शहतूत का टेस्ट जितना स्वादिष्ट होता है, उससे कई गुना ज्यादा ये हेल्थ के लिए लाभदायक सिद्ध होता है। आयुर्वेद में शहतूत के वृक्ष के विभिन्न फायदे बताए जाते हैं। शहतूत के वृक्ष में भरपूर मात्रा में फॉस्फोरस, विटामिन ए और पोटैशियम पाए जाते हैं। मुख्य रूप से शहतूत दो तरह के होते हैं। शहतूत को एक ऐसा फ्रूट होता है, जिसे लोगों द्वारा कच्चे और पके दोनो तरह से सेवन किए जाते हैं। चीन में सबसे पहले शहतूत के वृक्ष को पाया गया था।
शहतूत का वृक्ष
शहतूत के पेड़ की ऊंचाई लगभग 3 से 7 मीटर और मध्यमाकार का होता है। इस वृक्ष की पत्तियां सीधे और कई आकर के दिखाई देते हैं। पत्ते की लंबाई 5 से 7.5 सेमी और गोल आकार के होते हैं। शहतूत के फूल की रंग हरे होती है। जनवरी से लेकर जून तक के बीच में इस वृक्ष पर फल और फूल दोनों लगने शुरू हो जाते हैं। शहतूत के फल जब कच्चे होते हैं तो उजले रंग के होते हैं और पकने के पश्चात ये फल हरे और भूरे रंग के होते हैं।
शहतूत के वृक्ष को भारत में कहां पाया जाता है
शहतूत के वृक्ष को इंडिया में मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, कश्मीर, पंजाब, उत्तराखंड और उत्तरी पश्चिमी हिमालय में उगाया जाता है। शहतूत के वृक्ष का फल का रंग काले, लाल और नीले होते हैं। इस फल के तीखे और मीठे टेस्ट की वजह से इसका अधिकतर किस्मों का प्रयोग जैम, शराब, जेली, शर्बत, चाय, पाइज इत्यादि में के लिए भी किए जाते हैं।
शहतूत के वृक्ष के वानस्पतिक नाम क्या है
शहतूत के वृक्ष का वानस्पतिक नाम Moras alba है और ये मोरेसी कुल का वृक्ष है। इसके अन्य नाम white mulberry, common mulberry और silkworm mulberry हैं ।
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शहतूत के कितने प्रजातियां पाई जाती है
शहतूत के मुख्य रूप से दो प्रजातियां पाए जाते हैं।
- पहला तूत ( शहतूत )
- और दूसरा तूतड़ी
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शहतूत को अन्य भाषाओं में क्या–क्या बुलाते हैं
शहतूत को अन्य भाषाओं में विभिन्न नाम से जानते हैं, जो की इस प्रकार है :-
संस्कृत :- संस्कृत भाषा में इस वृक्ष को ब्रह्मकाष्ठ, ब्रह्मदारु, तूत, मृदुसार, तूल, सुपुष्प और तूद के नाम से बुलाते हैं।
हिंदी :- हिंदी में इस वृक्ष को सहतूत, शहतूत, चिन्नी, तुतरी और तूत के नाम से जानते हैं।
मराठी :- मराठी में इस वृक्ष को तूत कहते हैं।
तमिल :- तमिल भाषा में इस पेड़ को काम्बीलीपुच और पट्टूपूची कहते हैं।
नेपाल :- नेपाली भाषा में इस पेड़ को किंबू के नाम से जानते हैं।
पंजाब :- पंजाबी भाषा में इस वृक्ष को तूत कहते हैं।
बंगाल :- बंगाली भाषा में इस वृक्ष को तूत के नाम से जानते हैं।
अरेबिक :- अरेबिक में इस पेड़ को तूत और तूथ दोनों नामो से जानते हैं।
शहतूत के वृक्ष के लाभ और इस्तेमाल
शहतूत के वृक्ष के अन्य भागों के लाभ, इस्तेमाल और मात्रा एवं प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है :-
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कंठमाला बीमारी में शहतूत के फायदे
यदि किसी व्यक्ति को कंठमाला बीमारी हो जाता है, तो उसे कोई भी चीज का सेवन करने में कंठ में तकलीफ होती है। यदि आप भी कंठमाला जैसे बीमारियों का सामना कर रहे हैं और काफी परेशान है, तो इस परेशानी को दूर करने के लिए आपको शहतूत का इस्तेमाल करना चाहिए। कंठमाला जैसी गंभीर समस्या से निजात पाने के लिए आपको शहतूत के फल का शर्बत बनाना होता है। शहतूत के फल से बने इस शरबत का सेवन कर आप अपने कंठमाला जैसी बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं।
