करेला घर पर खुद उगाये और इस गर्मी के मौसम मे ताज़ी करेला से तरह-तरह की सब्जी बनाएँ । करेला का पूरा परिचय , इसके फायदे और साथ ही करेला कैसे उगाएँ यहाँ जाने और अपने गार्डेन , छत या जहां भी ठीक-ठाक धूप आती हो वहाँ लगा लें । How to Grow Bitter gourd
सर्दियाँ लगभग खतम हो रही है और गरमियाँ शुरू होने वाली है , यह अन्य कई सब्जियों के साथ करेला लगाने के लिए भी सबसे उपयुक्त समय है, वैसे गर्मियों में भी लगाई जा सकती है लेकिन होली के आसपास लगाना सबसे बेस्ट रहता है ।
गमले में करेला कैसे उगाएँ
आमतौर पर यह देखा जाता है कि जमीन के अतिरिक्त जब हम गमले या कंटेनर में करेला लगाते हैं तो ज्यादा फल नहीं आते हैं लेकिन अगर आप सही तरीके से मिट्टी तैयार करें , भरपूर Nutrition दें और बेल वाली सब्जियों में 3 जी कटिंग करें तो आपको भरपूर फल / करेले प्राप्त होंगे ।
करेला का परिचय और इतिहास
आप को जानकार अच्छा लग सकता है कि करेला कि उत्पत्ति भारत से ही हुई है , यहाँ से यह 14वीं सदी में चीन पहुंचा और फिर अन्य पूर्वी एशियन देशों में ।
भारत में करेला के नाम से जाना जाता है इसके अलावा इसे Bitter gourd, Bitter apple, Bitter milon, Balsam peer आदि नामों से भी जाना जाता है ।यह Cucurbitaceae फैमिली का पौधा है जिसका वानस्पतिक नाम Momordica charantina है।
करेला एक लता vein है जो 5 मीटर तक लंबी हो सकती है , इन्हीं लताओं पर पीले रंग के फूल निकलते हैं ।
फूलों से हरे रंग के करेले निकलते हैं , यह किस्म के पाये जाते हैं जिनमे कड्वेपन और आकार में काफी भिन्नता रहती है ।कुछ क़िस्मों से छोटे आकार के तथा कुछ क़िस्मों में लंबे करेले निकलते हैं ।
करेला के फायदे Benefits of Bitter Gourd
पोषण से भरपूर- करेले में पोषण का खजाना है , यह ऊर्जा से भरपूर है इसके अलावा इसमें कार्बो हाइड्रेट , प्रोटीन , विटामिन सी, खनिज तत्व विशेषकर कैल्शियम आदि अच्छी मात्रा में पाये जाते हैं ।
चिकत्सा में उपयोग – प्राचीन काल से ही आयुर्वेद में करेले से कई असाध्य बीमारियों का इलाज किया जाता रहा है , इसके अलावा एलोपैथी में भी केरेले से कई तरह की दवाएं बनाई जाती हैं ।
डायबटीज़ , सांस संबंधी रोगों , कफ संबंधी रोगो ,त्वचा , अल्सर आदि में करेले का प्राचीन समय से ही उपयोग किया जाता रहा है
स्वादिष्ट पकवान – कड़वा या कसैला स्वाद होने के बावजूद भी दुनिया भर में किचन में कई तरह के dishes करेले के बनाए जाते हैं ।
भारत में शादी विवाह में करेले का भरवा सब्जी बड़े चाव से खाई जाती है ।
करेले के लिए उपयुक्त जलवायु और समय
ठंड का मौसम छोडकर करेला हर समय लगाई जा सकती है । शुरुआती Growth के समय इसे कम से कम 18 डिग्री C की जरूरत होती है इसके बाद 25 से 40 डिग्री तक तापमान मे अच्छी पैदावार हो जाती है । ठंड में यह सही से Grow नहीं कर पाता है ।
