ऑर्गैनिक वेजिटेबिल गार्डेन क्या है और इसकी शुरुआत कैसे करें | Organic Gardening in Hindi

पिछले कुछ सालों से Organic खेती काफी चर्चा मे रही है , लोग महंगे ऑर्गैनिक प्रोडक्ट खरीद रहे हैं । इसी के साथ लोग खुद भी घरों मे Organic gardening करनेआ सीख रहे हैं और कुछ लोग बहुत ही अच्छा प्रयास कर रहे हैं इसे बढ़ाने के लिए । Organic Gardening in Hindi

ऑर्गैनिक शब्द का क्या मतलब है

ऑर्गैनिक प्रोडक्ट के महंगे होने से इसे कुछ लोग एक फैशन स्टेटमेंट की तरह समझते हैं यानि इसका गलत मतलब निकालने का प्रयास करते हैं जबकि ऐसा नही है ।

यह कोई प्रीमियम क्लास की कोई वस्तु या कोई exclusive item नहीं है यह सरल जीवन जीने का एक रास्ता है जो नेचर से जुड़ा हुआ है और नेचर के साथ समंजस्य बनाने का एक बहुत आसान और कारगर मार्ग है ।

विगत कुछ दशकों से हमने नेचर से काफी दूरी बना ली है , ऑर्गैनिक माध्यमों से हम नेचर के नज़दीक रह सकते हैं ।

Organic  is a way of life॰

यह किसी खास class के लिए नही है बल्कि यह mass के लिए है यानि सबके लिए है ।

लोगों को लगता है कि ओरगनिक एक प्रॉडक्ट है ऐसा नही है है , organic मतलब एक खास process या जीवन शैली को अपनाना ।

Organic is natural , original , pure & real ॰

ऑर्गैनिक खेती का अर्थ

ऑर्गैनिक खेती एक ऐसा तरीका है जिसमे हम खेती इस तरह से करते हैं जो हमारे पर्यावरण , समाज और अर्थ व्यवस्था मे सही संतुलन बना कर चले यानि ऐसी खेती जिसमे इन तीनों पहलू पर पूर्ण रूप से ध्यान दिया जाए , न किसी पर कम और न किसी पर ज्यादा ।

अगर हम भारत की वर्तमान खेती पर ध्यान दें जिसमे हम केमिकल का काफी प्रयोग करते हैं तो पाएंगे कि इसमे पर्यावरण पर बिलकुल भी ध्यान नहीं जाता , इसी तरह अगर हमारी परंपरागत खेती को देखें तो उसमे सिर्फ किसान अपने खाने भर का ही अनाज उगा सकता है उसमे आर्थिक पक्ष गायब हो जाता है ।

ऑर्गैनिक पूर्ण रूप से वैज्ञानिक प्रक्रिया है जिसमे crop rotation , जानवरों और पादप से बने खाद (manure) और प्रकृतिक pest controlling पर पूरा ध्यान दिया जाता है ।

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ऑर्गैनिक तरीके से आप अपने लिए फल और सब्जी खुद से उगा सकते हैं

ऑर्गैनिक खेती के तीन स्तम्भ

पर्यावरण : प्रकृतिक संसाधनों को recycle करके उपयोग करते रहना , वायु और जल प्रदूषण को न बढ़ाना जो तकनीकी के द्वारा उत्पन्न होते हैं जैसे ईंधन से निकला धुंवा आदि

सामाजिक : जीवन के गुणवत्ता से सम्झौता किए बिना सभी का सभी संसाधनों को आसानी से मिल पाना जिनमे मानव अधिकार , अच्छी मजदूरी मिल पाना आदि शामिल हैं ।

आर्थिक : जीवन कि गुणवत्ता को कम किए बिना हर व्यक्ति को आवश्यक वस्तुओं को दे पाना, जिसमे रोजगार और अच्छे बाज़ार कि उपलब्धता आदि शामिल होते हैं ।

ऑर्गैनिक खेती का इतिहास

भारत मे ऑर्गैनिक खेती का इतिहास हजारों साल पुराना है , सिंधु घाटी सभ्यता मे इस तरह की खेती की जाति थी ।

