चिलबिल के वृक्ष को तो आपने कभी न कभी देखा जरूर होगा लेकिन आप शायद चिलबिल के पेड़ को पहचान न पाते हों , इस पोस्ट मे आप चिलबिल के पेड़, फल और फूल देख सकते हैं जिससे आगे से आप चिलबिल के पेड़ को जरूर पहचान जाएंगे । chilbil ka ped
सामान्य तौर पर इसका उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों मे लकड़ी के लिए किया जाता है जिससे साधारण और कम कीमत के फर्नीचर बनाए जाते हैं और ग्रामीण भागों में इसका उपयोग जलाऊ लकड़ी के रूप में भी किया जाता है।
आयुर्वेद में चिलबिल का इस्तेमाल इलाज के तौर पर किया जाता है। चिलबिल के फूल, पत्तियां और छाल का इस्तेमाल विभिन्न रोगों को ठीक करने मे किया जा सकता है। मधुमेह से पीड़ित रोगी और पेट से संबंधित बीमारी में चिलबिल के काफी फायदे मिलते हैं।
चिलबिल का पेड़ कैसा होता है chilbil ka ped
चिलबिल के पेड़ की canopy काफी बड़ी होती है। इस पेड़ की ऊंचाई लगभग 18 से 20 मीटर होता है। इस वृक्ष की छाल सफेद और भूरे रंग का होता है और ये काफी चिकना भी होता है। चिलबिल के वृक्ष की पत्तियों की लंबाई 8 से 13 सेमी का होता है और पत्ते की चौड़ाई 3 से 6 मीटर के होते हैं।
यदि आप इन पत्तों को मसलेंगे तो इस में से चीखी महक आती है। इस पेड़ के फल चपटे आकर के होते हैं जो की चिकने और चमकीले दिखाई देते हैं।
चिलबिल के वृक्ष के वानस्पतिक नाम क्या है ?
चिलबिल के वृक्ष के वानस्पतिक नाम होलोप्टेलिआ इन्टेग्रिफोलिआ Holoptelea integrifolia होता है और यह Ulmaceae फैमिली का पौधा होता है।
चिलबिल के पेड़ को नजदीक से देखने के लिए और इसके फायदे जानने के लिए यहाँ क्लिक करें |
चिलबिल के वृक्ष को अन्य भाषाओं में क्या-क्या बुलाते हैं ?
- Hindi : चिलबिल, चिरमिल, पापरी, करंजी, बेगाना, बनचिल्ला
- English : Jungle cork tree, Kanju, South Indian elm tree, Monkey biscuit tree
- Sanskrit : चिरबिल्व, पूतिकरञ्ज, प्रकीर्य
- Udia : दुंजा (Duranja), करंज (Karanj), धारंगो (Dharango)
- Kannad : रसबीज (Rasbija)
- Gujrati : कणझो (Kanjho), चरेल (Charel)
- Tamil : अय (Aya), कंजी (kanji)
- Telugu : जविलि (Javili), नीमली (Nemali), नेवीली (Nevili)
- Bengali : नाटा करंज (Nata Karanja), कलमी (Kalmi)
- Nepali : पापरी (Papri), सानो पांगरो (Sano Pangro)
- Punjabi : अरजन (Arjan), काचम (Kacham)
चिलबिल का पेड़: संक्षिप्त विवरण
Feature | Details |
---|---|
Scientific Name | Holoptelea integrifolia |
Common Name | Chilbil Tree,Monkey biscuit tree |
Family | Ulmaceae |
Native to | India, Bangladesh, Nepal |
Uses | Ayurvedic medicine, Skin treatment, Digestive aid |
Growing Conditions | Well-drained soil, Full sunlight |
Height | Up to 20 meters |
आयुर्वेदिक लाभ
चिलबिल का पेड़ अपने आयुर्वेदिक गुणों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। इसकी छाल, पत्तियाँ और अन्य हिस्सों का उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है। नीचे इसके कुछ महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक लाभ विस्तार से दिए गए हैं:
1. त्वचा रोगों में उपचार
चिलबिल की छाल में एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो इसे त्वचा रोगों के उपचार में बेहद प्रभावी बनाते हैं। चिलबिल के छाल का पेस्ट या चूर्ण त्वचा के संक्रमण, खुजली, एक्जिमा और अन्य त्वचा समस्याओं के उपचार में उपयोग किया जाता है। इसका नियमित उपयोग त्वचा को साफ और संक्रमण-मुक्त रखने में मदद करता है।
2. पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद
