उत्तर भारत मे जून महीने मे मानसून की दस्तक हो जाती है और काले बादल अक्सर आसमान पर छाए रहते हैं और बारिश से हर तरफ हरियाली छा जाती है ; पेड़ पौधे पर जमी धूल साफ हो जाती है और उनकी पत्तियाँ चमकने लगती हैं ।
बारिश का पानी पौधों के लिए अमृत जैसा होता है , बारिश के पानी से पौधों को फायदा तो होता है ही इसके साथ जो ठंडी और ताज़ी हवा बारिश के साथ आती है उससे पौधो को अच्छा air circulation मिलता है । बारिश मे उत्पन्न होने वाली humidity भी पौधों के लिए वरदान से कम नहीं होई है ।
Mansoon Garden tips in Hindi
जमीन मे लगे पौधों के लिए जितना फायदेमंद मानसून है उतना ही गमलों या containers मे लगे पौधों के लिए भी है , बस अंतर इतना है कि containers मे लगे पौधों के लिए आपको थोड़ा सा अलग से प्रयास करना रहता है और निम्न प्रकार कि तैयारी करने से कोई दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ता है –
1॰ पौधो को पानी देने का तरीका
ज़्यादातर लोगों को यही लगता है कि पौधे को जितना भी पानी दे दो उसे कोई दिक्कत नहीं होगी पर ऐसा नहीं है । आपको जानकार आश्चर्य होगा या आपमे से कई लोगो को पता भी होगा कि पानी न देने से उतने पौधे नहीं मरते हैं जीतने ज्यादा पानी देने से मर जाते हैं ।
बरसात के मौसम मे भी आपको इस बात का ख्याल रखना है कि पौधों को रोज पानी देने कि आवश्यकता नहीं है क्यूंकी बारिश का पानी मिलता ही रहता है ।
जब किसी पौधे कि मिट्टी सूखी लगे या पत्तियाँ हल्की सी मुरझाई लगे तभी पौधे को पानी दें ।
2॰ गमलों मे ड्रेनेज
गमलों को तैयार करते समय ही हमे गमलों मे ड्रेनेज अच्छे से देखना चाहिए । बारिश के मौसम मे गमलों मे ड्रेनेज जरूर चेक करे कि उसमे से पानी निकल रहा है कि नहीं ।
पानी रुकने से पौधों की जड़े सड़ने का खतरा बना रहता है , बारिश के समय ही फंगस अटैक ज्यादा होता है और ज्यादा पानी की उपस्थिती मे ही होता है ।
गमलों मे नीचे या साइड मे holes को proper चेक करने के अलावा आप किसी पेचकस या screw driver से गमले के hole को सही कर सकते हैं और देख सकते हैं कि पानी डालने के 5-10 सेकेंड के अंदर पानी नीचे से निकल जा रहा है या नहीं ।
3॰ मिट्टी कि क्वालिटी
मिट्टी तैयार करते समय यह जरूर ध्यान रखना चाहिए कि उसमे proper ड्रेनेज और एयरेशन कि व्यवस्था हो यह अन्य मौसम के साथ बारिश मे पौधे के बहुत काम आएगा ।
आप मानसून के मौसम मे सारे पौधों मिट्टी नहीं बदल सकते इसलिए जरूरी है कि जब भी पौधा repot करें तो अच्छी क्वालिटी की मिट्टी तैयार करें जिससे आगे कभी दिक्कत न हो ।
4॰ केंचुओं का प्रबंधन
केंचुओं earthworms को किसानों का मित्र कहा जाता है क्यूंकी यह मिट्टी के अंदर ढेर सारे tunnels बनाते हैं जो हवा पानी को मिट्टी के अंदर तक पहुंचाते हैं और roots को भरपूर पोषण दिलाने मे सहायता पारदन करवाते हैं ।
ऐसा ही यह आपके गार्डेन मे भी करते हैं , अगर आपको लगता है कि आपके कुछ गमलों मे ज्यादा earthworms हैं और कुछ मे कम या बिलकुल नहीं है तो आप इनको हर गमले मे बराबर मात्रा मे डाल सकते हैं ।
ऐसा करते समय आप hand gloves पहने तो अच्छा रहेगा ।
5॰ प्रूनिंग और डेड हेडिंग
पौधों पर pruning और deadheading करना वैसे भी जरूरी है पर बरसात मे बहुत ही आवश्यक हो जाता है ।
ऐसा करने से पौधों मे नए shoots निकलते हैं और नई growth को प्रोत्साहन मिलता है ।
6॰ खाद
