भारत में चंदन का पेड़ काफी प्रसिद्ध है चंदन की तस्करी पर बनी फिल्मे आपने जरूर देखि होंगी । चंदन एक ऐसे वृक्ष का नाम है जो दिखने में खूबसूरत और सुगंधित होता है। बहुत सारे लोग चंदन का इस्तेमाल अनेकों कार्यों में करते हैं। chandan ka ped
वैसे चन्दन की कुल 1 दर्जन से भी ज्यादा प्रजातियाँ पायी जाती हैं ।
जैसे की कुछ व्यक्ति चंदन के लकड़ियों का उपयोग अपने घर की सजावट के लिए करते हैं, तो कुछ व्यक्ति ऐसे भी हैं जो चंदन के लकड़ियों का उपयोग पूजा पाठ से जुड़ी सामग्री जैसे की हवन सामग्री, अगरबत्ती इत्यादि निर्माण करने के लिए करते हैं।
हालांकि, चंदन की लकड़ी अपने गुणवत्ता के कारण काफी महंगी होती है। इसलिए बहुत लोग चंदन के लकड़ी का बिजनेस करके भी खूब सारा पैसा कमा लेते हैं। बहुत लोगों को चंदन के वृक्ष से संबंधित जानकारी बस इतना ही रहता है।
आज के इस पोस्ट में हम आपको चंदन के और भी कई फायदे के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले हैं, जो आपके लिए काफी लाभकारी सिद्ध हो सकता है।
चंदन के वृक्ष का वानस्पतिक नाम क्या है ?
चंदन के वृक्ष का वानस्पतिक नाम सेंटलम अल्यम ( Santalum album ) होता है। हिंदी भाषा में चंदन को सफेद चंदन, चंदन और श्वेत चंदन के नाम से जानते हैं।
इंगलिश मे इसे Indian sandalwood कहते हैं , Sandal शब्द संस्कृत /हिन्दी के चन्दन शब्द से बना है ।
चंदन का वृक्ष कहां पाया जाता है ?
भारत में चंदन की खेती केरल, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, दक्षिण आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु में किया जाता है। इसके अलावा उड़ीसा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में भी चंदन का वृक्ष पाया जाता है।
Chandan ka Ped kaisa hota hai
चंदन का पेड़ हरा रंग का होता है तथा इसकी ऊंचाई 6 से 9 मीटर के आस पास होता है। चंदन के वृक्ष की छाल का रंग भूरे, लाल या फिर काले-भूरे होता है। चंदन के वृक्ष की पत्तियां गोल आकार के साथ ही साथ काफी सॉफ्ट होते हैं।
चंदन के वृक्ष की फूल का रंग जामुनी या फिर भूरे-बैंगनी होते हैं। चंदन का वृक्ष तैयार होने में कम से कम 20 साल का वक्त लेता है। इसके वृक्ष के अंदर का भाग हल्का पीला कलर का होता है जिसकी खुशबू काफी अच्छी होती है।
चंदन का पेड़ लगभग 40 से 60 साल की उम्र के पश्चात बहुत अधिक सुगंधित वाला वृक्ष तैयार हो जाता है।
Lal Chandan ka Ped
Lal Chandan ka Ped साउथ की मूवी पुष्पा के बाद भारत का लाल चंदन काफी फेमस हो गया है ,वैसे इसका महत्व हजारों साल से भारत मे है ।
यह भारत के केवल दक्षिणी भागों के पूर्वी घाट में पाया जाता है ,यह chandan ki lakdi बहुत ही कीमती लकड़ी है और इसकी गुणवत्ता बहुत ही ज्यादा है जिसके कारण इसकी बड़े मात्रा पर तस्करी की जाती है ।
यह एक छोटा पेड़ है जो 5-8 मीटर ऊंचाई तक बढ़ता है और इसमें गहरे भूरे रंग की छाल होती है। लाल चंदन की लकड़ी का उपयोग नक्काशी, फर्नीचर, डंडे और घर के खंभों बनाने के लिए किया जाता है।
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Chandan ki Lakdi Price
indiamart पर अलग अलग चंदन की लकड़ी की कीमत इस प्रकार दी गई है –
चंदन की लकड़ी की कीमत – रु 15000 से 25000 /किग्रा
चंदन के लाभ
अब हम chandan ka ped के औषधीय गुण के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले हैं और आगे के पोस्ट में हम इसका इस्तेमाल कैसे करें, इसका इस्तेमाल कितनी मात्रा में करना चाहिए और इसकी प्रक्रिया क्या-क्या है इससे जुड़ी सभी जानकारी प्रदान करने वाले हैं :-
