7 पेड़ जो ऑक्सीज़न का सबसे ज्यादा उत्सर्जन करते हैं | Oxygen dene wale ped

कुदरत का सम्मान करने और oblige करने का सबसे आसान तरीका है कि हम ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएँ और अगर हम ज्यादा Oxygen देने वाले पेड़ लगाएँ तो यह और भी अच्छा रहेगा । Oxygen dene wale ped

पेड़ लगाने का विचार आने पर हो सकता है आपको लगे कि पेड़ कहाँ लगाएँ तो इसके लिए आप आसपास के पार्क , रोड के किनारे ,अपने कार्यालय की खाली जमीन या कुछ भी न समझ आए तो कम से कम गमले में ही लगा लें , कुछ ऑक्सीज़न तो आप पैदा ही कर लेंगे ।

हर व्यक्ति को उतना ऑक्सीज़न तो पैदा करना ही चाहिए जितना वह और उसका परिवार use करता है इसके लिए आप ज्यादा हरियाली रखे और पेड़ लगाएँ ।

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आज हम यहाँ अपने क्षेत्र यानि भारतीय उपमहाद्वीप में पाये जाने वाले उन 7 वृक्षों की बात करेंगे जो भरपूर मात्रा में ऑक्सीज़न का उत्सर्जन करते हैं –

पीपल

वानस्पतिक नाम – ficus religiosa

प्रचलित नाम – पीपल , बोधि वृक्ष ,अश्वथामा , पिंपला , अरायल , रवीचेतु , अरलिमारा

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पीपल की पत्तियाँ

पीपल का वृक्ष Hinduism और Buddhism मे बहुत पवित्र माना जाता है , और मेरा मानना है हमारे ऋषि मुनियों द्वारा इसको सबसे पवित्र पेड़ की श्रेणी मे रखने का का प्रमुख कारण यह वैज्ञानिक तथ्य रहा होगा कि यह सबसे ज्यादा ऑक्सीज़न देता है न कि धार्मिक , भले बाद में इसको ज्यादा भावनात्मक बनाने के लिए धर्म से जोड़ दिया गया ।

Buddhism मे इसे बोधि वृक्षा कहा जाता है क्यूंकी इसी के नीचे ध्यान करते करते महात्मा बुद्ध को ज्ञान का प्राप्त हुआ था इसके अलावा भी कई लोक कथाएँ पीपल से जुड़ी हुई हैं ।

पर्यावरणविद ज्यादा से ज्यादा पीपल का वृक्ष लगाने की सलाह देते हैं , कई जगह जहां नई सड़के बनी हैं वह पर किनारे पीपल के वृक्ष लगाए जा रहे हैं ।

पीपल का कई दशकों पुराना पेड़ 60 से 80 फुट तक ऊंचा हो सकता है और इसका फैलाव भी बहुत ज्यादा होता है , इसकी छाँव बहुत ही शीतलता प्रदान करती है ।

बरगद

वानस्पतिक नाम – ficus benghalensis

प्रचलित नाम – बरगद , वट वृक्ष , अलई

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पहले पुरानी मार्गों के दोनों तरफ बरगद के पुराने पेड़ दिखा कराते थे

अगर पीपल के बाद कोई पेड़ ज्यादा पवित्र माना जाता है तो वह बरगद का पेड़ है , भारत मे महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा भी करती हैं । बरगद को इसकी महत्ता के कारण ही भारत का राष्ट्रीय वृक्ष भी कहते हैं ।

पीपल की ही तरह यह भी काफी विशालकाय हो जाता है कई सालों में और कहीं-कहीं यह multiply होकर बहुत ही ज्यादा बड़ा हो जाता है । जंगलों में पाये जाने वाले बरगद की पुरानी शाखाओं से जटाएँ roots निकलती रहती हैं जो जमीन के संपर्क मे आने से नए पौधे को जन्म देती है ।

ये पौधे समय बीतने के साथ वृक्ष बन जाते हैं आंध्रा प्रदेश में पाया जाने वाला Thimmamma marrimanu बरगद का पेड़ विश्व का सबसे बड़ा पेड़ है और यह गिनीज़ बूक मे स्थान पा चुका है ।

बरगद के पेड़ को आप गमले मे भी लगा सकते हैं , बरगद के पुराने पेड़ से कटिंग भी तैयार की जा सकती है इसके अलावा बरगद के पेड़ के आसपास अगर आप देखें तो छोटे छोटे पौधे जड़ के आसपास या नजदीक के पेड़ों के नीचे निकल आते हैं उन्हें

नीम

वानस्पतिक नाम – azadirachta indica

प्रचलित नाम – नीम , निंबय , धनुझाड़ा , लिम्बा , सेंगुमारु

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नीम की पत्तियाँ

अगर आपके घर के आसपास एक नीम का पेड़ लगा है तो यह मान लीजिये कि एक हकीम आपके पास हमेशा है ।

गाँव देहात मे तो नीम हर तरफ दिख जाता है इसी कारण वहाँ के लोग कम बीमार पड़ते हैं , आप भी इसे अपने घर मे जरूर लगाएँ अगर जमीन नहीं है तो गमलों मे ही लगा लें ।

यह भारतीय उपमहाद्वीप का मूल पेड़ है नीम मे औषधीय गुणों का भंडार है , यह एक एंटीसेप्टिक की तरह काम करता है । यह एक natural air purifier की तरह काम करता है ।

गाँव मे यह दांत साफ करने , पत्तियों को अनाज को कीड़े मकोड़े से बचाने हेतु , पौधो पर पेस्टिसाइड के रूप मे प्रयोग करने आदि बहुत से रूप मे काम मे लिया जाता है ।

