धनिया लगाने की बेस्ट विधि जिससे आप कभी फेल नही होंगे | dhaniya ke fayde

धनिया आमतौर पर खाना पकाने में उपयोग की जाने वाली एक जड़ी-बूटी है, विशेष रूप से एशियाई, मध्य पूर्वी और भूमध्यसागरीय व्यंजनों में।

इसमें एक खट्टे, थोड़ा मीठा स्वाद होता है और इसे अक्सर करी, सूप और सलाद जैसे व्यंजनों के लिए गार्निश या मसाला के रूप में उपयोग किया जाता है। स्वास्थ्य के हिसाब भी dhaniya ke fayde अनगिनत हैं ।

धनिया के पौधे के बीजों का उपयोग मसाले के रूप में भी किया जाता है, या तो साबुत या पीसा हुआ, कई अलग-अलग व्यंजनों में।

धनिया का परिचय और इतिहास

इज़राइल की एक गुफ़ा में धनिया के प्राप्त प्राचीन सूखे हुये फूल पाये गए वो लगभग 5000 साल से भी पुराने हैं , वैसे ये मेरी समझ के बाहर है कि कैसे किसी फसल के अवशेष हजारों साल तक बचे रहते हैं जबकि सभी जैविक पदार्थों का विघटन भी होता रहता है पर ज़ाहिर है ये एक Archaeology का विषय है ।

इसका ज़िक्र बाइबिल में भी पाया गया है साथ ही हमारे आयुर्वेद में भी हजारों साल पहले इसका उल्लेख मिलता है । प्राचीन काल से ही कई बीमारियों मे एक घरेलू उपचार के रूप में धनिया को बहुत उपयोगी माना जाता है ।

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धनिया के फायदे Benefits of Coriander

धनिया फाइबर , आयरन , मैंगनीज़ , और मैग्निशियम का बहुत ही उत्तम स्रोत है ।इसके अतिरिक्त धनिया पत्ती Vitamin C , Vitamin K और प्रोटीन से भरपूर होता है , इसके साथ ही इसमें कुछ मात्रा में कैल्शियम , फास्फोरस , थियमीन , और कैरोटीन भी पाया जाता है । हमारे शरीर पर धनिया के फायदे कुछ इस प्रकार है –

1 – धनिया Bad Cholesterol को कम करता है तथा Good Cholesterol के स्तर को बढ़ता है ।

2 – भोजन के पाचन के लिए धनिया बहुत ही उत्तम है , यह लीवर और आंत के सही Function में सहायता करता है ।

3 – धनिया मधुमेह में बहुत लाभकारी है , यह ब्लड शूगर के स्तर को कम करता है ।

4 – धनिया में मिलने वाला Vitamin K अल्जाइमर रोग के इलाज़ में लाभकारी है ।

5 – धनिया का नियमित सेवन यह गठिया रोग में भी काफी फायदा कर सकता है ।

6 – धनिया अपने Anti – Septic गुणों के कारण मुह के अल्सर में काफी राहत देता है ।

7 – धनिया के दाने महिलाओं के मासिक धर्म नियमित रखने में सहायक होते हैं ।

8 – धनिया में मौजूद आयरन अनिमिया से पीड़ित रोगियों के लिए काफी लाभकारी होता है ।

Dhaniya ka Pani Peene ke Fayde

धनिया का पानी धनिया के बीजों को पानी में भिगोकर बनाया जाता है और आमतौर पर आयुर्वेद और यूनानी जैसी पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों में इसका उपयोग किया जाता है। धनिया पानी के कुछ संभावित लाभों में शामिल हैं:

पाचन मे सहायता

माना जाता है कि धनिया का पानी पाचन में सहायता करता है और सूजन, गैस और कब्ज को कम करने में मदद कर सकता है।

एंटी-इंफ्लेमेटरी

धनिया के पानी में एंटीऑक्सिडेंट होते हैं जिनमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं और यह शरीर में सूजन को कम करने में मदद कर सकता है।

रक्त शर्करा नियंत्रण

कुछ अध्ययन बताते हैं कि धनिया का पानी रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, जो मधुमेह वाले लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है।

कोलेस्ट्रॉल प्रबंधन

धनिया का पानी एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और एचडीएल (अच्छे) कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है।

