उम्मीद है की आप लोगों ने भी shisham ka ped कहीं न कहीं देखा होगा क्योंकि शीशम का पेड़ भारत के लगभग हर कोने में पाया जाता है। हालांकि, ऐसा भी हो सकता है की आपके घर में रखे फर्नीचर शीशम की लकड़ी का बना हो लेकिन क्या आपको पता है कि शीशम की लकड़ी के अलावा इसके क्या-क्या लाभ है ? मुझे लगता है की आपको इसकी जानकारी नहीं होगी।
आज मैं आपको अपने इस आर्टिकल के माध्यम से शीशम का पेड़ कैसे लगाएं ? शीशम पेड़ के लाभ क्या-क्या है ? शीशम क्या होता है ? इत्यादि से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी देने वाला हूं। तो आप कृपया करके इस आर्टिकल को लास्ट तक पढ़ें।
शीशम का पेड़ shisham ka ped
इसे इंगलिश मे North Indian Rosewood के नाम से जाना जाता है जबकि इसका वानस्पतिक नाम Dalbergia sissoo है ।
यह भारतीय उपमहाद्वीप यानि भारत , पाकिस्तान , बांग्लादेश मे तथा दक्षिणी ईरान मे मूल रूप से पाया जाता है ।
शीशम की लकड़ियां काफी मजबूत होती है और इसके लकड़ियों का इस्तेमाल फर्नीचर इत्यादि बनाने के लिए किया जाता है। इसके लकड़ी मे पड़ने वाली धारियों से दरवाजे , फर्नीचर आदि की खूबसूरती बहुत बढ़ जाती है ।
इसके अलावा शीशम की लकड़ी से जो तेल निकलता है, उसका उपयोग आयुर्वेदिक दवाई बनाने के लिए किया जाता है।
शीशम के पेड़ की ऊंचाई लगभग 30 मीटर तक होती है और देखने में भूरे रंग की होती है।
शीशम के लाभ क्या-क्या है ?
व्यावसायिक लाभ
आज तक आपलोग शीशम एक प्रकार का पेड़ है और उसके लकड़ियों से फर्नीचर इत्यादि बनाई जाती है, यही जानते होंगे।
- टिंबर
- ईंधन के रूप मे
- टूथब्रश के रूप मे
- पेस्टिसाइड के रूप मे
- निर्माण उद्योग मे
चिकित्सा मे लाभ
शीशम का उपयोग कई सारी बीमारियों में इलाज के तौर पर किया जाता है और इसके कई लाभ हैं –
आंखो से संबंधित बीमारी में शीशम का उपयोग फायदेमंद है
यदि आपके आंख में किसी प्रकार जलन हैं तो आप शीशम के पत्ते से निकलने वाले रस में थोड़ा सा मधु का मिश्रण कर दें। मिश्रण करने के बाद 1 या फिर दो बूंद आंख में डालें। इससे आपके आंख में होने वाले जलन से आराम मिलेगा।
बुखार संबंधित उपचार में फायदेमंद है शीशम
अगर आप बुखार से जल्दी निजात पाना चाहते हैं और आप अंग्रेजी दवा खाने से बचना चाहते हैं तो सबसे पहले 320ml पानी, दूध 160ml और शीशम के सार 20 ग्राम को आपस में मिश्रण कर दें। इसके बाद आप इस मिश्रण को चूल्हे पर सही तरह से गर्म करें। जब सही तरह से गर्म हो जाए तो जिस व्यक्ति को बुखार है उसे दिन में 3 बार सेवन करना चाहिए। इससे बुखार जल्दी ठीक हो जाएगा।
मूत्र रोग में भी फायदेमंद है शीशम
काफी सारे लोग मूत्र संबंधित रोग के शिकार हो रहे हैं। कई लोगों को पेशाब करते समय पेशाब में जलन होना, दर्द सा महसूस होना, थोड़ा-थोड़ा पेशाब होना इत्यादि जैसी गंभीर समस्याओं को सामना करना पड़ता है। हालांकि, ऐसी गंभीर बीमारी में भी शीशम का इस्तेमाल काफी फायदेमंद होता है।
यदि आप शीशम के पत्ते का 40ml काढ़ा बनाते हैं और प्रतिदिन नियमित रूप से तीन बार काढ़े का सेवन करते हैं तो आपको मूत्र जैसी गंभीर बीमारी से जल्दी छुटकारा मिल सकता है।
