चिलबिल का पेड़ कैसा होता है , इसके क्या फायदे हैं | Chilbil ka ped

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चिलबिल का पेड़

चिलबिल के वृक्ष को तो आपने कभी न कभी देखा जरूर होगा। लेकिन क्या आप चिलबिल के विभिन्न फायदों के बारे में जानते हैं। आयुर्वेद में चिलबिल का इस्तेमाल इलाज के तौर पर किया जाता है। चिलबिल के वृक्ष की पत्तियों तथा तने के छाल के इस्तेमाल से विभिन्न रोगों को ठीक किया जा सकता है। chilbil ka ped

मधुमेह से पीड़ित रोगी और पेट से संबंधित बीमारी में चिलबिल के काफी फायदे मिलते हैं। तो आज के इस पोस्ट में हम आपको चिलबिल के विभिन्न फायदों के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करने वाले हैं। यदि आप भी चिलबिल के विभिन्न फायदे के बारे में जानना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ना होगा।

चिलबिल का पेड़ कैसा होता है

चिलबिल का वृक्ष काफी दूरी में फैला हुआ होता है। इस पेड़ की ऊंचाई लगभग 18 से 20 मीटर होता है। इस वृक्ष की छाल सफेद और भूरे रंग का होता है और ये काफी चिकना भी होता है। चिलबिल के वृक्ष की पत्तियों की लंबाई 8 से 13 सेमी का होता है और पत्ते की चौड़ाई 3 से 6 मीटर के होते हैं। यदि आप इन पत्तों को मसलेंगे तो इस में से चीखी महक आती है। इस पेड़ के फल चपटे आकर के होते हैं जो की चिकने और चमकीले दिखाई देते हैं।

चिलबिल का पेड़

चिलबिल के वृक्ष के वानस्पतिक नाम क्या है ?

चिलबिल के वृक्ष के वानस्पतिक नाम होलोप्टेलिआ इन्टेग्रिफोलिआ ( Holoptelea integrifolia (Roxb.) Planch ) होता है। चिलपिल के पेड़ का कुल अल्मॅसी ( Ulmaceae ) होता है।

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चिलबिल के वृक्ष को अन्य भाषाओं में क्याक्या बुलाते हैं ?

  • अंग्रेजी :- अंग्रेजी में इस वृक्ष को Jungle cork tree, South Indian elm tree, Monkey biscuit tree or Kanju कहते हैं।
  • हिंदी :- हिंदी में इस पेड़ को चिरमिल, बनचिल्ला, चिलबिल, करंजी, पापरी और बेगाना कहते हैं।
  • बंगाली :-बंगाली में इस वृक्ष को कलमी और नाटा करंज के नाम से बुलाते हैं।
  • पंजाबी :- पंजाबी भाषा में इस वृक्ष को काचम और अरजन के नाम से जानते हैं।
  • संस्कृत :- संस्कृत भाषा में इस वृक्ष को पूतिकरञ्ज, चिरबिल्व और प्रकीर्य के नाम से जानते हैं।
  • गुजराती :- गुजराती भाषा में इस वृक्ष को चरेल और कणझो के नाम से जानते हैं।
  • नेपाली :- नेपाली भाषा में इस वृक्ष को सानो पांगरो, पापरी के नाम से जानते हैं।
  • मराठी :- मराठी भाषा में इस वृक्ष को आवल, वावला कहते हैं।
चिलबिल का पेड़
चिलबिल की नई पत्तियाँ

चिलबिल के बेनिफिट और uses क्या है

मुख्य रूप से चिलबिल के वृक्ष का उपयोग पेट से संबंधित बीमारियों में ट्रीटमेंट के तौर पर किया जाता है। इसके साथ ही साथ इसका इस्तेमाल दाद खाज और जोड़ों के दर्द को ठीक करने के लिए भी मुख्य तौर पर किया जाता है। तो आइए आगे के आर्टिकल में हम जानते हैं कि इसके बेनिफिट्स क्या-क्या है।