भारत प्राचीन काल से ही कई तरह के अनाजों और मसालों का बड़ी मात्रा मे निर्यात करता रहा है , उस समय सम्पूर्ण खेती ऑर्गैनिक तरीकों से ही की जाति थी ।

खाद मे गाय के गोबर से बने खाद का प्रयोग किया जाता था , और अनाज आदि को बचाने के लिए गौमूत्र और अन्य herbs का उपयोग बड़े कारगर तरीके से किया जाता था ।

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बाज़ार से केमिकल युक्त चीजों से अपने परिवार को बचाएं

ऑर्गैनिक गार्डेनिंग

ऑर्गैनिक खेती के मॉडल को ही हम घर पर अपनाकर ऑर्गैनिक गार्डेनिंग कर सकते हैं जिसके द्वारा हम अपने भोजन के बड़े हिस्से को लेकर आत्मनिर्भर बन सकते हैं , और साथ ही पर्यावरण को नुकसान न पहुँचकर समाज के लिए भी काम कर सकते हैं ।

आज हमे ऐसे sustainable model या process तैयार कर उन पर काम करने कि जरूरत है जिसमे हम मानव जाति और पृथ्वी को भविष्य मे होने वाले खतरों से बचा सके । इस खतरों मे ग्लोबल वार्मिंग , केमिकल युक्त भोजन ,प्रदूषण , पानी की कमी , भुखमरी आदि शामिल हैं जो भविष्य मे मानव जाति के सामने आने कि बहुत संभावना है ।

ऑर्गैनिक गार्डेनिंग के फायदे

साल भर आपको फ्रेश और पोषक फल और सब्जी देता है ।

एक बार सेट अप तैयार करने के बाद आपको लगभग फ्री मे ही किचन का सारा खाने का समान मिल जाता है ।

घर भर के लिए यह एक बहुत फलदायक हॉबी का रूप ले लेता है ।

यह आपके खाली पड़े स्थान और घर के कचरे का सबसे सही उपयोग करवाता है ।

ऑर्गैनिक गार्डेन बनाने के बाद आपके गार्डेन मे तरह तरह की तितलियाँ और अन्य लाभकारी कीट आने लगते हैं जो आपके गार्डेन मे परागण की प्रक्रिया को तेज़ करते हैं और साथ ही छोटे छोटे pests को भी खा जाते हैं ।

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ऑर्गैनिक गार्डेन बनाने के बाद आपके गार्डेन मे तरह तरह की तितलियाँ और अन्य लाभकारी कीट आने लगते हैं ।

आपके परिवार को टॉक्सिन फ्री स्वस्थवरधक भोजन मिलता रहता है ।

एक बार आप इसमे रम जाते हैं तो आप rare herbs और औषधि वाले पौधों को भी उगा सकते हैं ।

दूसरों के लिए प्रेणना का स्रोत बन सकता है आपका परिवार ।

कैसे शुरू करे ऑर्गैनिक गार्डेन

शुरू मे आपको थोड़ा मेहनत करना पद सकता है लेकिन एक आप जब पूरा सेट उप तैयार कर लेंगे और इसमे रम जाएंगे तो आपको और आपके परिवार को पूरा मज़ा आएगा इसमें । शुरू करने के लिए इन कुछ खास बातों का आप ध्यान रख सकते हैं –

जगह का चुनाव

अपने घर की छत , बालकनी जहां धूप आती हो , कोई खिड़की जिस पर अच्छी धूप आती हो का उपयोग कर सकते हैं । लान या जमीन है तब तो बहुत अच्छी बात है ।

पहले बहुत छोटे स्तर से शुरू करें , जिसमे आपको शुरू मे काम सामान और काम efforts लगाने पड़ेंगे । बाद मे साइज़ बढ़ा सकते हैं ।

शुरू मे आप 5 फुटx 5 फुट की जगह से शुरू कर सकते हैं जिससे काम भर का मिर्च , धनिया , टमाटर आदि उत्पन्न हो सकता है ।