फरवरी-मार्च से लेकर सितंबर तक करेला के बीज लगाए जा सकते है ।
करेले के बीज कहाँ से लें
बाजार में देसी और हाइब्रिड दोनों तरह के बीज मिलते हैं , अच्छी और आसान पैदावार के लिए Hybrid बीज ही ज्यादा सही रहेगा क्यूंकी इनमें रोग नहीं लगते हैं और Container में उगाने के लिए ये बेस्ट हैं ।
अपने शहर के बीज भंडार या किसी नर्सरी से भी आप करेला के बीज खरीद के ला सकते हैं ।
Online भी अच्छे किस्म के हाइब्रिड बीज खरीद सकते हैं जिनका अंकुरण ज्यादा अच्छी तरह से और सफलता का प्रतिशत ज्यादा रहता है ।
सब्जियों की पौध नर्सरी इत्यादि पर नहीं मिलती है आपको बीज से ही इसे उगाना रहता है ।
करेले के लिए मिट्टी कैसी तैयार करें
गार्डेन soil 60%
कम्पोस्ट 20%
नदी की रेत 20 %
नीम खली चूर्ण 1 मुट्ठी (नेचुरल फंगीसाइड)
बोन मील 1 मुट्ठी (जानवरों की हड्डी से बनता है आप चाहे तो न डालें)
अगर छत पर कम वजन रखना चाहते हैं तो 40 % कोकोपीट , 20 % गार्डेन Soil और 40% वर्मी कम्पोस्ट से मिश्रण तैयार कर सकते हैं ।
वर्मी कम्पोस्ट और गोबर की खाद दोनों में से जो उपलब्ध हो उसका प्रयोग किया जा सकता है , ध्यान रहे जब गोबर की खाद प्रयोग करें तो वह कम से कम 2 साल की सदी हुई होनी चाहिए जो काले रंग की बिलकुल भुरभुरी हो जाती है ।
कहीं पत्तियों की खाद मिल जाए तो उसे घर पर उठा लाएँ क्यूंकी वह नेचुरल उम्दा किस्म की खाद होती है ।
किसी भी तरह के Potting Mix में 2-3 मुट्ठी लकड़ी की राख़ मिला देने से कीड़े या फंगस नहीं लगते हैं । इसके साथ ही अगर आप Potting Mix को 2-3 दिन बहुत तेज़ धूप में रख दिया जाए तो भी वह sterilize हो जाता है , आप सुविधानुसार कोई भी प्रक्रिया अपना सकते हैं ।
करेला उगाने के लिए कैसा कंटेनर लें
करेला उगाने के लिए बड़े आकार का ही कंटेनर लें क्यूंकी करेला की जड़ें काफी ज्यादा फैलती हैं । सब्जी मंडी में मिलने वाली प्लास्टिक का कैरेट (14x21x15 इंच) इसके लिए बहुत अच्छा रहता है
बड़े आकार का गमला , ड्रम या प्लास्टिक बाल्टी जो भी प्रयोग करें उसमें 3-4 holes जरूर कर लें जिससे अनावश्यक पानी बाहर निकल जाया करे । गमले में पानी रुकने से पौधे के मरने का खतरा बना रहता है ।
करेला की बुआई करने का तरीका
करेला को आप Direct जमीन या container में बो कर उगा सकते हैं , पर मेरी राय यह है कि seedlings तैयार करके बाद में उन्हें transplant किया जाय ।
करेले की Seedlings कैसे तैयार करें
8 से 10 बीज 24 घंटे तक पानी में भिगो कर रख दें इससे इनके germinate होने के chances काफी बढ़ जाएंगे ।
Seedlings तैयार करने के लिए जिस मीडियम की जरूरत होगी उसको तैयार करने के लिए आप कोकोपीट 60 % , कम्पोस्ट 30 % , परलाइट/रेत 20 % को आपस में मिला सकते हैं ।
इस मिश्रण को सीडलिंग ट्रे में भर दीजिये और उसमें बीज बो दीजिये । बीज को आधा इंच (1-2 सेमी) ही लगाना सही होगा क्यूंकी ज्यादा अंदर लगाने से germination लेट होगा या फिर बीज मर जाएगा ।