चिलबिल के पत्तों और छाल से बने उत्पाद पाचन तंत्र के लिए अत्यधिक फायदेमंद होते हैं। यह गैस, अपच, और पेट दर्द जैसी समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं। इसके पत्तों से बने चूर्ण या अर्क का सेवन पाचन को सुधारता है और पेट की समस्याओं से राहत दिलाता है। चिलबिल काढ़ा विशेष रूप से पाचन तंत्र को मजबूती प्रदान करता है।
3. ज्वर में राहत
चिलबिल की छाल से बना काढ़ा या चूर्ण ज्वर को कम करने में सहायक होता है। इसमें मौजूद तत्व शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और बुखार के लक्षणों को कम करते हैं। इसे एक प्राकृतिक एंटीपायरेटिक के रूप में देखा जाता है, जो कि बिना किसी साइड इफेक्ट के काम करता है।
4. संधिशोथ के दर्द में राहत
चिलबिल का पेड़ संधिशोथ (Arthritis) के दर्द और सूजन को कम करने में भी प्रभावी होता है। इसके पत्तों और छाल से बने तेल का उपयोग संधिशोथ से प्रभावित जोड़ों पर किया जाता है, जिससे सूजन और दर्द में राहत मिलती है। इसका नियमित उपयोग जोड़ों की गतिशीलता को बेहतर बनाने में भी सहायक होता है।
5. जख्म भरने में सहायक
चिलबिल की छाल का पेस्ट या अर्क जख्मों को जल्दी भरने में मदद करता है। इसके एंटीसेप्टिक गुण जख्म को संक्रमण से बचाते हैं और उसे जल्दी से सूखने में मदद करते हैं। पुराने घाव या चोट के निशान को ठीक करने में भी चिलबिल की छाल उपयोगी होती है।
6. मधुमेह में सहायक
चिलबिल की छाल से बना अर्क रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे मधुमेह के रोगियों को लाभ होता है। इसका सेवन शरीर में इंसुलिन के प्रभाव को बढ़ाने और शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में सहायक होता है। हालांकि, इसे किसी विशेषज्ञ की सलाह पर ही लेना चाहिए।
7. एंटी-ऑक्सीडेंट गुण
चिलबिल के पत्तों और छाल में एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो शरीर के फ्री रेडिकल्स को नष्ट करने में सहायक होते हैं। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है और विभिन्न बीमारियों से बचाव करता है।
चिलबिल से बने आयुर्वेदिक उत्पाद
चिलबिल का पेड़ अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है, और इससे कई आयुर्वेदिक उत्पाद तैयार किए जाते हैं जो विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार में उपयोगी होते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक उत्पादों का उल्लेख किया जा रहा है:
-
चिलबिल चूर्ण (Chilbil Powder)
- चिलबिल की छाल से बनाया गया यह चूर्ण त्वचा रोगों, पाचन समस्याओं और संधिशोथ के इलाज में उपयोगी होता है। इसे गुनगुने पानी के साथ लिया जाता है।
-
चिलबिल तेल (Chilbil Oil)
- यह तेल चिलबिल की छाल से तैयार किया जाता है और त्वचा रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। इसके नियमित उपयोग से त्वचा संक्रमण और खुजली से राहत मिलती है।
-
चिलबिल अर्क (Chilbil Extract)
- चिलबिल की पत्तियों और छाल से बने इस अर्क का उपयोग पाचन तंत्र को सुधारने, ज्वर कम करने और संधिशोथ के दर्द को कम करने के लिए किया जाता है।
-
चिलबिल काढ़ा (Chilbil Decoction)
- यह काढ़ा चिलबिल की छाल को उबालकर बनाया जाता है। इसे पाचन समस्याओं, बुखार, और rheumatoid arthritis में राहत के लिए पिया जाता है।
इन उत्पादों का नियमित और उचित मात्रा में उपयोग करके स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया जा सकता है। आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार ही इनका सेवन करना चाहिए।
आप के पास अगर थोड़ी जमीन है तो आप इसके बीजों से नए पौधे बना सकते हैं , ये बीज इसके पेड़ के नीचे पड़े दिख सकते हैं ।
आपको यह जानकारी कैसी लगी हमे कमेन्ट करके जरूर बताएं , ऐसे ही पेड़-पौधों और गार्डेन से जुड़ी रोचक और उपयोगी जानकारी के लिए hindigarden.com से जुड़े रहें , धन्यवाद ।
Happy Gardening..