Arjun ka ped का पेड़ भारत के वनस्पति जगत का एक महत्वपूर्ण पेड़ है। यह पेड़ आमतौर पर नदी के किनारे और नम स्थानों पर पाया जाता है। अर्जुन का पेड़ अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है, खासकर हृदय रोगों के उपचार में इसका विशेष महत्व है।
अर्जुन की छाल का उपयोग पारंपरिक आयुर्वेदिक चिकित्सा में किया जाता है। इसकी छाल में मौजूद तत्व हृदय को मजबूत बनाते हैं और रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।
इसके अलावा, अर्जुन की छाल का उपयोग त्वचा रोगों, मूत्र विकारों, और मधुमेह के उपचार में भी किया जाता है।arjun ka ped kaisa hota hai
अर्जुन के पेड़ arjun ka ped kaisa hota hai
अर्जुन का पेड़ तकरीबन 70 से 80 फिट लंबा (ऊंचा) होता है। पत्ते अमरुद के पत्तों जैसे 7 से 20 सेण्टीमीटर लंबे आयताकार होते हैं या कहीं-कहीं नुकीले होते हैं।
terminalia arjuna मे फल वसंत में ही आते हैं, सफेद या पीले मंजरियों में लगे होते हैं जिनमें हल्की सी सुगंध भी होती है। 2 से 5 सेण्टी मीटर लंबे ये फल कच्ची अवस्था में हरे-पीले तथा पकने पर भूरे-लाल रंग के हो जाते हैं।
फलों की गंध अजीब सी व स्वाद कसौला होता है फल ही अर्जुन का बीज है। arjun tree का गोंद स्वच्छ सुनहरा, भूरा व पारदर्शक होता है। अर्जुन के पेड़ का फोटो नीचे दिया गया है –
अर्जुन का पेड़ का महाभारत से क्या जुड़ाव है
हिन्दू धर्म के पुराणों के अनुसार Terminalia arjuna के पेड़ को पवित्र माना जाता है और हिन्दू महाकाव्य, महाभारत से संबंधित माने जाते हैं।
महाभारत के अनुसार पांडवों के पुत्र अर्जुन ने भगवान शिव से “पशुपतास्त्र” नामक दैवीय अस्त्र को प्राप्त किया।इसी अस्त्र का प्रयोग करके अर्जुन ने जयद्रथ का वध किया था ।
कहा जाता है कि अर्जुन ने Terminalia arjuna के पेड़ के नीचे कठोर तपस्या (प्रतियोग) करके इस अस्त्र को प्राप्त किया।
आज भी इसे कई जगहों पर पवित्र माना जाता है तथा पुराने मंदिरों के आसपास इसे देखा जा सकता है । शहरों मे अगर इसे देखना है तो cantonment एरिया मे इसे देखा जा सकता है ।
इसको पहचानने का आसान तरीका यह है कि इसकी पत्तियां अमरूद की पत्तियों की तरह दिखती हैं पर पेड़ की ऊंचाई काफी बड़ी होती है ।
अर्जुन का पेड़ कहां-कहां पाया जाता है
arjun tree ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्र, नाला जैसे जगह, मध्यप्रदेश राज्य और बिहार राज्य में पाया जाता है। अगर आप मध्यप्रदेश राज्य या बिहार राज्य के निवासी हैं तो आपने अर्जुन का पेड़ अवश्य देखा होगा।
अर्जुन पेड़ को किस-किस नाम से जाना जाता है
अर्जुन के पेड़ का वानस्पतिक नाम terminalia arjuna / arjuna myrobalan है ।
नाम मे ही अर्जुन का जुड़ा होना ही बताता है कि यह पूरी तरह से भारतीय है ।
अलग-अलग भाषाओं में अर्जुन के पेड़ को कई तरह के नाम से बुलाया और जाना जाता है। । अगर हम उर्दू भाषा मे इसे अर्जन कहा जाता है तथा अरबी भाषा मे इसे अर्जुन पोस्त कहा जाता है।
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अर्जुन पेड़ के फायदे क्या-क्या है
इस पेड़ से निकलने वाले छाले, पत्तियां, जड़े इत्यादि कई सारे रोगों को ठीक करने में फायदेमंद हैं। अब आपके मन में यह सवाल जरूर उठ रहा होगा की कौनसी बीमारी में अर्जुन का पेड़ फायदेमंद है ? तो आइए नीचे जानते है अर्जुन पेड़ के फायदे के बारे में :-
अर्जुन के पेड़ की छाल
अर्जुन के पेड़ की छाल का उपयोग चाय बनाने के लिए किया जाता है जिसे स्वास्थ्य लाभ माना जाता है। यह चाय सूखे अर्जुन की छाल के टुकड़ों को पानी में उबाल कर बनाई जाती है, जिसके परिणामस्वरूप चाय का स्वाद थोड़ा कड़वा होता है।
अर्जुन पेड़ की छाल चाय से जुड़े कुछ स्वास्थ्य लाभों में हृदय स्वास्थ्य का समर्थन करने, तनाव और चिंता को कम करने, उच्च रक्तचाप को कम करने और समग्र हृदय क्रिया में सुधार करने की क्षमता शामिल है।