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पाचनतंत्र विकार में शहतूत का करें इस्तेमाल
यदि आपको भी पाचन तंत्र से संबंधित कोई समस्या है, तो इससे राहत पाने के लिए आपको शहतूत का इस्तेमाल करना चाहिए। आपको शहतूत के फल का शर्बत बनाना होगा और इसमें 500 मिग्री पिप्पली पाउडर मिलाना होगा। उसके बाद आप इस शरबत का ग्रहण करना चाहिए। इससे आपके पाचनतंत्र से संबंधित समस्या में फायदा होगा।
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दस्त जैसी परेशानी में शहतूत के फायदे
यदि आप भी दस्त जैसी परेशानी से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो शहतूत आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकता है। यदि आप 5 से 10 मिली शहतूत के फल की जूस को ग्रहण करते है, तो इससे दस्त जैसी समस्या में रोक लग सकती है।
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स्कीन से जुड़ी बीमारी में शहतूत के फायदे
स्कीन से जुड़ी कोई भी बीमारियों में शहतूत के औषधीय गुण से फायदा प्राप्त होता है। यदि आपको भी स्कीन से जुड़ी कोई समस्या होती है, तो आपको उसके उपचार के लिए शहतूत के पत्ते को पीसने की आवश्यकता होती है। फिर इस लेप को अपने स्कीन पर अच्छे से लगा ले। आपको जल्द ही स्किन रोग में फायदा होगा।
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पेट में कीड़े होने पर शहतूत के लाभ
यदि आपके भी पेट में कीड़े हो गए हैं, तो कीड़े की समस्या को खत्म करने के लिए आपको शहतूत का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए आपको 5 से 10 मिली शहतूत के वृक्ष की जड़ की छाल का काढ़ा तैयार करना होगा। फिर इसके सेवन से आपके पेड़ के कीड़े की समस्या खत्म हो जाएगी। यदि आप एक ग्राम शहतूत की छाल के पाउडर में शहद मिश्रण करके सेवन करेंगे, तो आपको इसमें काफी लाभ होगा और पेट के सारे कीड़े भी निकल जाएंगे।
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बदहजमी की समस्या में शहतूत के लाभ
बदहजमी जैसी समस्या में लाभ पाना चाहते हैं, तो उसके लिए आपको 5 से 10 मिली शहतूत के फल का जूस पीना होगा। इस उपाएं से बदहजमी, सीने की दर्द, दस्त और पेट के कीड़े की समस्या में भी काफी फायदा होता है।
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कब्ज जैसी रोग में भी शहतूत के फायदे
यदि आप भी कब्ज जैसी रोग से जूझ रहे हैं, तो उसके लिए आपको शहतूत का इस्तेमाल करना चाहिए। आपको 5 से 10 मिली शहतूत के फल के जूस का सेवन करना चाहिए। इससे कब्ज जैसी रोग में फायदा होता है।
शहतूत के किन किन हिस्सों का इस्तेमाल किया जाता है
शहतूत के वृक्ष के इन हिस्सों का इस्तेमाल किसी न किसी रोग को दूर करने के लिए किया जाता है :-
- शहतूत के पत्ते
- शहतूत के छाल
- शहतूत के फल
- शहतूत के बीज
शहतूत के उपयोग करने की प्रक्रिया
नीचे दिए गए मात्रा में ही आपको शहतूत का सेवन करना चाहिए :-
- सहतुत की जड़ की छाल :- आपको शहतूत के जड़ की छाल का इस्तेमाल 5 से 10 मिली मात्रा में करना चाहिए।
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sahtoot ka ped rajasthan me bi paya jata hai
dhanyAWAD