  • उल्टी में चिलबिल के लाभ

यदि आपको उल्टी जैसी समस्या होती है तो आपको चिलबिल का इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि चिलबिल उल्टी को रोकने में काफी मददगार सिद्ध होता है। आपको इसके लिए 5 से 10 चिलबिल के वृक्ष की पत्तियों के रस में मिश्री मिश्रण करके इसका ग्रहण करना है जिससे आपकी उल्टी की समस्या दूर हो जाएगी।

  • मधुमेह का उपचार करने के लिए चिलबिल का करें इस्तेमाल

यदि आपको भी मधुमेह जैसी रोग है तो उसे कंट्रोल करने के लिए आपको 100 ग्राम चिरबिल्व-काण्ड-छाल के पावडर में 10-10 ग्राम बहेड़ा, जामुन के बीज का चूर्ण, हरितकी और आंवला मिश्रण करके हर रोज 1 से 2 ग्राम की मात्रा में ग्रहण करने से आपका डायबिटीज कंट्रोल रहेगा।

  • जोड़ों के दर्द में चिलबिल के फायदे 

अब उम्र के साथ जोड़ों में दर्द और सूजन जैसी समस्या होनी तो मामूली बात हो गई है। यदि आप भी इस दर्द से छुटकारा पाना चाहते हैं तो उसके लिए चिलबिल का इस्तेमाल करें। आपको चिलबिल के पतियों को कूटकर इसके लेप को अपने दर्द वाले स्थान पर अच्छे से लाने की आवश्यकता होती है। इस उपाय का उपयोग करके आपको जोड़ों से जुड़ी दर्द की समस्या से जल्दी राहत प्राप्त हो जाएगा।

  • शरीर के बदबू को दूर करने में भी चिलबिल के फायदे

बहुत लोग ऐसे होते हैं जिन्हें गर्मियों में पसीने के कारण उनके शरीर से बहुत ही गंदी बदबू आने लगती है जिससे वह काफी परेशान हो जाते हैं। यदि आप भी अपने शरीर के बदबू को दूर करना चाहते हैं, तो उसके लिए आपको चिलबिल का उपयोग करना चाहिए। इसके लिए आपको आम इमली और चिलबिल के बीजों को पीसकर उसका पेस्ट बनाना होता है। और इस पेस्ट को आप अपने शरीर में अच्छे से लगा ले। जल्द से जल्द ही आपके शरीर के बदबू की समस्या खत्म हो जाएगी।

चिलबिल का पेड़
चिलबिल का हरा फल
  • नाक कान से खून आने की समस्या में चिलबिल का करें इस्तेमाल

बहुत लोगों में गर्मी के सीजन में नाक कान से खून आने की समस्या दिखाई देती है। यदि आपको भी गर्मी के सीजन में ना कान से खून आने की समस्या होती है तो आप जल्द से जल्द चिलबिल का इस्तेमाल करें। इसके लिए आपको चिलबिल के बीजों के 1 से 2 ग्राम पावडर को शहद के साथ मिश्रण करना होगा। इस उपाय से आप अपने कान नाक से खून आने की समस्या को जल्द ही दूर कर सकते हैं।

चिलबिल के वृक्ष के किन किन हिस्सों का इस्तेमाल किया जाता है

नीचे दिए गए हिस्सो का इस्तेमाल आर्युवेद में विभिन्न रोग के उपचार में किया जाता है और इसके परिणाम भी बेहतर आते हैं :-

  • चिलबिल के बीज
  • चिलबिल के पत्ते
  • चिलबिल के तने की छाल

चिलबिल का पेड़

चिलबिल का इस्तेमाल कितनी मात्रा में करना चाहिए

चिलबिल के चूर्ण :- इसका इस्तेमाल आपको नियमित रूप से 3 से 5 ग्राम की मात्रा में करना चाहिए।

चिलबिल का काढ़ा :- चिलबिल के काढ़े का इस्तेमाल आपको 20 से 40 ml की मात्रा में करना चाहिए।

यदि आप चिलबिल के किसी भी भाग का इस्तेमाल अपने किसी रोग में करना चाहते हैं, तो उसके लिए आपको अपने चिकित्सा की राय अवश्य लेनी चाहिए।

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