सहजन का पेड़ drum stick in hindi
सहजन एक तरह का फली है, जिसका मुख्य तौर पर सब्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। सहजन को Moringa और Drum Stick जैसे नामों से भी लोग जानते हैं। आप ये जान कर चौक जायेंगे की हमारे देश में सहजन का सबसे बड़ा उत्पादक है, भारत में सहजन का वार्षिक उत्पादन लगभग 1.1 से 1.3 मिलियन टन के हिसाब से किया जाता है। ड्रमस्टिक का पौधा काफी जल्दी से बड़ा होता है और इसके पत्ते के साथ इसके फलियों और फूलों का भी उपयोग खाने के लिए किया जाता है। drum stick in hindi
मुख्य रूप से सहजन के पत्ते, फूल और फली ये सभी भाग कई गुणों से भरपूर होते हैं। बहुत लोग इसका सेवन तो करते हैं, लेकिन इसके लाभ से आज भी वंचित है। व्यक्तियों को पता ही नही होता की सहजन हेल्थ के साथ ही साथ हमारी स्किन के लिए भी लाभकारी सिद्ध होता है। यदि आप भी सहजन के लाभ के बारे में जानते नही है, तो कोई बात नहीं क्योंकि आज के इस पोस्ट में हम आपको सहजन के लाभ से जुड़ी जानकारी प्रदान करने वाले हैं।
सहजन के वृक्ष का वानस्पतिक नाम क्या है
सहजन के वृक्ष का वानस्पतिक नाम Moringa Oleifera ( मोरिंगा ओलिफेरा ) है। यह पेड़ फेबेसी कुल का है।
सहजन के वृक्ष का उपयोग
मोरिंगा के वृक्ष के फलों और फूलों का उपयोग सब्जियों के तौर पर किया जाता है। मोरिंगा के फूल एवं पत्ते का उपयोग घरेलू इलाज में हर्बल औषधि के रूप में किया जाता है। मोरिंगा के बीज सूप और गुदा का उपयोग सांभर और करी में किया जाता है। मोरिंगा के पत्ते, फूलों और गुददेगर बीजों से सूप निर्माण किया जाता है, जो की हेल्थ के लिए काफी लाभकारी माना जाता है।
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सहजन को अन्य भाषाओं में क्या कहा जाता है
सहजन को अन्य विभिन्न नामों से भी लोग जानते हैं। जैसा की हर जगह पर इसके अनेक नाम होते हैं, जो की इस प्रकार है :-
- अंग्रेजी :- अंग्रेजी भाषा में इस पेड़ को Indian horse radish, Drum stick tree और Horse radish tree कहा जाता है।
- हिंदी :- हिंदी भाषा में इस पेड़ को सहजन, मुनगा, सैजन और सहजना कहा जाता है।
- तमिल :- तमिल भाषा में मुंकाई और मंरुगाई के नाम से लोग जानते हैं।
- मराठी :- मराठी भाषा में इस वृक्ष को शेगटा और शेवगी कहते हैं।
- बंगाल :- बंगाली भाषा में इस पेड़ को सजिना कहते हैं।
- नेपाल :- नेपाली भाषा में सज्योन कहते हैं।
- तेलुगु :- तेलुगु भाषा में इस पेड़ को मुनगा कहते हैं।
- संस्कृत :- संस्कृत भाषा में इस वृक्ष को अक्षीव, सौभाञ्जन, शोभाञ्जन, तीक्ष्णगन्ध, शिग्रु मोचक कहा जाता है।
मोरिंगा के लाभ
आगे के इस लेख में हम जानेंगे की मोरिंगा का औषधीय इस्तेमाल कैसे और किन रोगों को ठीक करने में करना चाहिए :-
टाइफाइड जैसी रोग में सहजन के लाभ
टाइफाइड जैसी रोग को दूर करने के लिए आपको सबसे पहले सहजन की छाल को पानी के साथ घिसना होगा। और इसके रस के एक से दो बूंदों को यदि आप अपने नाक में डालने है, तो दिमागी बुखार यानी कि मस्तिष्क ज्वर या टाइफाइड जैसी रोग में इसका लाभ होता है।