ज्यादा पौधों को न लगाएँ , एक गमले मे एक ही पौधा लगाएँ ।

सही जगह का चुनाव बहुत जरूरी है

कम्पोस्ट जरूर बनाएँ

ऑर्गैनिक खेती या गार्डेन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा खुद का कम्पोस्ट बनाना होता है ।

इससे आपको घर पर ही आपकी मिट्टी के लिए अच्छाकम्पोस्ट मिल जाएगा और घर का कचरा भी बाहर नही जाएगा जोकि इससे होने वाला सबसे बड़ा फायदा है ।

किसी भी तरह का किचन का कचरा जिसमे मांस , प्लास्टिक आदि शामिल न हों उसका प्रयोग कम्पोस्ट बनाने मे कर सकते हैं , इसके अलावा गार्डेन से निकलने वाली पत्तियाँ , फूल, कागज़ , गत्तों आदि का भी बीच बीच मे उपयोग किया जा सकता है ।

शुरू मे आपको कम्पोस्ट बनाने मे थोड़ा दिक्कतों का सामना कर पद सकता है लेकिन एक बार सही तरीके से कम्पोस्ट बनाना सीख गए तो ये आपके लिए सबसे मज़ेदार काम हो सकता है ।

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किचन के कचरे से खुद कम्पोस्ट बनाएँ

सही मिट्टी का चुनाव

ऑर्गैनिक गार्डेनिंग की सफलता का राज़ आपकी मिट्टी की क्वालिटी मे छुपा हुआ है , अपनी मिट्टी को ज्यादा से ज्यादा ओरगनिक मटेरियल से ही बनाइये । ज्यादा से ज्यादा खाद अपने कम्पोस्ट बिन से या गोबर की खाद या फिर वर्मी कम्पोस्ट का ही प्रयोग करें ।

अगर इसमें आपने किसी भी प्रकार के केमिकल का इस्तेमाल किया तो यह organic नहीं रह जाएगा फिर ।

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शुरू मे आप अपने आसपास से किसी खेत या गार्डेन की मिट्टी ल सकते हैं और फिर उसमे वर्मी कम्पोस्ट या गोबर की खाद मिलकर मिक्स्चर बनाएँ , बाद मे अपना बनाया हुआ कम्पोस्ट मिलना शुरू कर सकते हैं जिसको बनने मे लगभग 70-80 दिन लग जाते हैं ।

अगर छत पर वजन कम रखना चाहते हैं तो अपने मिट्टी मे 30-40% तक कोकोपीट मिलाना सही रहेगा ।

कंटेनर कैसे चुनें

प्लास्टिक बाल्टी : सबसे अच्छा होगा कि पेंट कि प्लास्टिक वाली बाल्टी का इस्तेमाल किया जाए , ऐसे पुराने बाल्टी 100 रु के आसपास मिल जाते हैं ।

पुराने ड्रम : अगर आपके पास प्लास्टिक, फाइबर या लोहे के पुराने ड्रम हैं तो उनका बहुत अच्छा इस्तेमाल किया जा सकता है ।

प्लास्टिक गमले : प्लास्टिक के बड़े गमले खरीदकर आप ल सकते हैं ।

ग्रो बैग : आजकल ग्रो बैग मे भी सब्जियाँ उगाई जा रही हैं , इनमे आटे चावल की पुरानी बोरे भी इस्तेमाल किए जाते हैं इसके अलावा आप online grow bag ऑर्डर कर मँगवा सकते हैं जोकि कि बहुत मजबूत और किफ़ायती होते हैं और इंका साइज़ भी बढ़िया रहता है ।

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प्लास्टिक बाल्टी और ग्रो बैग मे उगाये गए पौधे

किसी भी प्रकार के कंटेनर का इस्तेमाल करे आप यह जरूर ध्यान रखें कि उनमे पर्याप्त मात्र मे holes हों यदि नहीं है तो आप खुद से जरूर बना लेवे।

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके जरूर बताएं , और नीचे दिये गए like बटन को जरूर दबाएँ , ऐसे ही पेड़-पौधों और गार्डेन से जुड़ी रोचक और उपयोगी जानकारी के लिए hindigarden से जुड़े रहें , धन्यवाद ।

Happy Gardening..

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