गूलर का पेड़ Gular ka Ped
गूलर के पेड़ के बारे में कई कहानियां सुनाई जाती है कुछ कहानियाँ तो ऐसी भी हैं कि जिसमे यह कहा जाता है -जिसने इस वृक्ष के फूल को गिरते हुए देख लिया उससे किस्मत वाला कोई अन्य व्यक्ति नही है ।
चलिए आज हम यहाँ यह भी बात देते हैं कि गूलर के फूल को देख पान मुश्किल काम है क्यूंकी इसमे फूल और फल एक ही होते हैं यानि जिसे हम फल समझते हैं वो ही इसका फूल भी है । है न अजीब बात गूलर के पेड़ की ।
आपको शायद ही पता हो कि गूलर का पेड़ उसी परिवार का पेड़ है जिस के पीपल , बरगद ,कटहल और अंजीर जैसे अन्य पेड़ पौधे हैं , अपने ध्यान दिया होगा कि इन सभी से दूध जैसा तरल निकलता है ।
गूलर का पेड़: परिचय
गूलर (Ficus racemosa) फ़ाइकस कुल (Ficus) का एक विशाल वृक्ष है।
इसे संस्कृत में उडुम्बर,
बांग्ला में डुमुर,
मराठी में औदुंबर,
गुजराती में उम्बरा,
अरबी में जमीझ,
फारसी में अंजीरे आदम
फल गोल-गोल अंजीर की तरह होते हैं और इसमें से सफेद-सफेद दूध निकलता है। इसके पत्ते मीडियम आकार के होते हैं। फलों को तने से चिपके देखने का अलग ही अनुभव राहत है ।
गूलर का इतिहास (Origin)
गूलर का पेड़ भारतीय उपमहाद्वीप से उत्पन्न हुआ माना जाता है। यह दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशिया में बहुतायत में पाया जाता है।
यह खासकर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका और म्यांमार जैसे देशों में यह व्यापक रूप से पाया जाता है। भारत में इसे हरियाली और औषधीय गुणों के कारण ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में लगाया जाता है।
गूलर का पेड़ हिंदू धर्म में भी पवित्र माना जाता है और इसे भगवान विष्णु से जोड़ा जाता है।
गूलर का वृक्ष कैसा होता है ?
यह एक बड़ा और सदाबहार पेड़ होता है इसके फल छोटे और गोल होते हैं जो पेड़ के तनों से चिपके लटकते रहते हैं। पेड़ की ऊँचाई लगभग 10 से 20 मीटर तक हो सकती है।
गूलर का पेड़ अपनी छाया और फलों के लिए जाना जाता है और इसके पत्ते और छाल भी विभिन्न प्रकार की औषधियों में प्रयोग होते हैं।
गूलर का वृक्ष कैसा होता है ?
यह एक बड़ा और सदाबहार पेड़ होता है इसके फल छोटे और गोल होते हैं जो पेड़ के तनों से चिपके लटकते रहते हैं। पेड़ की ऊँचाई लगभग 10 से 20 मीटर तक हो सकती है।
गूलर का पेड़ अपनी छाया और फलों के लिए जाना जाता है और इसके पत्ते और छाल भी विभिन्न प्रकार की औषधियों में प्रयोग होते हैं इसीलिए भारतीय पेड़ों मे इसका विशेष स्थान है ।
गूलर के आयुर्वेदिक लाभ
आयुर्वेद में गूलर के पेड़ को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। इसकी छाल, पत्ते, फल और यहाँ तक कि इसकी जड़ें भी औषधीय उपयोग के लिए इस्तेमाल होती हैं। आइए जानते हैं इसके कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक लाभ:
- 1. पाचन तंत्र को सुधारने में सहायक (Improves Digestion)
गूलर के फल और छाल में ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं। यह कब्ज, एसिडिटी और अन्य गैस्ट्रिक समस्याओं में राहत प्रदान करता है।
- 2. मधुमेह नियंत्रण (Controls Diabetes)
गूलर के पत्तों का उपयोग मधुमेह को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। यह शरीर में इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है।
- 3. त्वचा संबंधी समस्याओं का उपचार (Treats Skin Disorders)
गूलर के पेड़ की छाल और फल का लेप त्वचा के रोगों जैसे फोड़े-फुंसियों, एक्जिमा और अन्य संक्रमणों को दूर करने में सहायक होता है।
- 4. रक्त शोधक (Blood Purifier)
गूलर का फल रक्त को शुद्ध करता है और इसे नियमित रूप से खाने से शरीर में हानिकारक तत्वों का नाश होता है।
- 5. घावों को भरने में सहायक (Helps in Wound Healing)
गूलर के पत्तों और छाल का उपयोग घावों को जल्दी भरने में किया जाता है। इसका उपयोग जलन, कटने या घाव पर किया जा सकता है।
- 6. दांत और मसूड़ों के लिए लाभकारी (Good for Teeth and Gums)
गूलर की छाल का काढ़ा दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। इसका एंटीबैक्टीरियल गुण मसूड़ों की सूजन और दर्द को कम करता है।
- किसी भी समस्या में गूलर का उपयोग कितनी मात्रा में करना चाहिए ?
