बहुत लोग ऐसे हैं जो बकायन या बकेन और नीम के प्लांट को एक ही समझ लेते हैं। क्योंकि बकायन और नीम दोनों प्लांट दिखने में एक जैसे और इनका टेस्ट भी एक जैसा करवा होता है। मगर सही मान्य में देखा जाए तो दोनों पेड़ एक जैसे नहीं होते हैं। Bakayan tree in hindi
बकायन एक प्रकार का जड़ी-बूटी वाला प्लांट है, जिसके विभिन्न प्रकार के औषधीय फ़ायदे होते हैं। जिसके बारे में आज के इस पोस्ट में हम आपको पूरी जानकारी प्रदान करने वाले हैं।
महानीम की लकड़ी का इस्तेमाल टिंबर के रूप मे किया जा सकता है , इसके बीजों को कुछ पक्षी अपने भोजन के रूप मे खाते हैं । यह सरकारी नर्सरी पर बहुत सस्ते दाम मे मिल जाता है ।
बहुत जल्दी बड़ा और घना हो जाता है महानीम का पेड़ इसे आपको अपने घर के आसपास , पार्क कालोनी आदि मे जरूर लगाना चाहिए ।
वानस्पतिक नाम | Melia azedarach |
अन्य नाम | Bakayan, Persian lilac, Mahaneem |
फैंमिली | Meliaceae |
मूल स्थान | भारतीय उपमहाद्वीप, पूर्वी एशिया ,ऑस्ट्रेलिया |
प्रयोग | टिंबर,व्यावसायिक |
क्या है बकायन ( महानिम्ब )
बकायन की बात करें तो यह भारत में हिमालय के निचले प्रदेशों में 1800 मीटर की ऊचाई तक पाए जाते हैं। जैसे नीम के पेड़ की उचाई 9-12 मीटर होते हैं, ठीक वैसे ही बकायन की भी उचाई इतनी ही होती है कभी कभी इससे भी ज्यादा हो सकती है ।
चुँकि बकायन का पेड़ एक विषैला हो सकता है इसलिए पेड़ के किसी भी पार्ट का इस्तेमाल सही मात्रा तथा ध्यान से करना चाहिए। फलों की अपेक्षा में छाल और फ़ूल कम जहरिले होते हैं। इस पेड़ की फलों और बीजो से एक माला निर्माण कर आप यदि अपने घर के दरवाजे पर टांगते है तो आपके घर में बीमारियों का प्रभाव नहीं होगा।
तथा जानकारी के मुताबिक, इसके फ़लो की माला को यदि आप गले में पहनते है तो आप संक्रामक बीमारियों से बचाव कर सकते हैं। फ़ागुन और चैत महीने में इस पेड़ से एक दुधिया रस (sap) निकलता हुआ दिखाई देता है, अतः इस समय कोमल पत्तों के अलावा अन्य किसी भी भाग के रस और क्वाथ का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
सबसे ज्यादा बकायन का बीज जहरीला होता है, मगर ताजे पत्ते प्रायः नुकसानदायक नहीं होते हैं। तो दोस्तों, अब हम इस औषधिय पेड़ के विभिन्न फ़ायदो के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले है, जिसके माध्यम से आप बकायन के औषधिय गुण का पूरा फ़ायदा उठा सकते हैं।
बकायन पेड़ के फ़ायदे क्या हैं
गंडमाला बीमारी में बकायन के भोग से लाभ
आप गण्डमाला और कुष्ठ जैसे बीमारी का सामना कर रहे हैं तो इसके लिए आपको 5 ग्राम महानी की छाल को सुखाना होता है। फ़िर इसमे आपको 5 ग्राम पत्ते को पिसकर 500 मिली पानी में पकाना होता है।
जब ये काढ़ा एक चौथाई बच जाता है तो आपको लेप को अपने गले पर अच्छे से लगाना होता है। यदि आप ऐसा करेंगे तब आपको गंडमाला और कुष्ठ जैसी बीमारियों में फ़ायदा हो सकता है।
सांसो से संबंधित रोगो में लाभ
यदि आप सांसो से जुड़ी बीमारी का सामना कर रहे हैं, तो आप महानीम की जड़ और पत्ते का काढ़ा निर्माण कर ले। यदि आप काढ़ा को 15-30 मिली मात्रा में सेवन करेंगे तो आपको खासी और सांस नली की सूजन में खूब फ़ायदा होगा।
पेट दर्द जैसी परेशानी में बकायन के भोग से फ़ायदा