सूजन कम करने में चंदन के फायदे
यदि आपको शरीर में कही भी सूजन की समस्या है, तो आप चंदन का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आपको चंदन की लकड़ी को पानी में घिसना होता है और तने की छाल को अच्छे से कूटकर सूजन वाली स्थान पर लगाना होता है। इससे आपको जल्द ही सूजन की तकलीफ से राहत मिल जाएगा।
पेट की गड़बड़ी में चंदन के फायदे
बहुत लोगों को पित्त के वजह से पेट की गड़बड़ी की समस्या होती है, ऐसे में वे चंदन का इस्तेमाल कर सकते हैं जिससे की वे एकदम ठीक हो सकते हैं। पेट की गड़बड़ी में लोगों को चन्दनादि घी का सेवन करना चाहिए जिससे की उनका पेट बिल्कुल ठीक हो जाएगा।
शहरी की जलन में चंदन के फायदे
यदि आपके शरीर में कहीं भी जलन की समस्या होती है, तो इससे छुटकारा पाने के लिए आपको चंदन का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए आपको चंदन की लकड़ी को पानी में घिसना होता है और तने की छाल को कूटकर अपने जलन वाले स्थान पर लगाने की आवश्यकता होती है। इससे जल्द ही आपका जलन सही हो जाएगा।
आंखों के रोग में चंदन के फायदे
आंखों से संबंधित रोग में चंदन का इस्तेमाल किया जा सकता है। आंखों के रोग को ठीक करने के लिए आपको 10 ग्राम सफेद चंदन के पेस्ट को 100 मिली मिल्क में उबालना होता है। फिर इसे तैयार कर अपने आंखों में लगाने से आंखों से संबंधित रोग दूर हो जाते हैं।
पेचिश में चंदन के फायदे
यदि आपको बार बार पेचिश ( दस्त ) की समस्या हो रही है या मल में ब्लड आ रहा है, तो इस समस्या से राहत पाने के लिए आपको सफेद चंदन को घिसना होगा फिर इसके पेस्ट मे मिश्री और मधु मिश्रण करके इसे चावल के धुले जल के साथ ग्रहण करेंगे, तो आपको दस्त जैसी गंभीर समस्या में काफी फायदा होगा।
बुखार में चंदन के फायदे
यदि आपको कभी भी बुखार आती है, तो उसे ठीक करने के लिए भी आप चंदन का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके लिए आपको चंदन की लकड़ी को जल के साथ घिसना होता है। फिर आपको इसके तने की छाल को अच्छे से कूटकर अपने शरीर में लगाने की आवश्यकता होगी। जिससे कि आपका बुखार जल्द से जल्द उतर जाएगा।
कुष्ठ रोग में चंदन के फायदे
कुष्ठ एक फैलने वाली बीमारी होती है जो एक इंसान से दूसरे इंसान को भी हो जाती है। बहुत सारे लोग इस कुष्ठ रोग के चपेट में आ जाते हैं। यदि आप भी कुष्ठ रोग जैसी समस्या को दूर करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको कपूर तथा चंदन को बराबर मात्रा में लेना होता है।
अब इसके बाद आपको इन दोनों चीजों को एक साथ पीसना होगा। जब यह तैयार हो जाए तो इसको आप अपने शरीर पर लगा ले जिससे आपकी कुष्ठ रोग में काफी फायदा होगा।
चंदन का उपयोग करने की प्रक्रिया chandan ka ped uses
यदि आप चंदन का इस्तेमाल किसी रोग को ठीक करने के लिए करना चाहते हैं, तो उसके लिए आप अपने डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं, क्योंकि बिना डॉक्टर की सलाह लिए आप इसका इस्तेमाल करेंगे, तो यह आपके लिए नुकसानदायक भी हो सकता है। नीचे दिए गए मात्रा के अनुसार ही आप चंदन का इस्तेमाल करें।
- चंदन का तेल :- 5 से 20 बूंदे
- चंदन की लकड़ी का तेल :- 0.3-1 मिली
- चंदन का पाउडर :- 3 से 6 ग्राम
- जड़
- चंदन का काढ़ा :- 2 से 4 मिली
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