यदि आप किसी रोग में गूलर का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए मात्रा के अनुसार आप गूलर का उपयोग कर सकते हैं :-
- दूध : ज्यादा से ज्यादा 4 से 5 बूंद
- पाउडर : पाउडर का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा 3 से 5 ग्राम करना चाहिए।
आज की इस लेख में आपको गूलर के विभिन्न फायदों के बारे में बताया गया है। यदि आप इसका इस्तेमाल किसी रोग को ठीक करने के लिए करना चाहते हैं तो उसके लिए आपको अपने डॉक्टर से एक बार सलाह लेने की जरूरत होगी।
गूलर का पोषण (Nutritional Contents)
अब जब हमने गूलर के पेड़ के आयुर्वेदिक लाभों की बात की, तो आइए इसके पोषण तत्वों की भी बात करें। गूलर का फल पोषण से भरपूर होता है और इसके नियमित सेवन से शरीर को विभिन्न पोषक तत्व मिलते हैं:
पोषक तत्व (Nutrient) | प्रति 100 ग्राम में मात्रा |
---|---|
कैलोरी (Calories) | 80 kcal |
कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrates) | 20 g |
प्रोटीन (Protein) | 1.2 g |
फाइबर (Fiber) | 3.5 g |
विटामिन C (Vitamin C) | 5 mg |
कैल्शियम (Calcium) | 35 mg |
आयरन (Iron) | 0.5 mg |
गूलर के फल में उच्च मात्रा में फाइबर होता है, जो पाचन के लिए बहुत लाभकारी है। इसके अलावा, इसमें विटामिन C और कैल्शियम भी होते हैं, जो हड्डियों और दांतों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं।
गूलर के उपयोग (Uses of Gular Tree)
गूलर का पेड़ केवल औषधीय गुणों तक सीमित नहीं है। इसके अन्य उपयोग भी हैं, जो इसे और भी खास बनाते हैं। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख उपयोग:
- छाया और पर्यावरण संतुलन
गूलर का पेड़ घने पत्तों के कारण छाया प्रदान करता है और इसका उपयोग बगीचों और पार्कों में किया जाता है। - लकड़ी का उपयोग
इसकी लकड़ी का उपयोग इमारती कार्यों में किया जाता है क्योंकि यह मजबूत और टिकाऊ होती हैसाथ ही यह सस्ता होता है इसलिए ग्रामीण इलाकों मे यह ज्यादा पॉपुलर है । - पशु आहार
गूलर के पत्ते और फल पशुओं के लिए आहार के रूप में उपयोग होते हैं खासकर ग्रामीण इलाकों में।
गूलर से बने व्यंजन
गूलर के फल और पत्तियों का उपयोग विभिन्न पारंपरिक व्यंजनों में किया जाता है। ये व्यंजन खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय हैं और स्वास्थ्यवर्धक भी माने जाते हैं। यहाँ गूलर से बने कुछ प्रमुख व्यंजन दिए जा रहे हैं:
- गूलर की सब्जी (Gular ki Sabzi)
गूलर के कच्चे फलों से बनने वाली यह सब्जी मसालों के साथ बनाई जाती है और रोटी या चावल के साथ खाई जाती है। यह एक पौष्टिक और पारंपरिक व्यंजन है। कुछ लोग तो ऐसी सब्जी बनाते हैं कि आप चिकन मटन भी भूल जाएंगे । - गूलर का अचार (Gular ka Achar)
