अमलतास का वृक्ष कई जगहो पर पाए जाते है। खास तौर पर आपने इस वृक्ष को बाग बगीचे या फ़िर सड़को के किनारे देखा होगा। इस वृक्ष के फ़ूल काफ़ी खुबसुरत होते हैं। इस वृक्ष के पीले पीले फूलों को लोग अपने घर के सजावट में इस्तेमाल करते है।
लेकिन क्या आपको मालूम हैं कि अमलतास का वृक्ष एक औषधीय भी है। जी हाँ अमलतास का वृक्ष औषधीय गुण से भरपूर है, विभिन्न बीमारियों के इलाज में अमलतास से फ़ायदा प्राप्त किया जा सकता है।
आयुर्वेद की माने तो पेट से जुड़ी बीमारी, टीबी, बुखार, खासी और ह्रदय बीमारी इत्यादि में भी अमलतास के खुब लाभ मिलते हैं। इस महत्वपूर्ण लेख के माध्यम से हम आपको अमलतास से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने वाले हैं।
अमलतास का पेड़ Golden Shower Tree in Hindi
अमलतास की बात करें तो यह एक ऐसा वृक्ष है जिसके कण कण में औषधीय गुण पाए जाते हैं। इस वृक्ष की लंबाई की बात करें तो यह तकरीबन 15 मीटर तक होता है और इसके फ़ूल पीले व बहुत खुबसुरत होते हैं। इस वृक्ष की पत्तियाँ लंबे और बेलनाकार के जैसे होते हैं।
हालांकि, इसके पत्ते मार्च अप्रैल के महीने में झर जाते हैं। जिसके पश्चात वृक्ष के नए पत्ते और पीले फ़ूल मार्च से लेकर जुलाई महीने में निकलते हैं। जिसके पश्चात इस वृक्ष में कली आती है।
इस वृक्ष की कली लंबे और गोल आकार के होते हैं जो काफ़ी नुकीली होती है और ये साल भर लटकते रहता है। अमलतास के वृक्ष की छाल भूरे रंग व चिकनी होती है। इस वृक्ष में बहुत सारे औषधीय गुण पाए जाते हैं जो एक मानव के लिए फ़ायदेमंद साबित होता है।
अमलतास को संस्कृत में व्याधिघात, नृप्रद्रुम, आरग्वध, कर्णिकार इत्यादि, मराठी में बहावा, कर्णिकार गुजराती में गरमाष्ठो, बँगला में सोनालू तथा लैटिन में Cassia fistula कहते हैं। शब्दसागर के अनुसार हिंदी शब्द अमलतास संस्कृत अम्ल (खट्टा) से निकला है।
ऐसा कहते हैं की इसके पीले रंग के फूल खिलने के 45 दिन बाद बारिश होती है इस कारण से इसे इसे गोल्डन शॉवर ट्री, और इंडियन रेन इंडिकेटर ट्री भी कहा जाता है ।
अमलतास के वृक्ष कहाँ कहाँ पाया जाता है
देखा जाए तो अमलतास का पेड़ भारत भर में कहीं भी सड़क के किनारे या फिर बाग बगीचे में पाया जाता है।
अमलतास के वृक्ष के लाभ एवं इस्तेमाल
अब हम आपको निचे अमलतास के औषधीय इस्तेमाल कैसे करें इसकी प्रक्रिया एवं इस्तेमाल की मात्रा कितनी होनी चाहिए ये सबकी जानकारी प्रदान करने वाले हैं।
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नाक की फुंसी जैसी समस्या में अमलतास के लाभ
नाक की फ़ुन्सी जैसी समस्या को दूर करने के लिए आपको सबसे पहले अमलतास वृक्ष की पत्तियों और छाल को पीसना होगा और फ़िर आपको अपने नाक के छोटी-छोटी फ़ुन्सी पर इसे अच्छे से लगाना होता है। बेहतर रिजल्ट पाने के लिए आप अपने डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।
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बॉडी की जलन में अमलतास के फ़ायदे
यदि आपके शरीर में जलन जैसी कोई परेशानी होती है तो इससे राहत पाने के लिए आप अमलतास का इस्तेमाल कर सकते हैं। आपको सबसे पहले अमलतास के वृक्ष की जड़ लगभग 15 से 15 ग्राम लेना होगा या आप चाहे तो इसके स्थान पर इस वृक्ष की छाल भी ले सकते हैं।