प्रतिरक्षा समर्थन Immune support

धनिया के पानी में विटामिन और खनिज होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन करने और संक्रमण से बचाने में मदद कर सकते हैं।

धनिया कब लगाना चाहिए – जलवायु

शुष्क एवं ठंडा मौसम धनिया के लिए सबसे उपयुक्त रहता है , “ बीजों के सही तरीके से अंकुरण के लिए 22 से 28 डिग्री C का तापमान आदर्श रहता है ।“

शुष्क मतलब जब वातावरण में Humidity न हो या कहें जब बारिश का मौसम न हो । इन बातों को ध्यान में रखकर ही आपको धनिया कि बुआई करनी है ।

इसलिए भारत विशेषकर उत्तर भारत में धनिया के बीज लगाने का सबसे सही समय अक्तूबर –नवंबर उसके बाद जनवरी –फरवरी माना जाता है । इसके अलावा मानसून के आने के ठीक पहले यानि मई – जून में भी इसको लगा सकते हैं ।

आम तौर पर मानसून व अत्यधिक ठंड (तापमान 5 डिग्री के नीचे) को छोडकर अन्य किसी भी समय में धनिया लगाई जा सकती है । धनिया के लिए पाला बहुत घातक साबित हो सकता है । 

व्यावसायिक रूप से खेती करने वाले किसान पत्ते या फिर धनिया दानो (दोनों में से जो भी लक्ष्य हो) के हिसाब से अलग अलग समय पर बुआई करते हैं । हम घर पर ज़्यादातर पत्तों के लिए ही उगते हैं इसलिए समय का उतना महत्व नहीं है जितना किसानों को रहता है ।

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कहाँ से लेना है

किचन से

हमारे किचन में मसालों के साथ use होने वाले धनिया दानों का इस्तेमाल इन्हें उगाने के लिए भी किया जा सकता है । इनसे भी अच्छी किस्म कि धनिया पत्ती प्राप्त की जा सकती है ।

बाज़ार से

अपने शहर के बीज भंडार या किसी नर्सरी से भी आप धनिया के पैकेट खरीद के ल सकते हैं । ये Chemically Treated होते हैं इसलिए ये थोड़े लाल रंग लिए हुये होते है जबकि साधारण धनिया दाने थोड़ा हरा रंग लिए होते हैं ।

Online भी अच्छे किस्म के हाइब्रिड बीज खरीद सकते हैं जिनका अंकुरण ज्यादा अच्छी तरह से और सफलता का प्रतिशत ज्यादा रहता है ।

धनिया की पौध नर्सरी इत्यादि पर नहीं मिलती है आपको बीज से ही इसे उगाना रहता है ।

मिट्टी कैसी तैयार करना है

पहला तरीका  

गार्डेन soil    50%

कम्पोस्ट     25 %

नदी की रेत   25 %

वर्मी कम्पोस्ट और गोबर की खाद दोनों में से जो उपलब्ध हो उसका प्रयोग किया जा सकता है , ध्यान रहे जब गोबर की खाद प्रयोग करें तो वह कम से कम 2 साल की सदी हुई होनी चाहिए जो काले रंग की बिलकुल भुरभुरी हो जाती है ।

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दूसरा तरीका

कुछ लोग Soilless मीडिया का प्रयोग पसंद करते हैं , जिसमें कोकोपीट का प्रयोग किया जाता है , Soil Less मीडिया में फंगस का खतरा कम रहता है –

कोकोपीट      40 %

गोबर खाद     30 %

वर्मी कम्पोस्ट  30 %

किसी भी तरह के Potting Mix में 2-3 मुट्ठी लकड़ी की राख़ मिला देने से कीड़े या फंगस नहीं लगते हैं । इसके साथ ही अगर आप Potting Mix को 2-3 दिन बहुत तेज़ धूप में रख दिया जाए तो भी वह Sanitize हो जाता है , आप सुविधानुसार कोई भी प्रक्रिया अपना सकते हैं ।

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धनिया की बुआई करने का तरीका

समान्य विधि

धनिया के दानों को रगड़ के दो हिस्सो में तोड़ना रहता है , इसके लिए आप दानों को किसी सूती के कपड़े के भीतर रखकर रगड़ सकते है या फिर Rough Surface पर रखकर किसी लकड़ी के टुकड़े से रगड़ सकते हैं ।