गूलर के छोटे फलों को मसाले और तेल के साथ मिलाकर स्वादिष्ट अचार बनाया जाता है। यह भोजन के साथ एक साइड डिश के रूप में इस्तेमाल होता है। - गूलर का हलवा (Gular ka Halwa)
गूलर के पके फलों से मीठा हलवा बनाया जाता है। यह एक स्वास्थ्यवर्धक मिठाई है जो खासकर त्योहारों के समय बनाई जाती है। - गूलर की चटनी (Gular ki Chutney)
गूलर के कच्चे फलों से चटनी बनाई जाती है जो खाने के साथ एक ताजगी भरा स्वाद देती है। इसे मसालों और हरी मिर्च के साथ तैयार किया जाता है। - गूलर का जैम (Gular Jam)
गूलर के पके फलों को शक्कर और मसालों के साथ मिलाकर जैम तैयार किया जाता है जिसे ब्रेड या रोटी के साथ खाया जा सकता है। - गूलर का रायता (Gular Raita)
गूलर के छोटे-छोटे टुकड़ों को दही में मिलाकर स्वादिष्ट रायता बनाया जाता है जो खाने के साथ पेट के लिए हल्का और ताजगी भरा होता है। - गूलर के पत्तों की पकौड़ी (Gular ke Patte ki Pakodi)
गूलर के पत्तों को बेसन के घोल में लपेटकर पकौड़ी बनाई जाती है। यह एक लोकप्रिय स्नैक है, जिसे चाय के साथ खाया जाता है। - गूलर का मुरब्बा (Gular Murabba)
गूलर के फलों को शक्कर के सिरप में पका कर मुरब्बा तैयार किया जाता है जो लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है और सर्दियों में सेवन के लिए अच्छा होता है। - गूलर की खीर (Gular ki Kheer)
गूलर के पके हुए फलों का उपयोग मीठी खीर बनाने में किया जाता है। यह एक पारंपरिक और पौष्टिक मिठाई है। वैसे बहुत कम लोग ही इस तरह के पकवान बनाते हैं । - गूलर के बीजों की चाय (Gular Seeds Tea)
गूलर के बीजों का उपयोग हर्बल चाय बनाने के लिए किया जाता है, जो स्वास्थ्यवर्धक मानी जाती है और पाचन तंत्र को बेहतर बनाती है।
गूलर का व्यवसायिक दृष्टिकोण (Business Perspective)
अब अगर आप सोच रहे हैं कि गूलर का पेड़ केवल औषधीय गुणों और पर्यावरण के लिए ही फायदेमंद है तो थोड़ा रुकें! गू
लर का पेड़ एक व्यवसायिक संपत्ति भी हो सकता है। इसके फलों का व्यापार, औषधीय उत्पादों का निर्माण और लकड़ी का उपयोग एक बड़े उद्योग का हिस्सा हैं।
कई ग्रामीण आदिवासी क्षेत्रों में लोग गूलर के फलों से जैम, चटनी और अन्य खाद्य पदार्थ बनाकर बेचते हैं जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
यदि आप खुद एक बागवानी प्रेमी हैं तो गूलर के पेड़ को अपने बगीचे में नर्सरी या बोन्साई बनाकर इसका व्यवसायिक लाभ भी उठा सकते हैं।
गूलर के वृक्ष के उपयोगी भाग कौन-कौन से हैं
नीचे दिए गए भाग का इस्तेमाल किसी न किसी रोग को ठीक करने में किया जाता है :-
- गूलर के जड़
- गूलर के फल
- गूलर के दूध
- गूलर के पत्ते
- गूलर के छाल
- गूलर के फूल
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