फ़िर आपको इसे दूध में उबालने की आवश्यकता होती है। उसके पश्चात इसे अच्छे से पीस ले फ़िर शरीर पर जहाँ जहाँ जलन की समस्या है वहा वहा अच्छे से लगा ले। आपके शरीर के जलन की समस्या अवश्य खत्म हो जाएगी।
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Tonsil में इस वृक्ष के फ़ायद
कफ़ की वजह से यदि आपके भी गले में tonsil की समस्या बढ़ती है, तो आपको अमलतास वृक्ष का जल ग्रहण करने से लाभ हो सकता है। जब भी tonsil में दर्द जैसी परेशानी होती है तब आपको 10 ग्राम अमलतास वृक्ष की जड़ की छाल लेना होगा और इसे थोड़े पानी में उबाले। और जब ये तैयार हो जाए तो आप इसे बूंद-बूंद मात्रा में ग्रहण करे आपको इसमें जल्द ही लाभ प्राप्त होगा।
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आंतो के बीमारी में अमलतास के फ़ायदे
यदि कोई 4 साल से लेकर 12 साल तक के बच्चों को यदि आंत से जुड़ी कोई रोग होती है और वो इस समस्या से लगातार जूझ रहा है तो वे अमलतास का इस्तेमाल कर अपनी समस्या को दूर कर सकते हैं।
उसके लिए उन्हें अमलतास के फ़ल की मज्जा को 4 नग मुनक्का के साथ ग्रहण करना होता है। इससे उनके रोग में अवश्य फ़ायदा होगा।
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बवासीर जैसी गम्भीर रोग का इलाज अमलतास
यदि किसी व्यक्ति को बवासीर जैसी गंभीर रोग हो गया है, तो उससे राहत पाने के लिए उन्हें चमेली, अमलतास तथा करंज के पत्तियों को लेना होगा और गाय के मूत्र के साथ इसे पीसना होगा। फ़िर इसे आप बवासीर के मस्से पर प्रतिदिन लगाते रहे जिससे आपको तुरंत लाभ होगा।
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डायबिटीज जैसी बीमारियों में अमलतास के फ़ायदे
यदि आपको डायबिटीज जैसी गंभीर रोग है तो उसके लिए आपको 10 ग्राम अमलतास की पत्तियों को 400 मिली जल में उबालना होगा। जब ये पकते पकते काढ़ा एक चौथाई रह जाता है तब आपको इसका भोग करना होगा। ऐसा करने से आपके डायबिटीज या मधुमेह जैसी रोग में फ़ायदा होगा।
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पीलिया जैसी बीमारियों का इलाज अमलतास
यदि आपको पीलिया जैसी समस्या का सामना करना पड़ रहा है, तो उससे राहत पाने के लिए आपको अमलतास के फ़ल का गूदा लेना होगा। जितना गुदा लेंगे उतना ही गन्ने या आंवला का रस लेना होगा। इसे मिलाकर यदि आप इसे दिन में दो बार ग्रहण करते हैं तो आपको इसमें अवश्य फ़ायदा होगा।
अमलतास के कौन कौन से भाग इस्तेमाल कर सकते है
जैसा कि मैने आपको ऊपर में अमलतास के विभिन्न लाभ के बारे में जानकारी प्रदान किया है। इस वृक्ष के विभिन्न पार्ट ऐसे है जिसका इस्तेमाल इलाज के लिए किया जाता है।
- अमलतास वृक्ष के जड़
- अमलतास वृक्ष के पत्ते
- अमलतास वृक्ष के बीज
- अमलतास वृक्ष के तने की छाल
- अमलतास वृक्ष के फ़ूल
- अमलतास वृक्ष के फ़ल का गूदा
अमलतास का उपयोग करने की प्रक्रिया
अमलतास वृक्ष का उपयोग कितना मात्रा में किया जाता है वो निचे आपको बता दिया गया है। आपसे निवेदन है की आप डॉक्टर की सलाह से ही इसका उचित इस्तेमाल करे नही तो आपको इससे नुकसान भी हो सकता है।
- फ़लमज्जा :- 15 से 20 ग्राम
- काढ़ा का इस्तेमाल :- 20 से 40 ग्राम
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