पेट दर्द की समस्या होती है तो महानीम के औषधिय गुण से लाभ होता है। आपको 3-5 ग्राम पत्तों का काढ़ा निर्माण करना होगा। इसमें आपको 2 ग्राम शुंठी का चूर्ण मिश्रण करके इसका सेवन करने से पेट दर्द जैसी परेशानियों से छुटकारा मिल सकता है।
बवासीर में बकायन के भोग मिलेगा लाभ
- बवासीर जैसी बीमारियों में बकायन के औषधिय गुण से इलाज किया जा सकता है। यदि आप भी बवासीर जैसी गंभीर रोग से झुझ रहे हैं तो इससे राहत पाने के लिए आपको बकायन के सूखे हुए बीज को अच्छे से पीस लेना चाहिए। फ़िर इसे तकरीबन 2 ग्राम की मात्रा में morning और evening में भोग करे। देखा जाए तो ऐसा करने से खूनी और बादी प्रकार के बवासीर में फ़ायदा होता है।
- आपको बकायन के पके हुए भूमी पर गिरे फ़लो के भीतर के 8 से 10 बीजो को पानी के साथ कुट लेना होगा। फ़िर आपको इससे 50 मिग्रा की गोलियां निर्माण कर के छाया में सूखाना होगा। जब ये तैयार हो जाए तब आपको इसे morning और शाम में एक गोली बासी पानी के साथ लेना होता है।
- इसके अलावा आपको 1 से दो गोली को मीठा के शरबत में घिसना होगा और इसका लेप बनाकर इसे अपने मस्सो पर लागाए। इससे आप बवासीर का इलाज कर सकते हैं।
ल्यूकोरिया में बकायन का औषधिय फ़ायदे
ल्यूकोरिया जैसी रोग होने पर बकायन के बीज और सफ़ेद चंदन को बराबर पार्ट में लेकर लेप बना ले। इसमें आपको बराबर मात्रा में पूरा मिश्रण करना होता है। आपको दिन में कम से कम दो बार 6 ग्राम की मात्रा में भोग करने से आपके ल्यूकोरिया में काफ़ी फ़ायदा होता है।
खुजली के रोग में बकायन के लाभ
किसी व्यक्ति को खुजली की बीमारी है, तो वे बकायन की मदद से अपनी समस्या को दूर कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें बकायन के 10 से 20 फूलों को कूटकर जहां खुजली होती है उस जगह पर लेप लगाने से इस बीमारी में काफ़ी फ़ायदा होता है।
गठिया जैसे रोग में बकायन है फ़ायदेमंद
यदि कोई व्यक्ति गठिया जैसी गंभीर रोग का सामना कर रहा है, तो उसे गठिया जैसी बीमारियों में महानीम के उपयोग से फ़ायदा हो सकता है। फ़ायदे के लिए आपको बकायन के बीज लेना होगा। फ़िर इसे आप सस्सो के साथ कूट दे। जब ये मेहीन हो जाए तब आप इसे गठिया वाले जगह पर लेप लगा ले। इस उपचारन से आपको जल्द ही गठिया के रोग में फ़ायदा होता है।
बकायन के किन भागों का इस्तेमाल कर सकते हैं
वैसे तो बकायन के विभिन्न भाग ऐसे हैं जो किसी न किसी बीमारी में उपयोगी होता है। बकायन के उपयोगी भागो के नाम कुछ इस प्रकार है :-
- लकड़ी
- फ़ूल
- जड़
- लकड़ी के छाल
- जड़ के छाल
- बीज
- पत्ते का तेल
महानिम ( बकायन ) का उपयोग करने की प्रक्रिया
निचे दिए गए जानकारी के अनुसार ही किसी व्यक्ति को बकायन का उपयोग करना चाहिए जो कि इस प्रकार हैं :-
- आपको छाल का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा 6 से 7 ग्राम करना चाहिए।
- आपको पत्ते के रस का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा 5 से 10 मिली करना चाहिए।
- बीज का चूर्ण का इस्तेमाल आपको ज्यादा से ज्यादा 5 से 10 मिली ग्राम करना चाहिए।
- आपको छाल का काढ़ा का इस्तेमाल तकरीबन 50 से 100 मिली ग्राम करना चाहिए।
- आपको पत्ते का चूर्ण का इस्तेमाल 2 से 4 मिली ग्राम करना चाहिए।
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Happy Gardening..
खानेसे आद्मी मर्तानही