इस प्रकार दो हिस्सों में टूटे हुये धनिया के दानों को 3-4 घंटे तक भिगो कर गमले मे ऊपरी सतह पर फैला दीजिये और उसके ऊपर मिट्टी की एक पतली परत बिछा कर पानी डाल दें ।

धनिया के लिए चौड़े मुह का गमला ले जिसकी उचाई ज्यादा न हों , गमले या Tub की ऊंचाई 6 इंच पर्याप्त है ।

गमले में पर्याप्त मात्रा में Drainage Holes बना लें ताकि Extra पानी तुरंत निकल जाए , Holes को नारियल के रेशे या कंकड़ पत्थर से ठीक से ढक दें । इसमें मिट्टी भरकर ठीक से पानी दे दें ।

दूसरी विधि

इस विधि में पहले धनिया के दो हिस्सों में फूटे दानो को अंकुरित किया जाता है फिर उसके बाद गमले में फैलाया जाता है ।

इसके लिए एक सूती कपड़ा ,रुमाल या कपड़े का Carry Bag जिसमें हवा आसानी से pass होता हो लेकर उसमें दानों को डाल दें और ऊपर से बांध दें या रबर बैंड से मुह बंद कर दें ।

अब एक गमले , जिसमे Drainage Holes भी हो, में River Sand बालू भर दें और धनिया के दानों से भरी पोटली को उसमें डाल दें और ऊपर से फिर बालू से ढक दें । पानी डाल दें और सूखने न दें पानी हमेशा नमी बरकरार रहे ।

4 से 5 दिन बाद इसको बाहर निकाल लें आपको इसमें अंकुरण दिख जाएगा और इसकी जड़ें 1 से 2 इंच लंबी हो चुकी होंगी ।

इन अंकुरित बीजों या दानों को निकालकर धनिया के लिए तैयार किए गए गमले या Tub में फैला दीजिये और उसके ऊपर मिट्टी डालकर पानी का छिड्काव कर दीजिये ।

देखभाल Care for Coriander

धूप Sunlight for Coriander

धनिया पत्तियों की अच्छी growth के लिए Full Sunlight बहुत आवश्यक है । अगर Full Sunlight नहीं मिल प रहा है तो 3 से 4 घंटे की Sunlight जरूर मिलना चाहिए ।

पानी Water for Coriander

मिट्टी की ऊपरी सतह चेक करते रहे जब भी सतह सूखी लगे तब पानी देते रहिए । रोज पानी देने की आवश्यकता नहीं है , जितनी जरूरत हो उतना ही पानी दीजिये ।

खाद रसायन

इसके के लिए अलग से खाद देने की कोई खास आवश्यकता नहीं यदि आपने Potting Mix मे 30-40% खाद मिला लिया हो ।

ज्यादा धनिया पत्ती पाने के टिप्स

एक बार जब धनिया के पौधे 4-5 इंच लंबे हो जाए तो पौधों की Thinning कर दें यानि जो पौधे ज्यादा स्वस्थ लग रहे हो उनको छोड़ कर बाकी हल्के हाथों से निकाल दें। यह भी ध्यान रखें कि दो पौधों के बीच 4-5 इंच का Gap हो ताकि जड़ों को फैलने के लिए अच्छा स्पेस मिल सके ।

पौधों कि संख्या ज्यादा होने पर पत्तियाँ छोटी और डंठल पतली ही होगी जिससे अच्छी फसल नही बन पाएगी ।  

रोचक तथ्य

हमारे यहाँ तो सब जानते हैं कि हिन्दी में धनिया और अंग्रेज़ी मे Coriander से जाना जाता है पर उत्तरी अमेरिका में इसके दो नाम प्रचलित हैं पहला Coriander और दूसरा Cilantro । वहाँ इसके पत्तियों और डंठल को इस्तेमाल करते समय Cilantro कहा जाता है जबकि इसके बीज को Coriander कहा जाता है । 

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके जरूर बताएं , ऐसे ही पेड़-पौधों और गार्डेन से जुड़ी रोचक और उपयोगी जानकारी के लिए hindigarden.com से जुड़े रहें , धन्यवाद ।

Happy Gardening..

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