अर्जुन की छाल में सक्रिय यौगिक, जैसे टैनिन, फ्लेवोनोइड्स और ग्लाइकोसाइड्स, इसके औषधीय गुणों के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जबकि अर्जुन की छाल की चाय को ज्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित माना जाता है, इसके अत्यधिक सेवन से कुछ दुष्प्रभाव हो सकते हैं, जैसे पेट खराब होना, मतली या दस्त।
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के साथ-साथ लीवर या किडनी की बीमारी वाले लोगों को अर्जुन की छाल की चाय का सेवन करने से बचना चाहिए।
किसी भी हर्बल उपचार की तरह, अर्जुन छाल चाय का सुरक्षित और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए इसका उपयोग करने से पहले एक स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करना सबसे अच्छा है।
पेशाब की समस्या को ठीक करे
यदि आप हर रोज अर्जुन पेड़ से निकलने वाले छाले का काढ़ा बनाकर सेवन करते हैं तो आपको हो रही पेशाब की समस्या ठीक हो सकती है। आपको प्रतिदिन 40ml काढ़ा का सेवन करना होगा।
दिल के धड़कन को कम करने में है सहायक
अगर आपको दिल के धड़कन की बीमारी है तो आप अर्जुन के छाल को कूटकर पाउडर बना लें। इसके बाद 1 चमच पाउडर खाली गिलास में रख लें।
अब आप 1 गलास टमाटर का रस और 1 चमच पेड़ के छाल का पाउडर दोनों का मिश्रण कर लें और सेवन कर लें। जिसके बाद दिल की धड़कने कम हो जाएगी।
वजन घटाने में है फायदेमंद
अभी के समय में हर व्यक्ति वजन घटाने के लिए कई तरह के दवाईयां खा रहे हैं। इसके अलावा तरह-तरह के वर्कआउट भी कर रहे हैं। ऐसा करने के बावजूद भी उनका वजन कम नहीं हो रहा है।
यदि आप अर्जुन पेड़ के छाले से निर्माण किया गया टैबलेट खाते हैं तो आपका मोटापा धीरे-धीरे कम हो सकता है।
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स्पर्म की संख्या बढ़ाने में मददगार
अगर कोई व्यक्ति नियमानुसार Arjun ka ped के छाल का बना काढ़ा पिता है तो उसे स्पर्म से संबंधित कई प्रकार के बीमारियों से छुटकारा प्राप्त हो सकता है। इसके अलावा स्पर्म की संख्या भी बढ़ेगी।
अर्जुन की छाल के नुकसान बताइए
arjuna bark कई सारे फायदे है तो इसके कुछ नुकसान भी है। अब हम इसके नुकसान के बारे में जानेंगे।
- पेट में हल्का-हल्का सूजन हो सकता है और सूजन के कारण दर्द जैसी समस्या उत्त्पन हो सकता है।
- कई बार कब्ज जैसी भी परेशानी हो सकती है।
- कई लोगों को काढ़े का सेवन करने से नींद न लगने की समस्या पैदा हो सकती है।
- बदन दर्द के साथ-साथ सिर दर्द जैसी बीमारी उखड़ सकती है।
- उल्टी और कमजोरी की परेशानी भी हो सकती है।
अर्जुन का पेड़ कैसे और कब लगाएं
यदि आप अर्जुन का पेड़ लगाना चाहते हैं तो आप इस पेड़ को किसी ऐसे स्थान पर लगाएं जहां खुला जगह हो। क्योंकि, अर्जुन का पेड़ काफी लंबा होता है।
आप चाहें तो arjun plant को रोड के किनारे या फिर खुले मैदान में लगा सकते हैं। इसके अलावा अर्जुन का पेड़ बारिश जैसे मौसम में नहीं लगाना चाहिए। क्योंकि, यह पेड़ नमी जैसे जगहों में होता है आप अपने क्षेत्रीय नर्सरी से arjun plant खरीदकर अपने मन मुताबिक जगहों पर लगा सकते हैं।
Arjun Tree से बनने वाली दवाएं
यहाँ Terminalia arjuna का उपयोग किये जाने वाले कुछ हर्बल आयुर्वेदिक फर्मूलेशन हैं, जैसे:
- Arjunarishta
- Arjuna powder
- Arjunamrita
- Arjunavleha
- Arjunadi vati
ये फर्मूलेशन भारत में उनके स्वास्थ्य लाभों के संभावना के लिए प्रचलित रूप से उपयोग किये जाते हैं, हालांकि उनके प्रभावों और सुरक्षा को पूरी तरह समझने के लिए अधिक अनुसंधान की आवश्यकता है।
इसके अलावा, Terminalia arjuna extract का उपयोग करने वाले कुछ आधुनिक पोषण पूर्ण उत्पाद भी उपलब्ध हैं। ये उत्पादों की गुणवत्ता और सुरक्षा विविधता हो सकती है, इसलिए कुछ नये पूर्ण उत्पाद लेने से पहले सम्बंधित स्वास्थ्य के विशेषज्ञ से राय जरूर ले लेना चाहिए ।
आपको यह जानकारी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके जरूर बताएं ,ऐसे ही पेड़-पौधों और गार्डेन से जुड़ी रोचक और उपयोगी जानकारी के लिए hindigarden.com से जुड़े रहें , धन्यवाद ।
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