घाव में शीशम का तेल है फायदेमंद
यदि आपके शरीर पर किसी भी प्रकार का घाव है तो आप घाव पर शीशम का तेल अवश्य लगाएं। इससे आपका घाव जल्दी सुख जाएगा।
टीबी में शीशम है लाभदायक
अगर किसी व्यक्ति को टीबी जैसी गंभीर बीमारी है तो वे शीशम का इस्तेमाल कर सकते हैं। क्योंकि, शीशम का उपयोग टीबी जैसी बीमारियों में लाभदायक साबित हुआ है। अब आप यह सोच रहे होंगे की इसका उपयोग कैसे करें ? तो सबसे पहले आप थोड़ा सा जौ ले लें, कचनार के पत्ते ले लें, इसके बाद शीशम के पत्ते ले लें। अब आप इन तीनों चीजों का मिश्रण करके काढ़ा बना लें।
इसके बाद आपको 20ml काढ़ा में थोड़ा सा दूध और थोड़ा सा घी का मिश्रण करना होगा। फिर से अच्छी तरह मिलाकर पिच्छावस्ति करने से टीबी जैसी गंभीर बीमारी से छुटकारा मिलता है।
चर्म रोग में शीशम के लाभ
आम तौर पर देखा जाए तो यदि आपको चर्म रोग जैसी गंभीर समस्या है तो आपको शीशम के तेल का इस्तेमाल करना चाहिए। यदि आप इस शीशम के ऑयल को चर्म रोगों पर अच्छे से लगाते हैं तो आपको इस समस्या में राहत प्राप्त हो सकता है। यही नहीं शीशम के तेल से खुजली जैसी समस्या भी दूर हो जाती है।
अब आपको शीशम के पत्तियों के लुआब को तिल के तेल में अच्छे से मिश्रण करना होगा। इसे अपने स्किन पर लगाएंगे तो आपके स्किन में फायदा होगा। यदि आपको फोड़े या फुंसी जैसी समस्या है, तो उसे ठीक करने के लिए आपको शीशम के पतियों का 20 से 40 मिली काढ़ा बनाना होता है और इसे अपने फुंसी या फोड़े पर लगाना होता है जिससे आपकी समस्या दूर हो जाएगी।
ब्लड विकार को ठीक करने के लिए शीशम
यदि आप भी अपने ब्लड विकार को सही करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको शीशम के 3 से 6 ग्राम सूखे चूर्ण लेना होता है और इसका शरबत बना कर इसका ग्रहण करना होगा। इससे आपका ब्लड विकार सही हो जाएगा। इस शरबत को ग्रहण करने से ब्लड साफ होता है।
सुुजाक जैसी बीमारी में करे शीशम
यदि आपको भी सुजान जैसी गंभीर समस्या होती है तो उसे ठीक करने के लिए आपको सबसे पहले 10 से 15 मिली शीशम के पतियों को पीसकर उसका रस निकालना होगा और इस रस को आप दिन में तीन बार ग्रहण करें। इससे सुजाक जैसी गंभीर समस्या में लाभ होता है।
शीशम का उपयोग कितनी मात्रा में किया जा सकता है ?
शीशम का इस्तेमाल कितना करना चाहिए वो आपको नीचे मालूम हो जाएगा। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि आप किसी बीमारी में शीशम का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको अपनी डॉक्टर की सलाह अवश्य लेना चाहिए।
- शीशम के चूर्ण का इस्तेमाल कितनी मात्रा में करें :- 3 से 6 ग्राम
- शीशम से बने काढ़ा का उपयोग कितनी मात्रा में करना चाहिए :- 50 से 100 मिली
शीशम के उपयोग करने योग्य भाग
आप नीचे दिए गए इन शीशम के भाग का उपयोग कर सकते हैं –
- शीशम के तने
- शीशम के जड़
- शीशम के पत्ते
- शीशम के वृक्ष के भीतर की लकड़ी
आपको यह जानकारी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके जरूर बताएं , ऐसे ही पेड़-पौधों और गार्डेन से जुड़ी रोचक और उपयोगी जानकारी के लिए hindigarden.com से जुड़े रहें , धन्यवाद ।
Happy Gardening..