शहतूत के ये फायदे आपको किसी ने नहीं बताया होगा पहले | shahtoot khane ke fayde

बचपन मे आपने गाँव मे शहतूत जरूर खाया होगा , हरे शहतूत खट्टे और काले शहतूत मीठे खाने मे बहुत मजा आता रहा होगा आज इसी के बारे मे कुछ रोचक जानकारी शेयर करते हैं । shahtoot khane ke fayde

शहतूत का पेड़ जिसे इंग्लिश में “Mulberry Tree” कहते हैं, भारत में एक प्रमुख फलदार पेड़ है। यह पेड़ न केवल अपने स्वादिष्ट और पौष्टिक फलों के लिए प्रसिद्ध है बल्कि इसके पत्ते, छाल और जड़ें भी कई औषधीय गुणों से भरपूर होती हैं।

शहतूत के पेड़ का उपयोग सिल्क उत्पादन के लिए भी किया जाता है क्योंकि इसकी पत्तियाँ रेशम के कीड़ों के लिए मुख्य आहार होती हैं।

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सफेद शहतूत का पेड़

शहतूत के पेड़

तना और शाखाएँ

शहतूत का पेड़ सामान्यतः सीधा और मजबूत तने वाला होता है जिसकी शाखाएँ घनी और फैलावदार होती हैं। इसके तने की छाल हल्के भूरे या गहरे भूरे रंग की होती है।

पत्तियाँ

इस पेड़ की पत्तियाँ चौड़ी, दिल के आकार की और हल्के से गहरे हरे रंग की होती हैं। पत्तियाँ चिकनी और चमकदार होती हैं जोकि रेशम के कीड़ों के लिए अत्यधिक पोषक होती हैं।

पत्तियों का किनारा हल्का दांतेदार होता है।

फूल और फल

शहतूत का फूल छोटे और हल्के हरे या पीले रंग के होते हैं जो गुच्छों में लगते हैं।

इसके फल लंबे और बेलनाकार होते हैं जो पके होने पर लाल, काले या सफेद रंग के हो जाते हैं। फल का स्वाद मीठा और रसीला होता है जिसे ताजे या सूखे रूप में खाया जा सकता है।

जड़ें

शहतूत की जड़ें गहरी और मजबूत होती हैं जो मिट्टी में अच्छी तरह से फैली होती हैं। यह पेड़ सूखे के प्रति सहनशील होता है लेकिन पानी के जमाव से बचने की आवश्यकता होती है।

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विशेषता                                   विवरण
वैज्ञानिक नाम Morus alba (सफेद शहतूत), Morus nigra (काला शहतूत)
परिवार मोरेसी (Moraceae)
उत्पत्ति चीन
ऊंचाई 10-15 मीटर (परिपक्व अवस्था में)
जीवनकाल 30-50 साल (औसतन)
पत्तियाँ चौड़ी, दिल के आकार की, हरे रंग की
फूल छोटे, हल्के हरे या पीले रंग के
फल लंबे, बेलनाकार, लाल, काले या सफेद रंग के (प्रकार के अनुसार)
खास गुण तेज़ी से बढ़ता है, विभिन्न जलवायु में अनुकूल
प्रमुख उपयोग फल, सिल्क उत्पादन, औषधीय गुण

शहतूत के पेड़ के आयुर्वेदिक लाभ

शहतूत का पेड़ आयुर्वेद में बहुत महत्व रखता है। इसके फलों, पत्तियों, और छाल का उपयोग विभिन्न बीमारियों के उपचार में किया जाता है। कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक लाभ निम्नलिखित हैं:

रक्तशुद्धि और त्वचा रोग

शहतूत के फलों का सेवन रक्त को शुद्ध करता है और इससे त्वचा में निखार आता है। इसके नियमित सेवन से त्वचा के रोग जैसे कि एक्जिमा और दाद में राहत मिलती है।

पाचन शक्ति में सुधार

शहतूत के फल पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं और कब्ज, एसिडिटी जैसी समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं। इसके फलों में पाए जाने वाले फाइबर पाचन क्रिया को सही रखते हैं।

इम्यूनिटी बूस्ट करना

शहतूत के फल विटामिन C से भरपूर होते हैं जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। यह शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद करता है और संक्रमणों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है।