टाइफाइड को पूरी तरह से ठीक करने के लिए आपको 100 मिली जल में सहजन के 20 ग्राम फ्रेस जड़ों को डालकर इसे उबालना होता है और उबलने के पश्चात इसे छानकर यदि आप रोगी को पिलाए है, तो इससे टाइफाइड जैसी बीमारी दूर हो जाती है।
कान से संबंधित बीमारी में सहजन के लाभ
यदि आप कान से संबंधित रोग से जूझ रहे हैं, तो इसे दूर करने के लिए आपको सहजन का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके लिए आपको सहजन की गोंद को तिल के ऑयल में गर्म करने की आवश्यकता होती है। फिर जब तेल गुनगुना रहे तो इसके दो से तीन बूंदों को अपने कान में डाले ऐसे में कान दर्द की समस्या में लाभ होता है।
दांत से संबंधित समस्या में सहजन के लाभ
यदि आपको दांतो से जुड़ी कोई परेशानी है, तो इससे निजात पाने के लिए आपको सहजन के गोंद को जल में मिश्रण करके गरारा करना होता है। इससे आपके दांतों से संबंधित बीमारी में फायदा होगा।
किडनी विकार में सहजन के फायदे
यदि आपको पेशाब की समस्या है, तो इसके लिए आपको सहजन के 5 ग्राम गोंद को प्रति दिन 7 दिन तक दही के साथ भोग करना है। इससे आपको पेशाब की समस्या में जल्दी लाभ होगा।
आपको सबसे पहले सहजन के जड़ की छाल से बने 20 मिली काढ़ा को प्रति दिन 3 बार सेवन करने से गुदे की पथरी यानी की किडनी स्टोन की समस्या दूर हो जाती है।
यदि आपको मिर्गी के दौरे पड़ते हैं, तो आपको इसका इस्तेमाल करना चाहिए। जिससे मिर्गी के दौरे की समस्या में फायदा होता है।
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कुत्ते के काटने पर सहजन से करे उपचार
यदि किसी को कुत्ते ने काट लिया है, तो आपको सहजन के पत्ते, नमक, हल्दी और काली मिर्च को एक मात्रा में पीसना होता है। जब लेप तैयार हो जाए तब आपको कुत्ते के काटे गए जगह पर लेप करना है। इस उपचार से आपकी समस्या अवश्य दूर हो जाएगी।
फाइलेरिया जैसे रोग में सहजन के फायदे
यदि आप भी फाइलेरिया जैसे गंभीर रोग से जूझ रहे हैं, तो इसके लिए आपको सहजन का इस्तेमाल करना चाहिए। आपको सहजन के जड़ को पीसना है और गर्म पानी करके लेप करना है इससे जल्द ही फाइलेरिया जैसे गंभीर रोग में लाभ प्राप्त होगा।
कैंसर जैसे रोग में सहजन के फायदे
यदि आपको लिवर कैंसर जैसे रोग है, तो इसके लिए आपको सहजन के 20 ग्राम छाल का काढ़ा बनाना होता है। इसका इस्तेमाल दिन में तीन बार आरोग्यवर्धिनी वटी के साथ करना है। इस उपचार से लिवर कैंसर जैसी गंभीर समस्या में फायदा होता है।
सहजन का इस्तेमाल करने का तरीका
यदि आप सहजन का इस्तेमाल औषधि के रूप में करना चाहते हैं और अधिक लाभ प्राप्त करना चाहते हैं, तो इसका इस्तेमाल अपने डॉक्टर के सलाह के अनुसार ही करें।
सहजन का उपयोग कितनी मात्रा में करना चाहिए
यदि आप सहजन के काढ़े का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो आपको इसके 50 से 100 मिली मात्रा में ही सेवन करना चाहिए। या फिर इसके चूर्ण का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो आपको 1 से 3 ग्राम मात्रा में करना चाहिए।
आपको यह जानकारी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके जरूर बताएं , ऐसे ही पेड़-पौधों और गार्डेन से जुड़ी रोचक और उपयोगी जानकारी के लिए hindigarden.com से जुड़े रहें , धन्यवाद ।
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