बॉम्बेक्स सीबा एक पेड़ की प्रजाति है जिसे आमतौर पर red silk-cotton tree या silk-cotton tree के रूप में जाना जाता है। यह भारत, बांग्लादेश, म्यांमार, थाईलैंड और चीन के कुछ हिस्सों सहित एशिया के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों का मूल निवासी है।
पेड़ 60 मीटर ऊंचाई तक बढ़ सकता है और आधार पर बट्रेस के साथ एक सीधा ट्रंक होता है। इसकी पत्तियाँ पर्णपाती deciduous होती हैं, जिसका अर्थ है कि वे शुष्क मौसम में गिर जाती हैं, और पेड़ गुलाबी, लाल या नारंगी रंग के बड़े फूल पैदा करता है।फूल के साथ यह पेड़ बहुत ही विहंगम लगता है ।
सेमल का पेड़ एशिया के कई हिस्सों में सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है और पूरे इतिहास में इसका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है।
इसकी छाल का उपयोग पारंपरिक चिकित्सा में किया जाता है, इसकी लकड़ी का उपयोग निर्माण और ईंधन के लिए किया जाता है, और इसके रेशे का उपयोग कपड़ा बनाने और तकिए और गद्दों में भरने के लिए किया जाता है। पेड़ को कुछ संस्कृतियों में पवित्र भी माना जाता है और इसे अक्सर मंदिरों और अन्य महत्वपूर्ण स्थलों के पास लगाया जाता है।
सेमल का पेड़ कैसा होता है
सेमल का वृक्ष उन सभी वृक्षों में से एक माना जाता है, जिनका इस्तेमाल लंबे वक्त से अलग अलग कामों के लिए व्यक्ति के माध्यम से हमेशा किया जा रहा है। सेमल के वृक्ष में लाल रंग के फूल निकलते हैं। सेमल के वृक्ष के फल बिल्कुल केले के जैसे ही दिखता है। फल जब कच्चा होता है तो ग्रीन कलर और पकने के बाद भूरे कलर में परिवर्तित हो जाता है।
इस पेड़ की औसत ऊंचाई लगभग 20 मीटर तक होती है। यह भारत के उपउष्णकटिबंधीय और उष्णकटिबंधीय के जंगलों में लगभग 60 मी ऊंचाई तक पाए जाते हैं। यही नहीं सेमल के पेड़ की लकड़ियों का इस्तेमाल व्यापारिक तौर पर फर्नीचर निर्माण करने के लिए भी किया जाता है। सेमल का पेड़ एक ऐसा पेड़ है जिसके हर भागों का इस्तेमाल किया जा सकता है।
सेमल के वृक्ष का वानस्पतिक नाम क्या है
सेमल के वृक्ष का वानस्पतिक नाम बॉम्बैक्स सीबा ( Bombax ceiba ) है। यह बॉम्बेकेसी कुल का वृक्ष है।
सेमल के वृक्ष को अन्य भाषाओं में क्या – क्या कहा जाता है
- हिंदी :- हिंदी भाषा में इस वृक्ष को सेमल और सेमर के नाम से जाना जाता है।
- गुजरात :- गुजराती भाषा में इस वृक्ष को सीमुलो और शीमलो के नाम से जाना जाता है।
- अंग्रेजी :- अंग्रेजी में इस वृक्ष को Red Silk cotton tree और बाम्बेक्स कहते हैं।
- नेपाल :- नेपाली भाषा में इस पेड़ को सीमल कहते हैं।
- संस्कृत :- संस्कृत भाषा में इस वृक्ष को पिच्छिला, शाल्मलि, पूरणी, मोचा, रक्तपुष्पा तूलिनी कहते हैं।
- बंगाल :- बंगाली भाषा में इस पेड़ को शिमुल गाछ, पगून, रोक्तो सिमुल के नाम से जानते हैं।
- मराठी :- मराठी भाषा में इस वृक्ष को लाल सांवर, कांटे सांवर, सरमलो और सेमल के नाम से जानते हैं।
सेमल के वृक्ष के फायदे
जैसा कि मैंने आपको पहले भी बताया है कि सेमल के वृक्ष के विभिन्न फायदे होते है। जो कि इस प्रकार है :-
मुंहासे जैसी समस्या में सेमल के फायदे
