद्योग (Ayurvedic and Medical Industry)

  • आयुर्वेद में महत्व: चंदन का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में सदियों से हो रहा है। त्वचा रोगों, जलन, और मानसिक तनाव के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है।
  • औषधीय उत्पादों का निर्माण: Sandalwood से बने औषधीय उत्पादों की मांग भारत और विदेशों में तेजी से बढ़ रही है, जो इस उद्योग को एक लाभदायक व्यवसायिक विकल्प बनाता है।

6. धार्मिक और सांस्कृतिक उत्पाद (Religious and Cultural Products)

  • चंदन पेस्ट और धूप: चंदन का पेस्ट और धूप धार्मिक अनुष्ठानों में अत्यधिक उपयोगी हैं। मंदिरों और धार्मिक संस्थानों में इनकी लगातार मांग बनी रहती है।
  • विशेष आयोजनों में उपयोग: चंदन से बने उत्पाद जैसे मूर्तियाँ और पूजा सामग्री विशेष धार्मिक आयोजनों और त्योहारों में बड़े पैमाने पर बेचे जाते हैं।

7. इंटरनेशनल मार्केट में विस्तार (Expansion into International Markets)

  • उभरते बाजार: भारत के अलावा, Sandalwood Products की मांग चीन, जापान, और दक्षिण कोरिया जैसे एशियाई देशों में भी बढ़ रही है। इस विस्तार से व्यवसायिक संभावनाएँ और अधिक बढ़ जाती हैं।
  • वैश्विक ब्रांडिंग: चंदन आधारित उत्पादों के लिए वैश्विक ब्रांडिंग और प्रमोशन से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिक्री में वृद्धि की जा सकती है।

चंदन का तेल भी अत्यधिक महंगा होता है और इसका निर्यात (Export) भी बड़े पैमाने पर किया जाता है। Sandalwood की लकड़ी की भी अंतरराष्ट्रीय बाजार में अच्छी मांग है, जिससे यह व्यवसायिक रूप से एक बेहद आकर्षक विकल्प बन जाता है।

इसके अलावा, सरकार द्वारा भी चंदन की खेती को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न योजनाएँ और सब्सिडी (Subsidies) प्रदान की जाती हैं, जो इस व्यवसाय को और भी आकर्षक बनाती हैं।

यह भी पढ़ें : चिलबिल का पेड़ कैसा होता है ।

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके जरूर बताएं , ऐसे ही पेड़-पौधों और गार्डेन से जुड़ी रोचक और उपयोगी जानकारी के लिए hindigarden.com से जुड़े रहें , धन्यवाद ।

Happy Gardening..

Leave a Comment

x