डायबिटीज में सहायक

शहतूत की पत्तियाँ डायबिटीज के रोगियों के लिए फायदेमंद होती हैं। यह ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। आयुर्वेद में शहतूत की पत्तियों का उपयोग डायबिटीज के उपचार में किया जाता है।

हृदय स्वास्थ्य के लिए

शहतूत के फल हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। इसमें पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करते हैं और हृदय रोगों का खतरा कम करते हैं

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शहतूत को अन्य भाषाओं में क्या कहते हैं

शहतूत को अन्य भाषाओं में विभिन्न नाम से जानते हैं जो कि इस प्रकार है :-

संस्कृत : ब्रह्मकाष्ठ, ब्रह्मदारु, तूत, मृदुसार, तूल, सुपुष्प और तूद

हिंदी : सहतूत, शहतूत, चिन्नी, तुतरी और तूत

मराठी : तूत

तमिल : काम्बीलीपुच और पट्टूपूची

नेपाल : किंबू

पंजाब : तूत

बंगाल : तूत

अरेबिक : तूत और तूथ

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शहतूत के पेड़ की विशेषताएँ

  • तेज़ी से वृद्धि: शहतूत का पेड़ तेजी से बढ़ता है, जिससे यह पेड़ लगाने के कुछ सालों के भीतर ही फल देना शुरू कर देता है।
  • लंबी उम्र: यह पेड़ 30-50 साल तक जीवित रह सकता है और इस दौरान लगातार फल देता रहता है।
  • मिट्टी और जलवायु के प्रति सहनशील: शहतूत का पेड़ विभिन्न प्रकार की मिट्टी और जलवायु में उग सकता है हालांकि यह गर्म और शुष्क जलवायु में बेहतर उगता है।
  • स्वादिष्ट फल: इसके फल मीठे और पौष्टिक होते हैं जो ताजे खाने के अलावा जैम, जूस, और वाइन बनाने में भी उपयोग किए जाते हैं।
  • औषधीय गुण: शहतूत का पेड़ आयुर्वेद में भी महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसके फल, पत्तियाँ, और छाल का उपयोग कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है।

शहतूत के पेड़ के प्रमुख उपयोग

  • फल उत्पादन: शहतूत के फल खाने में स्वादिष्ट होते हैं और विभिन्न खाद्य पदार्थों में उपयोग किए जाते हैं।
  • रेशम उत्पादन: शहतूत की पत्तियाँ रेशम के कीड़ों के आहार के रूप में महत्वपूर्ण हैं जिससे सिल्क उत्पादन होता है।
  • औषधीय उपयोग: आयुर्वेद में शहतूत के पेड़ का उपयोग पाचन तंत्र, त्वचा रोग और इम्यूनिटी बूस्ट करने के लिए किया जाता है।
  • पर्यावरण के लिए लाभकारी: शहतूत का पेड़ मिट्टी को स्थिर करने, प्रदूषण को कम करने, और वातावरण में नमी बनाए रखने में मदद करता है।

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घर पर शहतूत कैसे लगाएं

शहतूत का पेड़ लगाना काफी सरल है लेकिन इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण चरणों का पालन करना आवश्यक है। यहां शहतूत लगाने की प्रक्रिया विस्तार से बताई गई है:

उपयुक्त समय का चयन करें

शहतूत का पेड़ लगाने का सबसे अच्छा समय वसंत ऋतु या मॉनसून का होता है। इस समय मिट्टी में पर्याप्त नमी होती है जो पौधे के अच्छे विकास के लिए आवश्यक है।

स्थान का चयन करें

शहतूत के पेड़ को ऐसी जगह पर लगाएं जहां उसे अच्छी धूप मिले। इसे उगाने के लिए 6-8 घंटे की सीधी धूप की आवश्यकता होती है। इसके अलावा ऐसी जगह का चयन करें जहां पानी का निकास अच्छा हो ताकि पानी जमा न हो।

मिट्टी की तैयारी

शहतूत के पेड़ को उपजाऊ और अच्छी तरह से जल निकास वाली मिट्टी में लगाना चाहिए। इसके लिए पहले जमीन को अच्छी तरह से खोद लें और मिट्टी में गोबर की खाद या कंपोस्ट मिला दें। इससे मिट्टी उपजाऊ बनेगी और पौधे को आवश्यक पोषक तत्व मिलेंगे।