यदि आपके भी मुंह में कील, मुंहासे जैसे समस्या है, तो इससे निजात पाने के लिए आपको सेमल का इस्तेमाल करना चाहिए। आपको इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए सेमल के पेड़ की पत्तियों या छाल को घिसना होता है। फिर इसके पेस्ट को मुंहासे वाली जगह पर लेप करने से निशान के साथ ही ये समस्या बिल्कुल ठीक हो जाएगा।
पुरानी खासी में सेमल के फायदे
यदि आपको बहुत दिन से खांसी की समस्या है और यह छूटने का नाम नहीं ले रही है, तो इससे निजात पाने के लिए आपको सिर्फ सेमल का इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि सेमल में पाए जाने वाले पोषक तत्व आपकी खांसी को ठीक करने में काफी लाभकारी सिद्ध हो सकता है। इसके लिए आपको सेमल के वृक्ष के जड़ का सूखा पावडर, सोंठ व काली मिर्च एक बराबर मात्रा में ले लें। फिर आपको इन तीनों चीज को अच्छे से पीसकर गुनगुने आधे स्पून पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने की आवश्यकता होती है।
अतिसार जैसी समस्या में सेमल के लाभ
अतिसार यानी कि डायरिया जैसी समस्या काफी गंभीर हो सकती है। इसलिए इसका जल्द ही उपचार करना जरूरी होता है। यदि आपको भी अतिसार जैसी समस्या होती है, तो आपको इससे छुटकारा पाने के लिए सेमल का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए आपको सेमल के पत्तो के डंठल का काढ़ा तैयार करना होता है। फिर आपको इसे ठंडा करने के बाद 50 से 100 मिली की मात्रा में सेवन करना चाहिए। इससे अतिसार जैसी समस्या में फायदा होने के साथ ही साथ दस्त जैसी समस्या का भी समाधान हो जाता है।
गांठ, गिल्टी जैसी बीमारी में सेमल के फायदे
यदि आपके भी बॉडी के किसी बाहरी हिस्से पर गांठ या सूजन जैसी गंभीर समस्या होती है, तो इसके लिए आपको सेमल के वृक्ष की पत्तियों को पीसना होता है। फिर इस पेस्ट को अपने समस्या वाली जगह पर लेप करने से या बांधने से गांठ जैसी समस्या को दूर कर सकते हैं।
चोट या जख्म जैसी समस्या का इलाज सेमल से कर सकते हैं
यदि आपको भी चोट या जख्म जैसी समस्या होती है और यह भरने का नाम नहीं ले रहा, तो ऐसे में आपको सेमल का इस्तेमाल करना चाहिए। अब इसके इलाज के लिए आपको सेमल के वृक्ष के छाल को पीसना या फिर घिसना होगा फिर इस पेस्ट को अपने जख्म वाली जगह पर अच्छे से लगा ले कुछ ही दिनों में आपका जख्म भर जाएगा।
ल्यूकोरिया जैसी समस्या में सेमल के फायदे
आज के समय में महिलाओं में ल्यूकोरिया जैसे समस्या का होना कॉमन बात हो गया है। ऐसे में आपको सेमल के फ्रेस फल को देशी घी अथवा सेंधा नमक के साथ सब्जी बनाकर भी इसका फायदा उठाया जा सकता है।
सेमल का वृक्ष के इस्तेमाल करने वाले भाग
नीचे दिए गए भागों का इस्तेमाल किया जा सकता है। जो की इस प्रकार है :-
- सेमल के फूल
- सेमल के पत्ते
- सेमल के फल
- और निर्यास ( गोंद / मोचरस )
कितनी मात्रा में सेवन करना चाहिए
- पुष्प स्वरस :- 10 से 20 मिली मात्रा में इस्तेमाल करें।
- निर्यास ( गोंद ) :- गोंद का इस्तेमाल एक से तीन ग्राम करना चाहिए।
- मूल चूर्ण :- इसका इस्तेमाल 5 से 10 ग्राम करना चाहिए।
- फल चूर्ण :- फल चूर्ण का इस्तेमाल दो से तीन ग्राम करना चाहिए।
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