अशोक

वानस्पतिक नाम – saraca asoca/indica

प्रचलित नाम – अशोका , असोगम , जसुण्डी

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अशोक के ऊंचे पेड़

भारतीय उपमहाद्वीप मे पाया जाने वाला अशोक का पेड़ औषधीय गुणों का भंडार है , यह कई प्रकार के आयुर्वेदिक दवाओं के बनाने मे use किया जाता है ।

कुछ साल पहले तक लोग इसे घरों के बाहर बाउंडरी वॉल के आगे बहुतायत मे लगते थे , लेकिन अब पहले की अपेक्षा इसे लोग कम लगते हैं , शायद उन्हें इसके फ़ायदों के बारे मे जानकारी नहीं है ।

अगर आप इसे अपने घर के आसपास लगते हैं तो यह आपके आसपास एक शुद्ध हवा का बड़ा स्रोत के रूप मे काम करेगा और साथ ही थोड़ों जानकारी इकठ्ठा करके आप इसके कई भागों से रोगों का इलाज भी कर सकते हैं ।

पत्तियों की संरचना के हिसाब से 2-3 तरह के अशोक इस क्षेत्र मे पाये जाते हैं पर ज़्यादातर पतली पत्तियों जो आम की पत्तियों की तरह दिखती हैं वो ज्यादा दिखती हैं । इनमे भी एक सीधी ऊपर को जाती है जैसे देवदार का वृक्ष और एक किस्म गोलाकार आकार लेती है ।

अशोक का काफी प्रयोग पार्कों और landscape बनाने मे किया जाता रहा है इसका कारण यही है कि पहले खूबसूरती के साथ पर्यावरण को ध्यान मे भी रखकर वृक्ष लगाए जाते थे ।

अर्जुन

वानस्पतिक नाम – terminalia arjuna

प्रचलित नाम – अर्जुन , निरमत्ती , मारुतु

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अर्जुन के पेड़ ज़्यादातर वनीय इलाकों या सेना की छावनी आदि मे दिखते हैं

अर्जुन का पेड़ बहुत लोग पहचान नहीं पाएंगे क्यूंकी शहरों मे यह प्रायः नही दिखता है , वैसे इसका बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाता है वन विभाग द्वारा ।

यह एक बहुत ही गुणों से भरपूर पेड़ है , इसका आकार समय के साथ साथ बहुत बड़ा हो जाता है इसलिए शायद आप अपने छोटे लान मे इसे लगाना पसंद न करें , लेकिन आप इसे अपने खेतों मे, आसपास के पार्कों मे , सड़क के किनारे लगा सकते हैं ।

खुद पेड़ों को पहचाने और फिर अपने बच्चो और जानने वालों को पेड़ों की पत्तियाँ दिखाएँ उन्हें इन पेड़ों से परिचित करवाएँ ।

अर्जुन का पेड़ बड़े पैमाने पर कार्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित करता है और आपके आसपास के वातावरण को शुद्ध रखता है इसलिए आपके घर के पास अगर अर्जुन के पेड़ लगे हुये हैं तो यह आपके परिवार के स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है ।

करी पत्ता

वानस्पतिक नाम – murraya koenigii

प्रचलित नाम – करी पत्ता , मीठी नीम , बरसुंगा , बुकीनी

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फूलों के साथ मीठी नीम की पत्तियाँ/ करी पत्ता

मीठी नीम का बहुत ज्यादा उपयोग भारतीय रसोई मे होता है , दक्षिण भारत मे तो बहुत ही ज्यादा होता है , वहाँ के सब्जी बाज़ारों मे करी पत्ता बिकता है जबकि उत्तर भारत मे ऐसा नहीं है ।

इसका नाम और पत्तियों की बनावट नीम जैसी है पर वानस्पतिक रूप से यह दोनों अलग family के पेड़ हैं ।

करी पत्ता भी कई औषधीय गुणों से भरपूर है और आपकी आसपास के हवा को बहुत तेज़ी से शुद्ध करता है , सबसे अच्छी बात यह है कि इसे आप कैसे भी घर मे लगा सकते हैं । आप इसे बालकनी , छत पर गमले मे या लान है तो वह जमीन मे लगा सकते हैं ।

सप्तपर्णी

वानस्पतिक नाम – alstonia scholaris

प्रचलित नाम – सप्त्पर्णी , चितवन , शैतान का झाड , पालीमारा

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चितवन या सप्त्पर्णी का पेड़

सप्तपर्णी या चितवन का पेड़ शहरों मे भी अच्छी संख्या मे पाया जाता है भले ही आपको इसकी पहचान न हो । अक्तूबर माह के आसपास जिस मार्ग या स्थान पर यह पेड़ लगा होता है वह शाम को भीनी भीनी महक से सराबोर हो जाता है ।

हिमालयन क्षेत्र का होने के बावजूद प्रदूषण से लड़ने की अद्भुत क्षमता के कारण ही इसको शहरी इलाकों मे लगाना शुरू किया गया था , इसलिए आप इसे अपने घरों के आसपास शुद्ध हवा के लिए जरूर लगाएँ । इसको आप बड़े गमले मे भी लगा सकते हैं ।

इसकी पत्तियाँ 7 पत्तों के विन्यास से बनती हैं , देखने मे भी यह पेड़ सजावटी लूक देता है इसकी ऊंचाई 15-20 तक हो सकती है , इसके बीजों से आसपास नए पेड़ भी पनप आते हैं ।

इसके छाल (bark) से बच्चो के पढ़ने की स्लेट बनाई जाती है ।

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके जरूर बताएं , ऐसे ही पेड़ पौधों और गार्डेन से जुड़ी रोचक और उपयोगी जानकारी के लिए hindigarden से जुड़े रहें , धन्यवाद ।

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