शहतूत की कलम या बीज तैयार करें

कलम से लगने वाले पौधों मे यह सबसे आसानी से लगाया जा सकता है । शहतूत को लगाने के लिए आप कलम या बीज का उपयोग कर सकते हैं:

  • कलम से रोपण: एक स्वस्थ और मजबूत शाखा को काटकर उसका निचला हिस्सा मिट्टी में लगाएं। कलम को मिट्टी में कम से कम 6-8 इंच गहराई तक दबाएं।
  • बीज से रोपण: बीजों को पहले 24 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। इसके बाद, उन्हें मिट्टी में 1-2 इंच गहराई में बो दें। बीज को ढकने के बाद हल्का पानी डालें।

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सिंचाई

शहतूत के पौधे को नियमित रूप से पानी दें। विशेष रूप से शुरुआती दिनों में मिट्टी को हमेशा हल्का नम रखें लेकिन जल जमाव से बचें। जब पौधा थोड़ा बड़ा हो जाए तो पानी की मात्रा कम कर सकते हैं।

मल्चिंग mulching

मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए पौधे के चारों ओर मल्चिंग (Mulching) करें। इससे न केवल नमी बनी रहेगी बल्कि खरपतवार भी नियंत्रित होंगे। मल्चिंग के लिए सूखे पत्ते, भूसे या लकड़ी के चूरे का उपयोग कर सकते हैं।

खाद और उर्वरक

पौधे के अच्छे विकास के लिए समय-समय पर खाद और उर्वरक डालें। इसके लिए गोबर की खाद, कंपोस्ट, या नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का उपयोग करें। इससे पौधे की जड़ें मजबूत होंगी और फल भी अच्छे आएंगे।

छंटाई (Pruning)

शहतूत के पेड़ की समय-समय पर छंटाई करें। इससे पौधे का आकार सही रहेगा और अधिक फल प्राप्त होंगे। छंटाई से पेड़ में नई शाखाएँ विकसित होती हैं जो अधिक फलों के लिए आवश्यक होती हैं।

रोग और कीट नियंत्रण

शहतूत के पेड़ को कीटों और रोगों से बचाने के लिए जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें। नीम का तेल, साबुन का घोल आदि का छिड़काव कर सकते हैं। यदि पेड़ में fungus का संक्रमण हो तो फफूंदनाशक का उपयोग करें।

फल आने मे समय लगता है

शहतूत का पेड़ लगाने के बाद धैर्य रखें। यह पेड़ थोड़ा धीरे बढ़ता है लेकिन जब यह पूर्ण विकसित हो जाता है तो आपको इससे लंबे समय तक फल मिलते रहेंगे।

शहतूत का पेड़ लगाने से न केवल आपको स्वादिष्ट फल मिलेंगे बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होता है। इसके अलावा इसकी पत्तियाँ रेशम उत्पादन के लिए उपयोगी होती हैं जिससे व्यावसायिक लाभ भी कमाया जा सकता है

शहतूत के पेड़ का व्यावसायिक दृष्टिकोण

शहतूत का पेड़ केवल घरेलू उपयोग तक सीमित नहीं है बल्कि इससे व्यावसायिक रूप से भी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। शहतूत के पेड़ के विभिन्न उत्पादों का व्यापार किया जा सकता है जैसे कि फल, पत्तियाँ, और लकड़ी।

शहतूत के फलों से जैम, जूस, वाइन और अन्य खाद्य पदार्थ बनाए जाते हैं जो बाजार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं।

इसके अलावा शहतूत की पत्तियाँ रेशम के कीड़ों का मुख्य आहार होती हैं जिससे सिल्क उत्पादन होता है। सिल्क उत्पादन का व्यवसाय भी काफी लाभदायक होता है।

शहतूत का पेड़: व्यावसायिक उपयोग

उत्पाद उपयोग
फल जैम, जूस, वाइन, कैंडी, और सूखे फल
पत्तियाँ रेशम के कीड़ों के आहार में उपयोग
छाल और लकड़ी औषधीय उपयोग और लकड़ी के उत्पाद
सिल्क सिल्क फैब्रिक और वस्त्र उद्योग में उपयोग

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके जरूर बताएं , ऐसे ही पेड़-पौधों और गार्डेन से जुड़ी रोचक और उपयोगी जानकारी के लिए hindigarden.com से जुड़े रहें , धन्यवाद ।

Happy Gardening..

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