करेले के बीज खड़े ही लगाना सही है , लिटा कर मत लगाएँ ।
अब ट्रे को छायादार जगह पर रख दें और पानी का छिड़काव कर दें , नमी हमेशा बना कर रखें । 5 से 10 दिन बाद ज़्यादातर बीज germinate हो जाएंगे तब इसे आप हल्की धूप वाली जगह पर रख सकते हैं ।
15 से 20 दिन बाद इनमें 3-4 पत्तियाँ आ जाने पर आप इन्हें Container में transplant कर सकते हैं ।
25 से 30 दिन के बाद पौधा 3-4 फूट का हो जाएगा जिसके बाद आप 3 G कटिंग का प्रयोग कर सकते हैं ।
करेले की देखभाल कैसे करें
धूप Sunlight
करेला की अच्छी growth के लिए Full Sunlight बहुत आवश्यक है । अगर Full Sunlight नहीं मिल प रहा है तो 3 से 4 घंटे की Sunlight जरूर मिलना चाहिए ।
पानी Water
मिट्टी की ऊपरी सतह चेक करते रहे जब भी सतह सूखी लगे तब पानी देते रहिए । रोज पानी देने की आवश्यकता नहीं है , जितनी जरूरत हो उतना ही पानी दीजिये ।
ज्यादा पानी देना करेला को नुकसान पहुंचा सकता है इसलिए यह जरूर ध्यान रखें की एक्सट्रा पानी holes से जरूर निकल जाए ।
खाद रसायन Fertilizers
करेला के लिए अलग से खाद देने की कोई खास आवश्यकता नहीं यदि आपने Potting Mix मे 20-30 % खाद मिला लिया हो । वैसे अगर आप घर पर Liquid Fertilizer बना लेते हैं तो महीने में एक बार दे सकते हैं ।
कीट या रोगों से बचाव
नीम तेल का छिड़काव महीने में 2 बार जरूर करें । इसके लिए एक चम्मच नीम तेल 1 लीटर गुनगुने पानी में मिला कर लताओ व पत्तियों समेत पूरे पौधे पर करें ।
ज्यादा करेला पाने के टिप्स
ज्यादा करेला पाने के लिए आजकल किसान भी 3 G कटिंग तकनीकी का प्रयोग कर रहे हैं ।
इसके लिए जब पौधा 4-5 फीट (1G) का हो जाए तब उसके टिप यानि आगे का छोर जहां से वह वृद्धि कर रहा है उसे काट दीजिये इससे यह होगा कि कुछ दिन बाद पट्टियों के पास के nodes से नयी शाखाएँ निकल आएंगी ।
अब ये नई शाखाएँ (2G) 2-3 फीट कि हो जाए तो इनके टिप को भी काट दें जिससे 3G शाखाएँ निकलने लगेंगी ।
इससे पौधे में ज्यादा शाखाएँ बन जाएंगी और ज्यादा से ज्यादा फूल और फल आएंगे ।
पोलिनेशन क्यू जरूरी है ?
Pollination यानि कि परागण किसी भी फल के बनने में सबसे महत्वपूर्ण कारक है , जितना ज्यादा परागण होगा उतने ही ज्यादा फल बनने कि संभावना बढ़ जाती है ।
यह प्राकृतिक तरीके से भी होता है और आप हाथ से कर सकते हैं ।
प्राकृतिक तरीके से परागण हो इसके लिए हमें अपने पौधों पर किसी केमिकल का प्रयोग नहीं करना चाहिए , ताकि हमारे pollination friends जैसे तितली , मधु मक्खी , भँवरे आदि एक फूल से दूसरे फूलों पर जाते रहें और पराग कण को transfer करते रहें ।
अपने आसपास ज्यादा से फूल वाले पौधे जैसे गुलाब ,गुड़हल आदि लगाकर रखें ताकि उनसे आकर्षित होकर आपके गार्डेन में वे आते रहें ।
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