पौधों के लिए अच्छा होगा कि आप केमिकल फेर्टिलाइजर कि जगह नेचुरल खाद को प्रयोग करें विशेषकर बरसात मे ।
इस मौसम मे पोषण की आवश्यकता काफी बढ़ जाती है क्यूंकी इस समय पौधे मे तेज़ ग्रोथ तो होता ही है साथ ही बारिश के कारण काफी पोषक तत्व मिट्टी से बह जाते हैं ।
पौधों के लिए इस समय गोबर कि खाद बेस्ट रहती है , इसके अलावा कम्पोस्ट भी देना काफी फायदेमंद रहता है ।
कुछ विशेषज्ञ पौधों पर foliar spray का भी सुझाव देते हैं यानि liquid fertilizers को पत्तियों पर स्प्रे करना ।
मानसून मे पौधे पर मौजूद pores खुल जाते हैं और स्प्रे से प्राप्त fertlizers को वे आसानी से absorb कर लेते हैं ।
7॰ मल्चिंग
मल्चिंग मिट्टी के ऊपर किसी पदार्थ की एक लेयर बिछाने की प्रक्रिया को कहते हैं , mulch के रूप मे कई तरह के पदार्थ का प्रयोग किया जाता है ।
इसका मुख्य उद्देश्य मिट्टी मे नमी को बचाना ,fertility को बढ़ाना , मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाना , weed growth को रोक्न आदि प्रमुख हैं ।
बरसात मे इसका महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्यूंकी mulching से आप उन गमलों की मिट्टी उखड़ने से बचा सकते हैं जो बारिश की तेज़ धार का सामना करते हैं ।
गमले और पौधे के अनुसार आप कई तरह के material का इस्तेमाल कर सकते हैं , पर इसमे सबसे ज्यादा कारगर गत्ते के टुकड़े होते हैं ।
गत्ते के टुकड़े पानी को मिट्टी तक नही आने देते और बूंदों को अपने ऊपर ले लेते हैं जिससे मिट्टी उखड़ती नही है और roots एक्सपोज़ होने से बची रहती हैं ।
इनके अलावा लकड़ी की खुरचन , सूखी पट्टियों और pebbles का भी इस्तेमाल किया जा सकता है ; बारिश के बाद इन्हे हटा देना सही रहता है ।
8॰ कीटनाशक का प्रयोग
बरसात मे पौधों पर pruning करने के बाद जब नए shoots निकलने लगते हैं तब पौधों पर कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए ।
ज़्यादातर कीट और insects को नयी फ्रेश पत्तियाँ बहुत पसंद आती हैं और ये उन पर बैठकर उन्हें खाते रहते हैं ।
इनमें slugs और snails प्रमुख हैं जो बरसात मे आपके गार्डेन को नुकसान पहुंचा सकते हैं ।
सबसे बेस्ट और कारगर कीटनाशक के रूप मे नीम तेल का प्रयोग किया जाता है जिसके अन्य भी कई फायदे होते हैं ।
एक लीटर सादे या गुनगुने पानी मे 5 ml नीम तेल और 10 बूंद कोई liquid dish wash मिलाकर पौधों पर हर 15-20 दिन पर स्प्रे किया जा सकता है ।
9॰ नए पौधों का बचाना
बारिश के मौसम मे अगर आप seedling तैयार करते हैं तो उनके success होने की ज्यादा संभावना रहती है क्यूंकी वातावरत मे नमी रहती है जो उन्हें मरने नहीं देती ।
पर बारिश के मौसम मे आपको इन नयी कटिंग और seedlings को सीधे बारिश के पानी से बचाना चाहिए अन्यथा वो उखड़ सकती है ।
इन पौधों को किसी shade वाली जगह पर रखें ।
10॰ टेरेस गार्डेन पर कवरिंग
टेरेस गार्डेन पर फ़ाइबर कवर के स्थान पर यदि जालीदार green net shade लगवाया जाए तो वह पौधों के लिए ज्यादा लाभकारी होगा ।
फ़ाइबर कवरिंग से बारिश का पानी बिलकुल भी नहीं मिलेगा पौधों को जो उनके साथ अन्याय होगा जबकि जालीदार green net से उनके तेज़ धूप से बचत के साथ बारिश होने पर बारिश का पानी भी मिलेगा जो उनके लिए अमृत समान होता है ।
ग्रीन नेट से बारिश का पानी छान कर धीमी तीव्रता के साथ पौधों पर पड़ता है जिससे उनकी पत्तियों व मिट्टी पर नुकसान नहीं पहुचता है ।
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